राष्ट्रपति भवन : 24.03.2017
भारत के राष्ट्रपति, श्री प्रणब मुखर्जी ने आज (24 मार्च, 2017) पटना बिहार में ‘‘बिहार और झारखंड : साझे इतिहास से साझी संकल्पना तक’’ पर एक सम्मेलन का उद्घाटन किया। इस सम्मेलन का आयोजन एशियाई विकास अनुसंधान संस्थान द्वारा इसकी रजत जयंती समारोह के भाग के रूप में आयोजित किया जा रहा है।
इस अवसर पर राष्ट्रपति ने कहा कि वह अनेक अवसरों पर बिहार राज्य में आए हैं और इसकी प्रेरणादायी भूमि से सदैव प्रेरित हुए हैं। बिहार का प्राचीन इतिहास जिसका झारखंड एक भाग था, वास्तव में महान है। इसी प्रदेश में पहली बार बौद्ध धर्म का उदय हुआ और यहीं पर प्राचीन भारत के महान शिक्षा स्थल नालंदा और विक्रमशिला थे। समृद्ध खनिज संसाधनों और ऊर्वर मिट्टी वाली भूमि प्रदेशों के बावजूद यहां सापेक्ष आर्थिक प्रगति और विकास नहीं हो पाया।
राष्ट्रपति ने कहा कि बिहार और झारखंड के विकास की क्षमता और वास्तविकता में बहुत बड़ा अंतर है। बिहार की भूमि उपजाऊ है और झारखंड में प्रचुर खनिज संसाधन हैं जिनसे बहुत से विद्वान आकर्षित हुए हैं। इस संबंध में हमें इतिहास का केवल एक महत्वपूर्ण सबक याद रखना चाहिए कि इतिहास का बोझ चाहे कितना ही भारी हो कि वह उपयुक्त सामाजिक एकजुटता और राजनीतिक पहल द्वारा वास्तव में कम किया जा सकता है। हमें यह भी महसूस करना चाहिए कि बिहार और झारखंड जैसे अत्यंत पिछड़े हुए प्रदेशों के लिए विकास की कार्यनीति हेतु नीति-निर्माताओं को पूर्व में विकसित देशों या प्रदेशों के औद्योगिकीकरण के पथ का अंधानुकरण न करके अर्थव्यवस्था की उत्पादनकारी शक्तियों का प्रयोग करना चाहिए। इसलिए एक ऐसे लक्ष्यकारी अनुसंधान की आवश्यकता है जो प्रदेशों के सर्वोत्तम हितों के अनुकूल समुचित नीतियों की पहचान कर सके।
राष्ट्रपति ने कहा कि उन्हें यह जानकर अत्यंत प्रसन्नता हुई कि एशियाई विकास अनुसंधान संस्थान ऐसे संस्थानों में से है जो विगत 25 वर्षों के दौरान सामाजिक विज्ञान अनुसंधान में सक्रिय रहा है। उन्होंने आशा व्यक्त की कि यह आने वाले वर्षों में अपने प्रयासों को जारी रखेगा और शैक्षिक प्रयासों के नए शिखर छुएगा तथा साथ ही साथ विभिन्न विकास एजेंसियों को मूल्यवान अनुसंधान सहयोग प्रदान करेगा।
यह विज्ञप्ति 1820 बजे जारी की गई।