राष्ट्रपति भवन : 25.10.2016
भारत के राष्ट्रपति, श्री प्रणब मुखर्जी ने आज (25 अक्तूबर, 2016) नई दिल्ली में ग्लोबल गवर्नेंस एंड द ब्यूकेरियस समर स्कूल ऑफ ग्लोबल गवर्नेंस पर एशियाई मंच की पुनर्मिलन बैठक को संबोधित किया।
इस अवसर पर राष्ट्रपति ने वर्तमान विश्व के अवसरों और चुनौतियों पर परिचर्चा करने के लिए प्रबुद्ध और विख्यात लोगों को एकत्र करने वाले मंच के सृजन के लिए ऑर्ब्जवर रिसर्च फाउंडेशन, जे सिट्फटंग तथा ग्लोबल गवर्नेंस के एशियाई मंच के डीन ने शशि थरूर को बधाई दी। राष्ट्रपति ने कहा कि वैश्विक शासन एक संकल्पना है जिसका आज महत्व बढ़ता जा रहा है। निर्धनता उन्मूलन, हमारी पृथ्वी के पर्यावरणीय संरक्षण, शांति कायम रखने, सामाजिक समावेशन आदि वैश्विक शासन के उद्देश्य तथा चुनौतियां बन गई हैं। वैश्विक शासन उन संस्थाओं के माध्यम से अत्यधिक औचित्य प्राप्त कर सकते हैं जो अधिक मुक्त और जो मुद्दों का समाधान करने के नवान्वेषी और नए तरीके खोजती हैं। संयुक्त राष्ट्र ने हाल ही में 70 वर्ष पूरे किए। इस वैश्विक संस्था का पुनर्गठन आवश्यक है ताकि यह हमारे समय को प्रतिबिंबित करे और वर्तमान चुनौतियों के समक्ष खड़ी हो।
राष्ट्रपति ने कहा कि वैश्विक शासन मात्र शांति कायम रखना नहीं है। हमारे समक्ष निर्धनता, भूख, रोग और धरती माता के संसाधनों के विदोहन जैसी चुनौतियां हैं। आतंकवाद ने ऐसा रूप धारण कर लिया है जिसका सामना करना अकेले राष्ट्र के लिए मुश्किल हो गया है। मानवता के अविवेकपूर्ण विनाश के सिवाय आतंकवाद की कोई विचारधारा नहीं है। हमें भावी पीढि़यों के लिए एक सुरक्षित विश्व प्रदान करने के लिए इस समस्या से निपटना होगा।
राष्ट्रपति ने कहा कि वैश्विक समुदाय ने कुछ समय पहले सतत विकास लक्ष्य तथा जलवायु परिवर्तन का मुकाबला करने से संबोधित पेरिस समझौते पर दो महत्वपूर्ण दस्तावेज संपन्न किए हैं। ये दो दस्तावेज यह संकेत देते हैं कि विश्व समुदाय इस पर सहमत है कि निर्धनता को मिटाने और सतत विकास और प्रगति करने के लिए हमें मिलकर प्रयास करना चाहिए।
यह विज्ञप्ति 1640 बजे जारी की गई।