भारत के राष्ट्रपति ने ‘ज्ञान, अज्ञान और विज्ञान - पोपर-अर ज्ञानतत्त तथा समुद्र बाणिजेर प्रेक्षित स्थल बाणिज्य, भारत महासागर अंचल 1500-1800’ पुस्तकें प्राप्त कीं’
राष्ट्रपति भवन : 19.05.2017

भारत के राष्ट्रपति, श्री प्रणब मुखर्जी ने आज (19मई, 2017) कोलकाता, पश्चिम बंगाल में डॉ. सुशील चौधरी और डॉ. (श्रीमती) महाश्वेता चौधरी से ‘ज्ञान, अज्ञान और विज्ञान - पोपर-अर ज्ञानतत्त तथा समुद्र बाणिजेर प्रेक्षित स्थल बाणिज्य, भारत महासागर अंचल1500-1800’ पुस्तकें प्राप्त कीं।

इस अवसर पर,राष्ट्रपति ने कहा कि उन्हें उपर्युक्त पुस्तकों की प्रथम प्रति प्राप्त करके प्रसन्नता हुई है। पुस्तकों के विषयों से अपने आप यह संकेत मिलता है कि ये लिखित विषयों पर अनुसंधान प्राप्त प्रबंध हैं। उन्होंने कहा कि उन्हें विश्वास था कि पुस्तकें सामान्य पाठकों के लिए रोचक और शिक्षाप्रद हैं। राष्ट्रपति ने कहा कि उन्हें विदित है कि पुस्तकों के लेखक श्री सुशील चौधरी और श्रीमती महाश्वेता चौधरी लंबे समय से अपने संपूर्ण पेशेवर जीवन के दौरान शिक्षा के प्रति समर्पित रहे हैं।

राष्ट्रपति ने कहा कि ज्ञान, अज्ञान और विज्ञान - पोपर-अर ज्ञानतत्त एक असाधारण कार्य है और इस विषय पर ऐसा कार्य बंगाली में अभी तक नहीं किया गया है। पुस्तक का मुख्य विषय पोपर संकल्पना के संदर्भ में, ज्ञान विशेषकर वैज्ञानिक जानकारी की अवधारणा के साथ लोगों को जोड़ना है।

राष्ट्रपति ने कहा कि श्री सुशील चौधरी का प्रबंध ‘समुद्र बाणिजेर प्रेक्षित स्थल बाणिज्य, भारत महासागर अंचल1500-1800 में ऐसे कुछ मिथकों का खुलासा करने का प्रयास किया गया है जो लंबे समय से ऐतिहासिक विश्व में व्याप्त हैं। सत्रहवीं शताब्दी की शुरुआत में यूरोपीय व्यापार कंपनियों के आगमन के कारण मध्यपूर्व और मध्य एशिया के जरिए यूरोप तक भारत/बंगाल से पारंपरिक जमीनी व्यापार की यूरो केंद्रित स्थिति समाप्त हो गई जिसे लेखकों द्वारा विश्वासपूर्वक चुनौती दी गई है। श्री चौधरी ने नए गुणात्मक और चयनात्मक प्रमाणों की सहायता से इसे बताने का प्रयास किया है।

यह विज्ञप्ति 1700 बजे जारी की गई।

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