भारत के राष्ट्रपति ने ‘प्रेजिडेंट प्रणब मुखर्जी- ए स्टेट्समैन’ पुस्तक की प्रथम प्रति प्राप्त की
राष्ट्रपति भवन : 02.07.2017

भारत के राष्ट्रपति, श्री प्रणब मुखर्जी ने आज (02 जुलाई, 2017) राष्ट्रपति भवन में आयोजित एक समारोह में ‘प्रेजिडेंट प्रणब मुखर्जी- ए स्टेट्समैन’ पुस्तक की प्रथम प्रति प्राप्त की। राष्ट्रपति, प्रधानमंत्री, श्री नरेन्द्र मोदी जिन्होंने इसका औपचारिक रूप से विमोचन किया, से पुस्तक ग्रहण की।

इस अवसर पर राष्ट्रपति ने 13वें राष्ट्रपति काल पर एक सचित्र लेख प्रकाशित करने के लिए द स्टेट्समैन का आभार व्यक्त किया। उन्होंने स्वीकार किया कि वह शुरू में द स्टेट्समैन के सचित्र लेख के विचार के प्रति अनिच्छुक थे। उन्होंने आश्चर्य व्यक्त किया कि इस सचित्र आलेख का क्या लाभ होगा क्योंकि राष्ट्रपति के सभी कार्यक्रम पब्लिक डोमेन पर हैं। तथापि द स्टेट्मैन के श्री रवीन्द्र कुमार और श्री आर.के. गुप्ता ने उन्हें विश्वास दिलाया और जोर दिया कि भावी पीढ़ी के लिए महत्वपूर्ण घटनाओं को अभिलेखबद्ध करना आवश्यक है। ऐसा इसलिए था क्योंकि राष्ट्रपति काल के दैनिक समाचार अगली सुर्खियों के आने तक प्रचलन में रहते हैं। उन्हें इस सच्चाई द्वारा भी राजी करने का प्रयास किया गया कि द स्टेट्समैन समाचार पत्र की ओर से अनुरोध किया गया है जिसके साथ एक बंगाली के रूप में वे पले बढ़े हैं। उन्होंने कहा कि उनका द स्टेट्समैन के साथ लंबा साहचर्य रहा है और अधिकतर समय वे असहमति पर भी सहमत रहे हैं। 
राष्ट्रपति ने कहा कि कला और रचनात्मक योग्यता काल और भौगोलिक सीमाओं को पार कर जाती हैं। उनका आकर्षण सार्वभौमिक है। उन्होंने सचिवत्र लेख में शामिल द स्टेट्समैन के श्री वरुण जोशी द्वारा किए गए शानदार छायाचित्रों की सराहना की। उन्होंने पुस्तक का विमोचन करने के लिए इस अवसर पर उपस्थित प्रधानमंत्री, श्री नरेन्द्र मोदी के प्रति आभार जताया और गहरी सराहना की। प्रधानमंत्री, श्री नरेन्द्र मोदी ने कहा कि ऐतिहासिक परिप्रेक्ष्य में सचित्र लेख महत्वपूर्ण है। पुस्तक के छायाचित्रों ने इतिहास को अमर बना दिया है और सभी के लिए प्रेरक भारत के राष्ट्रपति के मानवीय पक्ष को उजागर किया है। 
‘प्रेजिडेंट प्रणब मुखर्जी- ए स्टेट्समैन’ पुस्तक का प्रकाशन भारत के एक सबसे पुराने अंग्रेजी भाषा के अखबार ‘द स्टेट्समैन’ द्वारा किया गया है। भारत के 13वें राष्ट्रपति के संदेश के विस्तृत छायाचित्रण रिकॉर्ड करने वाली इस पुस्तक में श्री मुखर्जी के राष्ट्रपति काल तथा एक मानवीय प्रथम नागरिक, एक विचारक नेता और शिक्षा संस्थाओं व कला संरक्षक तथा सशस्त्र सेना के सर्वोच्च कमांडर के रूप में उनकी अनेक भूमिकाओं को दर्ज किया गया है।

यह विज्ञप्ति 2000 बजे जारी की गई।

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