राष्ट्रपति भवन : 08.06.2015
भारत के राष्ट्रपति, श्री प्रणब मुखर्जी ने आज (08 जून 2015) राष्ट्रपति भवन में एक समारोह में श्रीमती निवेदिता जोशी द्वारा लिखित ब्रेल लिपि में एक योग नियमावली ‘योगिकास्पर्श’ की प्रथम प्रति प्राप्त की। राष्ट्रपति ने लोकसभा के पूर्व महासचिव, श्री सुभाष कश्यप, जिन्होंने इसका औपचारिक विमोचन किया था, से यह नियमावली ग्रहण की।
इस अवसर पर राष्ट्रपति ने कहा कि योग एक कला, विज्ञान और दर्शन है। यह आत्मानुभूति के लिए तन,मन और आत्मा की शक्तियों के संयोजन में मदद करता है। संभवत: योग ही व्यक्ति के शारीरिक, मानसिक, नैतिक और आध्यात्मिक स्वास्थ्य के लिए पूर्ण समाधान प्रस्तुत करता है। आधुनिक चिकित्सा विज्ञान ने सिद्ध कर दिया है कि योग के अभ्यास से न केवल तनाव कम होता है बल्कि इसके दीर्घकालिक लाभकारी प्रभाव होते हैं। योग संबंधी अनुशासन से न केवल अस्थिर मन पर संयम रखने में मदद मिलती है बल्कि उत्कृष्टता प्राप्त करने की प्रेरणा भी मिलती है।
राष्ट्रपति ने कहा कि ब्रेल में योग पुस्तिका का प्रकाशन सही दिशा में एक स्वागत योग्य अग्रणी कदम है। भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान दिल्ली के वैज्ञानिकों के साथ मिलकर योग की युवा शिक्षक, श्रीमती निवेदिता जोशी द्वारा तैयार की गई ब्रेल में योग पुस्तिका से हमारे युवाओं की रचनात्मकता की तेजस्वी झलक तथा हमारे प्रौद्योगिकीविदों की नवान्वेषी प्रतिभा प्रदर्शित होती है। यह भिन्न रूप से सक्षम लोगों के अदम्य उत्साह का सशक्त प्रमाण भी प्रस्तुत करती है।
राष्ट्रपति ने कहा कि भारत सरकार ने योग में अनुसंधान को प्रोत्साहित किया है तथा योग शिक्षा के लिए सुसज्जित केंद्र स्थापित किए हैं। उन्होंने प्रसन्नता व्यक्त की कि हाल ही में संयुक्त राष्ट्र आम सभा द्वारा 21 जून को भी अंतरराष्ट्रीय दिवस घोषित किया गया है। उन्होंने कहा कि उन्हें विश्वास है कि इससे योग को विश्वभर में लोकप्रिय बनाने में मदद मिलेगी तथा लोग इस अमूल्य भारतीय विरासत से लाभान्वित होंगे।
यह विज्ञप्ति1400 बजे जारी की गई।