राष्ट्रपति भवन : 25.06.2015
भारत के राष्ट्रपति, श्री प्रणब मुखर्जी ने आज (25 जून, 2015) पुणे में भारती विद्यापीठ के स्वर्ण जयंती समारोहों का उद्घाटन किया।
इस अवसर पर बोलते हुए, राष्ट्रपति जी ने कहा कि उन्हें भारती विद्यापीठ की स्वर्ण जयंती समारोहों के यादगार मौके पर उपस्थित होने पर खुशी हो रही है। वे इसे पूर्व 2010 में भारती विद्यापीठ विश्वविद्यालय के दीक्षांत समारोह के लिए उनके परिसर में आए थे। डॉ. कदम का सपना इस संगठन को पूर्ण विश्वविद्यालय के रूप में विकसित करने का था। डॉ. कदम का यह सपना 1996 में तब पूरा हुआ जब भारती विद्यापीठ के तहत संस्थानों के समूह को सम-विश्वविद्यालय का दर्जा प्रदान किया गया था। उन्होंने कहा कि कठिन परिस्थितियों पर विजय पाते हुए डॉ. कदम ने इस शिक्षा केंद्र को देश के एक ऐसे सबसे बड़े शैक्षणिक संगठन के रूप में विकसित किया जिसमें पूर्व प्राथमिक से लेकर स्नातकोत्तर तथा डाक्टरेट स्तर तक की 160 शिक्षण यूनिटें हैं। इसका ध्येय वाक्य ‘सोसल ट्रांसफार्मेशन थ्रू डायनेमिक एजुकेशन’ आज के संदर्भ में उपयुक्त है। शिक्षा की बहुत व्यापक रूपांतरकारी भूमिका है।
राष्ट्रपति जी ने कहा कि आज हमारे देश में 700 विश्वविद्यालयों और 36000 कॉलेजों का संजाल है। परंतु उच्च शिक्षा के भौतिक प्रसार के बावजूद अधिकतम संस्थानों में शिक्षा की गुणवत्ता अपेक्षा से नीचे है। राष्ट्रपति जी ने कहा कि वे उच्च शिक्षा संस्थानों में अपने व्याख्यानों के दौरान यह बात दोहराते रहे हैं कि हमारे किसी भी विश्वविद्यालय को विश्व के सर्वोच्च 200विश्वविद्यालयों के बीच स्थान नहीं मिल पाया है। यह न केवल इसलिए अत्यंत चिंता का विषय है कि बहुत से अन्य देशों के विश्वविद्यालय हमारे संस्थानों से बेहतर दर्जे पर हैं बल्कि इसलिए भी कि भारत के नालंदा, तक्षशिला,वल्लभी, सोमापुरी जैसे शिक्षा संस्थान अपने समय में प्रमुख शैक्षणिक संस्थान थे। हमारे पास प्रतिभा की कोई कमी नहीं है। हमारे पास प्रेरित शिक्षक भी हैं। राष्ट्रों के समुदाय में हमें अपना वाजिब स्थान की प्राप्ति में सहायता के लिए सर्वांगीण प्रयासों की जरूरत होगी। इसके अलावा,कौशल विकास कार्यक्रम को पूर्ण गंभीरता के साथ आगे बढ़ाना होगा,जिससे भविष्य में भारत की जनसंख्या की उस बढ़त से लाभ उठाया जा सके जब विश्व की दो तिहाई कामकाजी जनता भारत में रह रही होगी।
राष्ट्रपति जी ने कहा कि निजी शिक्षा संस्थान विश्वभर में उच्च शिक्षा सेक्टर में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभा रहे हैं। हार्वर्ड, येल तथा स्टॉनफोर्ड विश्वविद्यालय उच्च शिक्षा में निजी सेक्टर के प्रयासों के शानदार उदाहरण हैं। देश के उच्च शिक्षा संस्थानों के लिए उद्योग के साथ तालमेल रखना उचित रहेगा। प्रत्येक शिक्षा संस्थान पर अपने विद्यार्थियों में सामाजिक जागरूकता का समावेश करने की जिम्मेदारी है।
इस अवसर पर एक स्मृति चिह्न जारी किया गया और उसकी प्रथम प्रति राष्ट्रपति जी को भेंट की गई। राष्ट्रपति जी ने स्वर्ण जयंती संग्रहालय और स्वर्ण जयंती संशोधन भवन का भी उद्घाटन किया।
यह विज्ञप्ति 1940 बजे जारी की गई।