राष्ट्रपति भवन : 08.02.2014
भारत के राष्ट्रपति, श्री प्रणब मुखर्जी ने आज (08 फरवरी, 2014) मुंबई में किशिनचंद चेलाराम कॉलेज के हीरक जयंती समारोहों का उद्घाटन किया।
इस अवसर पर बोलते हुए, राष्ट्रपति ने कहा कि ‘हम एक अधिकाधिक वैश्वीकृत होते जा रहे विश्व में रह रहे हैं। यदि, एक राष्ट्र के रूप में, हमें इस बहुत तेजी से परिवर्तनशील परिवेश में सहभागिता करनी है तो हमें अपने विद्यार्थियों में वैश्विक मानसिकता विकसित करनी होगी। इस तरह की मानसिकता के विकास के लिए अच्छी शिक्षा अनिवार्य है’।
राष्ट्रपति ने कहा कि अभी तक शिक्षा की बेहतर उपलब्धता में सहायता देने के लिए सूचना प्रौद्योगिकी की क्षमता को कम महत्व दिया गया है। उच्च शिक्षा में भौतिक अवसंरचना के सृजन पर जो दबाव है उन्हें तकनीकी समाधानों द्वारा दूर करना होगा। बेहतर बौद्धिक सहयोग तथा विचारों के आदान-प्रदान के लिए राष्ट्रीय ज्ञान नेटवर्क का सभी अकादमिक तथा अनुसंधान संस्थानों को लाभ उठाना होगा। ऐसा बहुत कुछ है जो प्रौद्योगिकी प्रदान कर सकती है परंतु यथासंभव अधिकतम प्रौद्योगिकी का प्रयोग न करना केवल उसकी बर्बादी है।
राष्ट्रपति ने कहा कि उच्च शिक्षा क्षेत्र का प्राचीन गौरव तक पहुंचाने के लिए गुणवत्ता, पहुंच तथा वहनीयता पर केंद्रित बहु-आयामी प्रयास करने होंगे। नालंदा तथा तक्षशिला जैसी प्राचीन विद्यापीठों का छठी सदी ई.पूर्व से 12वीं सदी ईस्वी के बीच विश्व शिक्षा प्रणाली पर दबदबा कायम था। उच्च शिक्षा क्षेत्र के पुन: सशक्तीकरण के लिए इसके सभी अवयवों को एक साथ प्रयास करने होंगे।
यह विज्ञप्ति 1600 बजे जारी की गई।