राष्ट्रपति भवन : 02.08.2014
भारत के राष्ट्रपति, श्री प्रणब मुखर्जी ने आज (2 अगस्त, 2014) शमीरपेट तेलंगाना में नालसर विधि विश्वविद्यालय के 12वें दीक्षांत समारोह में भाग लिया।
इस अवसर पर राष्ट्रपति ने कहा कि अधिवक्ता जनता की न्याय तक पहुंच सुनिश्चित करने तथा हमारे संविधान को एक जीती जागती हकीकत बनाने में अहम भूमिका निभाते हैं। उन्होंने कहा कि विधि शिक्षा में पिछले दो दशकों के दौरान बड़ा बदलाव आया है। तथापि ऐसे बहुत से क्षेत्र है जिन्हें और सुदृढ़ करने की जरूरत है। विधिक शिक्षा प्रदान करने वाले हमारे शैक्षिक संस्थानों को सैद्धंतिक अवधारणाओं और व्यावहारिक अनुप्रयोगों के बीच के अंतर को समाप्त करना होगा। उन्हें कौतूहल जाग्रत करना होगा तथा जिज्ञासा को प्रोत्साहित करना होगा। विधिक प्रणाली का अध्ययन व्यापक सामाजिक-आर्थिक वास्तविकताओं से अलग होकर नहीं किया जा सकता है। विद्यार्थियों और अधिवक्ताओं द्वारा विधिक शिक्षा को आजीविका के साधन से कहीं आगे देखा जाना चाहिए। उन्हें निरंतर यह विचार करने के लिए प्रोत्साहित किया जाना चाहिए कि उनके कार्य जनसाधारण को कैसे प्रभावित करेंगे।
राष्ट्रपति ने कहा कि उन्हें उम्मीद है कि हमारे अग्रणी विधि विद्यालय अपने विद्यार्थियों को न केवल विधि की विषय-वस्तु को सीखने बल्कि उनकी तर्कशीलता, उनके कार्यान्वयन के परिणामों तथा उनके सुधार के सर्जनात्मक सुझावों का मूल्यांकन करने के लिए प्रोत्साहित कर रहे हैं। उन्हें यह जानकर प्रसन्नता हुई है कि नालसर ने विगत दो वर्षों में और अधिक वैकल्पिक पाठ्यक्रम प्रस्तुत करके,विद्यार्थियों को अधिक से अधिक शैक्षिक लचीलापन प्रदान करके अपने पाठ्यक्रम को विविध बनाने के सुविचारित प्रयास किए हैं। उन्होंने कहा कि नालसर देश का अपनी तरह का एक विधि विश्वविद्यालय है जहां सही मायने में चयन आधारित अंक नीति है।
यह विज्ञप्ति 1725 बजे जारी की गई।