राष्ट्रपति भवन : 10.01.2016
भारत के राष्ट्रपति, श्री प्रणब मुखर्जी ने आज (10जनवरी, 2016) रांची, झारखंड में निखिल भारत बंग साहित्य सम्मेलन के त्रिदिवसीय 88वें वार्षिक समारोह का उद्घाटन किया।
इस अवसर पर, राष्ट्रपति ने कहा कि वह विगत तीन दशक से संगठन से घनिष्ठता से जुड़े रहे हैं। उन्होंने कहा कि बंगाली साहित्य भाषा और संस्कृति की महान परंपराएं एक बंगाली संकलन ‘चर्यापद’ से नि:सृत हुई जिसे विख्यात विद्वान हरप्रसाद शास्त्री ने 1907 में नेपाल में खोजा था।
राष्ट्रपति ने कहा कि निखिल भारत बंग साहित्य सम्मेलन, जिसे आरंभ में प्रवासी साहित्य सम्मेलन के रूप में जाना जाता था, की शुरुआत 1922 में हुई तथा अगले वर्ष 1923में इसके वाराणसी सत्र का सरंक्षण रवीन्द्रनाथ ठाकुर ने किया था। अन्य विभूतियों के साथ-साथ रवीन्द्रनाथ ठाकुर और काजी नजरूल इस्लाम द्वारा संगीतबद्ध गीत और संगीत ने राष्ट्र निर्माण में प्रमुख भूमिका निभाई।
राष्ट्रपति ने कहा कि बंगाली साहित्य का मूल तत्व मानव और उसकी विचारशीलता है। स्वतंत्रता आंदोलन के दौरान, बंगाली साहित्य ने ही हमारी सामाजिक विचारशीलता और समाज सुधार तथा परस्पर एक दूसरे को प्रभावित किया। उन्होंने हमारे मस्तिष्क को समृद्ध बनाने में उल्लेखनीय योगदान करने वाले माइकल मधुसूदन दत्त,बंकिमचंद्र चट्टोपाध्याय,रवीन्द्रनाथ ठाकुर तथा अन्य कवियों और लेखकों के नाम का जिक्र किया। राष्ट्रपति ने समारोह के सभी प्रतिभागियों से भारतीय साहित्य के संरक्षण और प्रोत्साहन की दिशा में सार्थक योगदान जारी रखने का आह्वान किया।
यह विज्ञप्ति 1950बजे जारी की गई।