भारत के राष्ट्रपति ने मिज़ोरम के युवाओं का आह्वान किया कि वे राष्ट्र के भविष्य के निर्माण में देश के शेष हिस्सों के युवाओं के कंधे से कंधा मिलाकार चलें
राष्ट्रपति भवन : 10.04.2015

भारत के राष्ट्रपति, श्री प्रणब मुखर्जी ने आज (10 अप्रैल 2015) आईजॉल में मिज़ोरम विश्वविद्यालय के 10वें दीक्षांत समारोह में भाग लिया।

इस अवसर पर बोलते हुए, राष्ट्रपति ने कहा कि देश आज तेजी से आगे बढ़ रहा है। चाहे व्यापार हो,उद्योग हो, व्यवसाय हो, शिक्षा हो अथवा संस्कृति, हम हर क्षेत्र में तेजी के साथ अपनी प्रमुख रूप से युवा जनसंख्या के विचारों, उद्यम तथा कार्यकलापों के द्वारा आगे बढ़ रहे हैं। उदीयमान भारत, मिजोरम सहित देश के हमारे युवाओं को व्यापक अवसर प्रदान कर रहा है। मिज़ोरम के युवाओं को राष्ट्र के भविष्य के निर्माण में देश के शेष हिस्सों के युवाओं को कंधे से कंधा मिलाकर चलना चाहिए।

राष्ट्रपति ने कहा कि उच्च शिक्षा संस्थान समाज का अदर्श होता है। इसे क्षेत्र के सामाजिक-आर्थिक विकास में योगदान देने के लिए सभी विशेषताओं को उपयोग में लाना होगा। केंद्र सरकार ने स्वच्छ भारत मिशन, डिजिटल इंडिया तथा सांसद आदर्श ग्राम योजना जैसे विभिन्न कार्यक्रम शुरू किए हैं। कुलपतियों के सम्मेलन में यह निर्णय लिया गया था कि हर एक केन्द्रीय विश्वविद्यालय कम से कम पांच गांवों को अपनाकर उनका विकास करेंगे और उन्होंने विश्वास व्यक्त किया कि मिज़ोरम विश्वविद्यालय इस उम्मीद पर खरा उतरेगा।

राष्ट्रपति ने कन्फूसियस का उदाहरण देते हुए कहा, ‘शिक्षा से विश्वास पैदा होता है,विश्वास से उम्मीद पैदा होती है, उम्मीद से शांति पैदा होती है।’ शिक्षा मानव अस्तित्व के दो मौलिक उद्देश्यों का समर्थन करती है: ज्ञान का प्रसार तथा चरित्र का निर्माण। उन्होंने कहा कि उच्च शिक्षा हमारे ऐसे भावी मार्गदर्शकों को तैयार करने की विशिष्ट भूमिका निभाती है जो वैश्विक शक्तियों के ऊंचे मंच पर हमारे देश को पहुंचाने के लिए चिकित्सा से इंजीनियरी, शिक्षण, प्रशासन,व्यवसाय, राजनीति और समाज सेवा जैसे विभिन्न क्षेत्रों में प्रयास करेंगे। केन्द्रीय विश्वविद्यालयों को भारत की उच्च शिक्षा में बदलाव लाने में आगे रहना होगा।

यह विज्ञप्ति 12:35 बजे जारी की गई।

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