राष्ट्रपति भवन : 02.02.2016
भारत के राष्ट्रपति श्री प्रणब मुखर्जी ने आज (2 फरवरी, 2016) जयपुर में आतंकरोधी सम्मेलन-2016 का उद्घाटन किया।
इस अवसर पर राष्ट्रपति ने कहा कि निस्संदेह आतंकवाद वर्तमान में मानवता के प्रति एकमात्र सबसे गंभीर खतरा है। आतंकवाद एक विश्व खतरा है जो सभी राष्ट्रों के लिए एक अभूतपूर्व चुनौती पैदा कर रहा है। कोई भी कारण आतंकवादी कृत्यों को न्यायसंगत नहीं ठहरा सकता। यह अत्यावश्यक है कि विश्व एकजुट होकर बिना राजनीतिक सोच-विचार के आतंकवाद के विरुद्ध कार्रवाई करे। इसलिए, चाहे कोई कारण या स्रोत हो आतंकवादी को न्यायसंगत न ठहराने का संकल्प लेना होगा।
राष्ट्रपति ने कहा कि आतंकरोधी रणनीति का एक महत्त्वपूर्ण पहलू गोपनीय सूचनाओं के संग्रहण और मिलान के जरिए हमलों को रोकने के लिए क्षमता निर्माण, प्रौद्योगिक क्षमताओं का विकास, विशेष बलों की स्थापना तथा विशेष कानूनों को लागू करना है। यद्यपि हमने इस दिशा में कुछ तंत्रों का विकास किया है परंतु इन प्रयासों को तेज करने की अभी और गुंजायश है।
राष्ट्रपति ने कहा कि आतंकवाद विरोध का अर्थ सामान्यत: कार्यनीतियों, शस्त्रों, बल के स्तरों और गोपनीय सूचनाओं का संग्रहण माना जाता है। ये तत्त्व महत्त्वपूर्ण हैं परंतु प्रमुख जोर आतंकवाद के राजनीतिक प्रबंधन पर होना चाहिए। इसमें विचारधारा के मुद्दों पर ध्यान देना तथा उन देशों से निपटना शामिल है जो आतंकवाद को प्रायोजित या उनका सहयोग करते हैं। यह अत्यावश्यक है कि विश्व एक स्वर में, बिना भेदभाव के आतंकवाद के सभी तरीकों को अस्वीकार करे तथा उन राष्ट्रों पर प्रतिबंध लगाए जो राज्य नीति के साधन के तौर पर आतंकवाद को सहयोग या प्रायोजित करते हैं। हम इस सच्चाई को नहीं भूल सकते कि नागरिक समाज मोर्चा और रण क्षेत्र दोनों हैं जिसकी सुरक्षा और हिफाजत करनी होगी। नागरिक समाज की एकजुटता की बजाय उसका विघटन करना बुद्धिमत्तापूर्ण कार्यनीति नहीं है। बाद वाला रास्ता कट्टरतावाद की ओर जाता है जिससे बाद में स्पर्द्धात्मक हिंसा पैदा होती है। सामाजिक अखंडता की इस प्रक्रिया में प्रबुद्धजनों और नागरिक समाज को बड़ी भूमिका निभानी है।
राष्ट्रपति ने कहा कि हमारे आतंकरोधी प्रयास को और लक्ष्यपूर्ण, एकाग्र, अधिक उद्देश्यपरक और कार्यकुशल बनाना होगा। ऐसा करते समय सदैव यह दुविधा रहती है कि क्या हम व्यक्तिगत स्वतंत्रता अथवा मानवाधिकारों को नुकसान पहुंचा रहे हैं? इसलिए हमें व्यापक स्वतंत्रताओं और लोकतांत्रिक मूल्यों की रक्षा के प्रति सजग रहना है। हमें जन-विचार बदल कर, समाज निर्माण तथा गोपनीय सूचनाओं के आदान-प्रदान में अंतरराष्ट्रीय सहयोग पर आधारित एक ठोस और समेकित आतंकवादरोधी नीति बनाकर सभी स्तरों पर इस बुराई से मुकाबला करना होगा।
इस अवसर पर, डॉ. अब्दुल्ला अब्दुल्ला, अफगानिस्तान इस्लामिक गणराज्य के मुख्य कार्यकारी, श्री कल्याण सिंह, राजस्थान के राज्यपाल, श्रीमती वसुंधरा राजे सिंधिया, राजस्थान की मुख्य मंत्री तथा श्री सुरेश प्रभु, केंद्रीय रेल मंत्री उपस्थित गणमान्यों में शामिल थे।
यह विज्ञप्ति 1915 बजे जारी की गई