राष्ट्रपति भवन : 10.04.2017
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भारत के राष्ट्रपति, श्री प्रणब मुखर्जी ने आज (10 अप्रैल, 2017)राष्ट्रपति भवन में इंडिया रैंकिग्स, 2017 रिपोर्ट जारी की। उन्होंने उच्च रैंक वाले संस्थानों अर्थात् सभी श्रेणियों में प्रथम दस और धारावार श्रेणियों-इंजिनियरिंग,प्रबंधन, विश्वविद्यालय,कॉलेज और फार्मेसियों को पुरस्कार भी प्रदान किए।
इस अवसर पर राष्ट्रपति ने कहा कि उच्च शिक्षा संस्थानों का कुलाध्यक्ष होने की हैसियत से वे बार-बार अंतरराष्ट्रीय रेटिंग प्रणाली में सक्रियता से भाग लेने और रैंकिंग प्रणाली पर ध्यान केंद्रित करने पर जोर डालते रहे हैं। वह प्रसन्न थे कि पिछले दो वर्षों के दौरान अंतरराष्ट्रीय रैंकिंग में प्रथम 200 में दो भारतीय संस्थानों को ख्याति मिली। उन्होंने कहा कि उनका विश्वास है कि हमारे संस्थानों में उच्च रैंक प्राप्त करने के लिए सभी आवश्यक गुण है। उन्होंने कहा कि मानव संसाधन विकास मंत्रालय द्वारा आरंभ किए गए नेशनल इंस्टीट्यूशनल रैंकिंग फ्रेमवर्क (एनआईआरएफ) और अब इसका दूसरे वर्ष में उनकी पहल सराहनीय है और इससे हमारे संस्थानों को अपनी क्षमता का एहसास करने में सहायता मिलेगी तथा वे विश्व स्तरीय संस्थानों के रूप में उभरेंगे।
राष्ट्रपति ने कहा कि पिछले कुछ दशकों में भारत में उच्च शिक्षा क्षेत्र में बड़ा विस्तार हुआ है। विश्वविद्यालयों,डिग्री कॉलेजों, आईआईटीज,एनआईटीज आदि की संख्या में वृद्धि हुई है परंतु कुछेक मसले अभी पूरे किए जाने है। पहला मामला गुणवत्ता अध्यापकों की उपलब्धता की कमी के बारे में था। दूसरा,हमारे देश में हमारी प्रतिभाओं को बनाए रखने की समस्या थी। मेधावी छात्र प्रतिवर्ष विदेश चले जाते हैं क्योंकि वे सोचते हैं कि विदेश में सुविधाएं,वातावरण और अवसर बेहतर हैं। प्राचीन समय में स्थिति विपरीत थी जब हमारे विश्वविद्यालय पूरे विश्व से सबसे मेधावी छात्रों तथा अध्यापकों को आकर्षित करते थे।
राष्ट्रपति ने कहा कि हमें प्रौद्योगिकी विकास जो हुए हैं,का लाभ उठाना चाहिए। भारत के छात्र प्रौद्योगिकी,छात्रों के उपयोग से विदेशों के विश्वविद्यालयों में उच्च श्रेणी के अध्यापक बन सकते हैं। विश्व के अन्य भागों में अपने समकक्षों के साथ अध्यापकों और छात्रों का निरंतर संवाद उपयोगी हो सकता है,प्रौद्योगिकी का उपयोग चुनौतियां भी खड़ी नहीं करता है परंतु उन्हें पूरा किया जाना चाहिए और हमें आगे बढ़ना होगा। हमारे छात्रों और अध्यापकों को स्पर्द्धात्मक बनना पड़ेगा। उन्होंने कहा कि हमें उन अध्यापकों को प्रेरित करना चाहिए जिनकी सेवाएं उपयोग में लाई जा सकती हैं। उन्होंने कहा कि यदि भारत को राष्ट्र समुदाय में अपना आधिकारिक स्थान प्राप्त करना है तो ज्ञान भंडार का निर्माण करना महत्वपूर्ण होगा। निरंतर ज्ञानवर्धन,विचारों का आदान-प्रदान और विचार विनिमयता से छात्रों और अध्यापकों दोनों की समृद्धि में योगदान होगा। उन्होंने कहा कि गुणवत्ता शिक्षा के लिए एक और अनिवार्यता है। हमारी आबादी के युवा चरित्रों का तीव्रता से निर्माण करना। हम एक ऐसा देश हैं जिसके पास एक महत्वपूर्ण युवा आबादी हैः25 वर्ष से नीचे की आयु समूह में लगभग600 मिलियन। यह सुनिश्चित करने के लिए कि यह संख्यात्मक लाभ कहीं संख्यात्मक बाध्यता न बन जाए,हमें अपने युवाओं को उनकी रोजगारिता के संवर्धन के लिए आवश्यक प्रतिभाओं से युक्त करना होगा।
राष्ट्रपति ने सभी पुरस्कार विजेताओं और विख्यात संस्थानों को बधाई दी और यह उम्मीद जताई कि उनकी यह जीत उनके पदचिह्नों पर चलने के लिए अन्य लोगों को भी प्ररित करेगी।
इस अवसर पर उपस्थित गणमान्य व्यक्तियों में श्री प्रकाश जावेडकर,केंद्रीय मानव संसाधन विकास मंत्री;डॉ. महेन्द्र नाथ पांडे, मानव संसाधन विकास राज्य मंत्री;श्रीमती ओमिता पॉल, राष्ट्रपति की सचिव और श्री केवल कुमार शर्मा,सचिव, उच्चतर शिक्षा,मानव संसाधन विकास मंत्री उपस्थित थे।
यह विज्ञप्ति 1645 बजे जारी की गई।