राष्ट्रपति भवन : 21.04.2015
भारत के राष्ट्रपति, श्री प्रणब मुखर्जी ने आज (21 अप्रैल, 2015) राष्ट्रपति भवन में कोट्टायम की ऑर्थोडॉक्स थियोलॉजिकल सेमिनारी अथवा प्राचीन सेमिनारी के 200 वर्ष पूर्ण होने पर स्मारक डाक टिकट जारी किया।
इस अवसर पर बोलते हुए राष्ट्रपति जी ने कहा कि लगभग 14 सदियों तक केरल में तीन प्रमुख धर्मों, हिंदू, ईसाई तथा इस्लाम एक दूसरे के विश्वास का आदर करते हुए तथा सामाजिक कल्याण को बढ़ावा देने में सहयोग करते हुए शांति तथा सद्भाव के साथ मौजूद रहे हैं। केरल वास्तव में, देश का ऐसा पहला राज्य था जिसमें लोगों द्वारा स्वेच्छा से अलग-अलग धार्मिक विश्वासों को अपनाते हुए ईसाईयत तथा इस्लाम स्थापित हुए। प्राचीन सेमिनारी की स्थापना केरल में मौजूद मालंकारा ऑर्थोडॉक्स चर्च ने की थी जिस राज्य को विभिन्न धर्मों के सह-अस्तित्व तथा संप्रदायिक सद्भाव के लिए जाना जाता है। इस सेमिनारी तथा ऑर्थोडॉक्स चर्च ने इस उद्देश्य की प्राप्ति में अपनी भूमिका निभाई जिसके कारण इस राज्य में आध्यात्मिकता तथा सांप्रदायिकता का पूर्ण विलगाव संभव हो पाया। चर्चों के अंदर तथा चारों ओर दिए जलाना तथा त्योहारों के दौरान ध्वजदंड और पताकाओं को फहराना और नंगे पांव चर्च में जाना सभी ऐसी हिंदू परंपराएं हैं जो चर्च की परिपाटियां बन चुकी हैं। ये दोनों धर्मों द्वारा एक दूसरे की परंपराओं को साझा करने के गवाह हैं।
राष्ट्रपति जी ने कहा कि ऑर्थोडॉक्स चर्च ने केरल की जनता के जीवन को बेहतर बनाने की दिशा में स्थाई योगदान दिया है। शिक्षा के प्रसार में चर्च की भूमिका की उपेक्षा नहीं की जा सकती। ईसाई समुदाय ने सेमिनारी तथा इसके प्रमुखों की निगरानी में केरल भर में प्राथमिक स्कूलों की श्रृंखला स्थापित की। यह सेमिनारी, सब के लिए साक्षरता तथा शिक्षा की दिशा में पहला स्वदेशी प्रयास था जिसने आज केरल को देश का सबसे साक्षर राज्य बना दिया है। सीरियन चर्च की धर्मार्थ तथा स्वास्थ सेवा संबंधी गतिविधियां भी इसी प्राचीन सेमिनारी में इसके प्रमुखों के अधीन प्रारंभ हुई। इसने राज्य की समग्र साक्षरता में सुधार में योगदान दिया, स्वास्थ सेवा की बेहतर पहुंच तथा महिलाओं में सशक्तीकरण को बढ़ावा दिया, जिससे राज्य में रहन-सहन का स्तर तथा जीवन-स्तर उच्च हुआ। स्वास्थ सेवा तथा महिला सशक्तीकरण तथा समाज के कम सुविधासंपन्न वर्ग के उत्थान में इस चर्च का योगदान अतुलनीय है।
राष्ट्रपति जी ने कहा कि यह अकारण नहीं है कि इस सेमिनारी को चर्च के पादरियों के प्रशिक्षण तथा विकास के अलावा मानव संसाधन के क्षेत्र में कई प्रथम स्थान करने का श्रेय जाता है। उन्होंने कहा कि उन्हें यह बताया गया है कि सेमिनारी में सह-स्थापित ‘कोट्टायम कॉलेज’ राज्य में पहला अंग्रेजी शिक्षण संस्थान था। इस कॉलेज में मलयालम के अतिरिक्त ग्रीक, लेटिन, सीरियन,हिब्रू तथा संस्कृत पढ़ाई जाती थी। इसके परिसर में पहला छापाखाना भी स्थापित किया गया था तथा इस सेमिनारी के विद्वानों ने सामान्य मलयाली लिपि के सामान्यीकरण तथा मानकीकरण में सक्रिय भाग लिया था। बेंजामिलन बेले तथा हरमन गुंडर्ट आधुनिक मलयाली भाषा और लिपि के विकास में अग्रणी थे। यह कल्पना करना कि मलयाली शब्दकोश एक धार्मिक सेमिनारी द्वारा विकसित तथा प्रकाशित किया गया था,केरल के समग्र विकास के लिए उस सेमिनारी तथा स्वयं चर्च की प्रतिबद्धता के प्रति श्रद्धांजलि है। बाइबिल का प्रथम भारतीय भाषा में अनुवाद करने का श्रेय भी बेंजामिन बेले के नेतृत्व में इसी सेमिनारी तथा कॉलेज को जाता है।
ऑर्थोडॉक्स थियोलॉजिकल सेमिनारी,जिसे प्राचीन सेमिनारी अथवा कोट्टायम सीरियन कॉलेज भी कहा जाता है,मालंकारा ऑर्थोडॉक्स सीरियन चर्च, सेंट थॉमस क्रिस्चियन्स द्वारा संचालित किया जाता है। एक ऐसे दो सौ वर्ष प्राचीन चतुर्भज भवन के रूप में अपने महत्व के कारण, जहां केरल में पहली बार अंग्रेजी शिक्षा शुरू की गई थी, यह सरकार द्वारा धरोहर स्मारक के रूप में मान्यता प्राप्त है।
यह विज्ञप्ति 14:20 बजे जारी की गई।