भारत के राष्ट्रपति ने 1965 के युद्ध में भाग लेने वाले योद्धाओं को चायपान पर आमंत्रित किया
राष्ट्रपति भवन : 22.09.2015


भारत के राष्ट्रपति, श्री प्रणब मुखर्जी ने आज (22 सितंबर, 2015) राष्ट्रपति भवन में 1965के युद्ध में भाग लेने वाले योद्धाओं को चायपान पर आमंत्रित किया।

इस अवसर पर, राष्ट्रपति जी ने 1965 के युद्ध के चार योद्धाओं अर्थात् भारतीय वायु सेना के मार्शल अर्जन सिंह, डीएफसी; कंपनी क्वार्टर मास्टर हवलदार अब्दुल हमीद, परमवीर चक्र (मरणोपरांत); ले. कर्नल ए.बी. तारापोर, परमवीर चक्र (मरणोपरांत) तथा चमन लाल, अशोक चक्र (मरणोपरांत) को सम्मानित किया। स्वर्गीय कंपनी क्वार्टर मास्टर हवलदार अब्दुल हमीद, स्वर्गीय ले. कर्नल ए.बी. तारापोर तथा स्वर्गीय श्री चमन लाल के लिए क्रमश: श्रीमती रसूनन बीबी, श्रीमती ज़रीन माहिर तथा श्रीमती आशा रानी ने सम्मान ग्रहण किया।

भारतीय वायु सेना के मार्शल, अर्जन सिंह, डीएफसी 1965 में वायु सेनाध्यक्ष थे। उन्होंने युद्ध के दौरान वायु सेना का नेतृत्व किया और सफल नेतृत्व और अत्यंत क्षमता दिखाई। स्क्वाड्रन लीडर के रूप में उन्होंने 1944 में अराकान की मुहिम के दौरान जापानियों के खिलाफ स्क्वाड्रन का नेतृत्व किया था, जिसके लिए उन्हें उसी वर्ष विशिष्ट उड़ान पदक प्राप्त हुआ था। अर्जन सिंह को वायु सेना में उनके नेतृत्व के लिए पद्म भूषण से पुरस्कृत किया गया था। उनकी सेवाओं के सम्मान में भारत सरकार ने उन्हें जनवरी 2002में भारतीय वायुसेना के मार्शल का रैंक प्रदान किया था, जिससे वे भारतीय वायु सेना के प्रथम और अकेले ‘पांच सितारा’ रैंक अधिकारी बन गए।

ले. कर्नल अरदेशिर बुरजोर जी तारापोर, कमांडेंट, पूना हॉर्स ने फिल्लोर जस्सोरण और बुटूर-डोगरांडी में सितंबर 1965 के दौरान छह दिन तक भारी टैंक युद्ध लड़ा। 16 सितंबर, 1965 को उन्हें गंभीर घाव लगे तथा युद्ध के मैदान में ही वीरगति को प्राप्त हुए। अपने पराक्रम, निडरता, दृढ़ संकल्प तथा वीरता के लिए उन्हें मरणोपरांत परमवीर चक्र प्रदान किया गया।

कंपनी क्वार्टर मास्टर हवलदार अब्दुल हमीद, चौथी बटालियन, ग्रेनेडियर्स उस समय 106 मि.मी. रिकायलैस टैंकरोधी तोप से सज्जित टुकड़ी के कमांडर थे, जब पाकिस्तानी तोपों ने पंजाब के खेमकरण सेक्टर में 10 सितंबर1965 को उन पर तोप के गोले बरसाए। उन्हें इस आक्रमण में साहसपूर्ण कार्रवाई के लिए मरणोपरांत परमवीर चक्र प्रदान किया गया था।

श्री चमन लाल 1965 के भारत-पाक युद्ध के दौरान उत्तर रेलवे में तैनात थे। 13 सितंबर, 1965 को वह गुरदासपुर रेलवे स्टेशन पर खड़ी डीजल वाहक मालगाड़ी में फायरमैन थे। अचानक मालगाड़ी पर पाकिस्तानी एफ-86 सेब्रे विमानों ने आक्रमण कर दिया। श्री चमन लाल ने न केवल वैगनों और बहुमूल्य सामान को नष्ट होने से बचाया वरन् सैकड़ों लोगों की जान भी बचाई। उनके अनुकरणीय साहस, दूरदर्शिता तथा आत्म-बलिदान के लिए उन्हें मरणोपरांत अशोक चक्र प्रदान किया गया।

यह विज्ञप्ति 14:00 बजे जारी की गई।

समाचार प्राप्त करें

Subscription Type
Select the newsletter(s) to which you want to subscribe.
समाचार प्राप्त करें
The subscriber's email address.