भारत के राष्ट्रपति ने कहा कि हमारे देश में कृषि शिक्षा वैश्विक स्तर के सापेक्ष होनी चाहिए
राष्ट्रपति भवन : 05.02.2016

भारत के राष्ट्रपति, श्री प्रणब मुखर्जी ने आज (05फरवरी, 2016) भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान, पूसा, नई दिल्ली के 54वें दीक्षांत समारोह में भाग लिया। इस अवसर पर राष्ट्रपति ने कहा कि भारत के पास विश्व भूमि संसाधन का केवल 3 प्रतिशत और जल संसाधन का 5प्रतिशत है फिर भी भारतीय कृषि प्रणाली विश्व की आबादी के 18 प्रतिशत का समर्थन करती है। ‘शिप-टू-माउथ’ के स्तर से एक अग्रणी खाद्यान्न निर्यातक का बदलाव मुख्य रूप से भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान जैसे अग्रणी संस्थान के वैज्ञानिक विकास के कारण यात्रा संभव हुआ है। इस संस्थान ने हरित क्रांति में प्रवेश करने और हमारे देश में एक जीवंत कृषि क्षेत्र निर्मित में महत्वपूर्ण योगदान दिया है। उन्होंने राष्ट्र के प्रति समर्पित सेवाओं के लिए भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान की सराहना की।

राष्ट्रपति ने कहा कि हमारे देश में कृषि शिक्षा वैश्विक स्तर के सापेक्ष होनी चाहिए। उसके लिए हमें अत्याधुनिक अनुसंधान अवसंरचना सहित शक्तिप्रदत्त सक्षम संकाय का एक वृहताकार पूल बनाने की आवश्यकता है। शिक्षकों,शिष्यों और पेशावरों का एक मजबूत नेटवर्क अच्छी कृषि कार्य-प्रणाली का प्रयोगशाला से कृषि मैदानों तक प्रसारण में सुविधा प्रदान करेगा। यह किसानों की समस्याओं से संबंधित फीडबैक भी प्रदान करेगा जिससे हमारे संस्थानों में अनुसंधान और प्रौद्योगिकी विकास के मार्ग खुलेंगे। राष्ट्रपति ने कहा कि कृषि संस्थान वे केंद्र बिन्दु हैं जिनपर हमारे कृषि क्षेत्र और लोक कल्याण की सफलता निर्भर करती है। कार्यानिष्पादन का मापदंड उनके उत्पाद की गुणवत्ता है। इन संस्थानों से योग्य, प्रतिबद्ध और उद्योगी व्यवसायिकों की, आगामी कृषि क्रांति की अगुवाई में आवश्यकता है। भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान के छात्रों और पूर्व छात्रों को अवसर का लाभ उठाना चाहिए और कृषि बदलाव में योगदान देना चाहिए।

यह विज्ञप्ति1415 बजे जारी की गई।

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