राष्ट्रपति भवन : 08.06.2016
भारत के राष्ट्रपति, श्री प्रणब मुखर्जी ने आज (08 जून, 2016) राष्ट्रपति भवन में आयोजित एक समारोह में ‘द एजूकेशन प्रेजीडेंट’ पुस्तक की प्रथम प्रति ग्रहण की। उन्होंने यह पुस्तक उपराष्ट्रपति श्री मोहम्मद हामिद अंसारी, जिन्होंने इसका औपचारिक विमोचन किया था, से ग्रहण की।
द इंटरनेशनल इंस्टीट्यूट फॉर हायर एजूकेशन रिसर्च एंड कैपेसिटी बिल्डिंग, ओ.पी. जिंदल ग्लोबल यूनिवर्सिटी द्वारा प्रकाशित यह पुस्तक भारत के 116 उच्च शिक्षा संस्थानों के कुलाध्यक्ष के रूप में उच्च शिक्षा के क्षेत्र में राष्ट्रपति मुखर्जी के योगदान को दर्शाती है।
इस अवसर पर, राष्ट्रपति ने कहा कि यह राष्ट्रों के समूह की उच्च पंक्ति में स्थान प्राप्त करने की हमारी आकांक्षा तथा देश की उच्च शिक्षा की वास्तविकता है जिसने उन्हें देश की उच्च शिक्षा की गुणवत्ता सुधारने की आवश्यकता पर ध्यान देने के लिए प्रेरित किया। राष्ट्रपति ने कहा कि भारत में 757 विश्वविद्यालयों और 38000 कॉलेजों सहित एक विशाल उच्च शिक्षा का नेटवर्क है। तथापि, गुणवत्ता और उत्कृष्टता से संबंधित मुद्दे सबसे बड़ी चुनौतियां हैं जिन पर पूरी तरह ध्यान देना बाकी है। हमें अपने अतीत के साथ सामंजस्य बनाना होगा। भारत नालंदा, तक्षशिला, विक्रमशिला, वल्लभी, सोमपुरा और औदांतपुरी जैसे विश्वविद्यालयों, जो ईसा पूर्व छठी शताब्दी से लेकर बारहवीं शताब्दी ईसवी के बीच अनेक काल के दौरान विश्व अग्रणी थे पर गौरवान्वित हो सकता है। विश्व भर के विद्यार्थी और शिक्षक इन संस्थानों में भाग लिया करते थे। आज श्रेष्ठ गुणवत्ता वाले शैक्षिक संस्थानों की पर्याप्त संख्या के अभाव में, लगभग 2 लाख विद्यार्थी अध्ययन के लिए विदेश जाते हैं। इसी प्रकार, हमारे अध्यापक और विद्यार्थी दोनों प्रतिभावान हैं परंतु 1930में सी.वी. रमन के बाद से किसी भी भारतीय ने किसी भी भारतीय विश्वविद्यालय से नोबेल पुरस्कार नहीं जीता है। चीन के 10.38ट्रिलियन अर्थव्यवस्था में से 2.8 प्रतिशत तथा जापान के 3 प्रतिशत और संयुक्त राज्य अमरीका के 5 प्रतिशत की तुलना में हमारे सकल घरेलू उत्पाद का मात्र 0.6 प्रतिशत अनुसंधान पर खर्च किया जाता है। यदि हम एक ज्ञानवान समाज का निर्माण करना चाहते हैं तो हमें अनुसंधान और विकास में और निवेश करना होगा।
राष्ट्रपति ने कहा कि उन्नत समाज विद्वानों और अध्यापकों का आदर-सम्मान करते हैं। विचारों का परस्पर प्रस्फुटन और शैक्षिक स्वतंत्रता होनी चाहिए। इसी उद्देश्य से वे अपनी विदेश की राजकीय यात्राओं पर शिक्षा संस्थानों के कुलपति और अन्य प्रमुखों के शिष्टमंडल को ले गए हैं।
राष्ट्रपति ने ओ.पी. जिंदल ग्लोबल विश्वविद्यालय के इंटरनेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ हायर एजूकेशन रिसर्च एंड कैपेसिटी बिल्डिंग का राष्ट्रपति भवन द्वारा विगत चार वर्षों के दौरान किए गए तथा इस सूचनावर्धक और विश्लेषणात्मक पुस्तक के रूप में प्रकाशित करने के लिए धन्यवाद किया। उन्होंने कहा कि विश्वविद्यालयों, शिक्षकों तथा विद्यार्थियों के साथ बातचीत से उनका जीवन समृद्ध हुआ है तथा विचारों को विस्तार मिला है।
यह विज्ञप्ति 1740 बजे जारी की गई