भारत के राष्ट्रपति ने भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन को 2014 का गांधी शांति पुरस्कार प्रदान किया
राष्ट्रपति भवन : 09.09.2015
भारत के राष्ट्रपति, श्री प्रणब मुखर्जी ने आज (9 सितम्बर, 2015) राष्ट्रपति भवन में आयोजित एक समारोह में भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन को 2014 का गांधी शांति पुरस्कार प्रदान किया।
इस अवसर पर बोलते हुए, राष्ट्रपति जी ने भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन को प्रतिष्ठित गांधी शांति पुरस्कार प्रदान किए जाने पर भारतीय अंतरिक्ष समुदाय के हर एक सदस्य को बधाई दी। उन्होंने कहा कि विज्ञान और प्रौद्योगिकी, राष्ट्रों तथा विश्व भर के लोगों के भविष्य को तय करने वाला प्रमुख कारक है। प्रौद्योगिकी का निर्माण व्यक्तियों से कहीं अधिक संगठनों द्वारा किया जाता है। नवान्वेषण की प्रेरणा देने तथा समाज के फायदे के लिए उनके उपयोग पर अपने नेतृत्व, उनके ढांचों तथा उनकी संस्कृति सहित संगठनों की विशेषताओं का बहुत प्रभाव पड़ता है। इसरो एक ऐसा ही संगठन है जिसने विश्व स्तरीय क्षमता को निर्मित किया है, उसे विकसित किया है तथा उसे दर्शाया है। पूरी दुनिया में अपना प्रभाव छोड़ने तथा सितारों तक पहुंचने की चाह होने के बावजूद यह महात्मा गांधी द्वारा निर्धारित राष्ट्रीय पुनर्निर्माण तथा आम आदमी के जीवन में सुधार के अपने प्रमुख मिशन पर अडिग रहा है।
राष्ट्रपति जी ने कहा कि थुंबा से पर्यावरणीय अध्ययन के लिए छोटे रॉकेटों के प्रक्षेपण की अपनी विनम्र शुरुआत करके इसरो आज विश्व की सबसे बड़ी छह अंतरिक्ष एजेंसियों में से एक है। इसने स्वदेशी ध्रुवीय उपग्रह प्रक्षेपण यान तैयार किया है जो अपनी श्रेणी के प्रक्षेपण यानों में दुनिया भर में सबसे अधिक मांग वाले यानों में से है। इसने अभी तक ध्रुवीय उपग्रह प्रक्षेपण यान की 29 सफल उड़ानें पूरी की हैं और उसके तहत न केवल भारतीय उपग्रह वरन 19 अन्य देशों के 45 उपग्रहों का प्रक्षेपण किया है। हाल ही में यू.के. के पांच उपग्रहों के प्रक्षेपण से इसने पीएसएलवी की उपलब्धि तथा विश्वसनीयता को दर्शाने में एक नई मंजिल हासिल की है। इसरो ने स्वदेशी क्रायोजेनिक इंजन के साथ एक जियोसिक्रोनस उपग्रह प्रक्षेपण यान भी सफलतापूर्वक निर्मित किया है। 24 सितंबर, 2014 को नया अंतरिक्ष इतिहास रचते हुए भारत ने सफलतापूर्वक मंगल परिक्रमा यान को मंगल की कक्षा में स्थापित किया। यह दुनिया भर में अकेला ऐसा देश है जिसने पहले ही प्रयास में यह कारनामा कर दिखाया तथा जो मंगल पर पहुंचने वाली दुनिया की चौथी अंतरिक्ष एजेंसी है। यह हमारे लिए और भी गर्व की बात है कि यह मिशन दूसरे सफल देशों की लागत के केवल थोड़े से हिस्से से पूरा किया गया। उन्होंने इसरो को भोजन एवं जल सुरक्षा, सतत् पर्यावरणीय परिपाटियों, संसाधनों के संरक्षण, आजीविका समर्थन, गरीबी उन्मूलन, ग्रामीण समृद्धि, शिक्षा तथा स्वास्थ्य देखभाल और आपदा प्रबंधन जैसी राष्ट्रीय प्राथमिकताओं को समर्थन देने के लिए जनोन्मुख अंतरिक्ष कार्यक्रम तैयार करने के लिए भी बधाई दी।
यह विज्ञप्ति 19:00 बजे जारी की गई।