राष्ट्रपति भवन : 13.03.2016
भारत के राष्ट्रपति, श्री प्रणब मुखर्जी आज (13 मार्च, 2016) इलाहाबाद में न्यायाधिकरण उच्च न्यायालय के अध्यर्धशतवर्षीय समारोह का उद्घाटन किया।
इस अवसर पर, राष्ट्रपति ने कहा कि इलाहाबाद उच्च न्यायालय 17 मार्च, 2016 को अपनी स्थापना के 150 वर्ष पूरे कर लेगा। उच्च न्यायालय की इमारत को भी नवम्बर, 2016 को 100 वर्ष हो जाएंगे। इस प्रकार यह भारत बल्कि संपूर्ण विश्व के एक विशालतम न्याय के मंदिर में इन समारोहों को मनाने का दोहरा उद्देश्य हो सकता है। आज, इलाहाबाद उच्च न्यायालय का भारत के सबसे बड़े राज्य पर न्यायाधिकार है जिसमें हमारी जनसंख्या का लगभग छठा हिस्सा शामिल है। इस न्यायालय से उत्पन्न समृद्ध न्यायप्रज्ञा से न केवल उत्तर प्रदेश बल्कि पूरा देश लाभान्वित हुआ है। उन्होंने डेढ़ सौ वर्ष के दौरान महान योगदान के लिए इलाहाबाद उच्च न्यायालय को बधाई दी। उन्होंने विश्वास व्यक्त किया कि उच्च न्यायालय हमारे संविधान में निहित समानता, स्वतंत्रता और न्याय के बुनियादी मूल्यों को कायम रखेगा तथा हमारे लोगों की स्वतंत्रता और मौलिक अधिकार की रक्षा करता रहेगा ताकि वे इस महान राष्ट्र के योग्य नागरिक के रूप में अपनी पूरी क्षमता साकार कर सकें।
राष्ट्रपति ने कहा कि सभी स्तर पर न्यायालयों और न्यायाधीशों तथा न्यायिक अधिकारियों की संख्या को बढ़ाना समय पर न्याय प्रदान करने का उद्देश्य प्राप्त करने की दिशा में पहला कदम होगा। सरकार और न्यापालिका उच्च न्यायालयों तथा जिला व अधीनस्थ न्यायालयों के स्तर पर न्यायाधीशों की स्वीकृत संख्या को निरंतर बढ़ाकर इस मुद्दे पर मिलकर ध्यान दे रहे हैं। इन स्वीकृत पदों को शीघ्र भरा जाना चाहिए ताकि मामलों के समय पर निस्तारण के लिए आवश्यक न्यायिक जनशक्ति उपलब्ध हो सके।
राष्ट्रपति ने कहा कि यह आवश्यक है कि हम न्यायिक प्रणाली में सूचना और संचार प्रौद्योगिकी को तेजी से अपनाएं। जिला और अधीनस्थ न्यायालयों की कंप्यूटरीकरण प्रक्रिया केंद्र सरकार की ई-न्यायालय समेकित मिशन पद्धति परियोजना के माध्यम से जारी है। अधिकांश न्यायालय इस पहल के बाद पहले ही कम्प्यूटरीकृत हो गए हैं। उन्होंने कहा कि वह विशेषकर प्रसन्न हैं कि सूचना प्रौद्योगिकी केंद्र इलाहाबाद में स्थापित किया गया है तथा 50 करोड़ पृष्ठों में निहित अनुमानित एक करोड़ निर्णीत मामले एक वर्ष में डिजीटाइज किए जाने हैं।
यह विज्ञप्ति 1550बजे जारी की गई।