राष्ट्रपति भवन : 23.03.2013
भारत के राष्ट्रपति, श्री प्रणब मुखर्जी ने, प्रति वर्ष 24 मार्च को मनाए जाने वाले विश्व क्षयरोग दिवस पर अपने संदेश में कहा:-
‘‘विश्व क्षयरोग दिवस के अवसर पर मैं राष्ट्रीय क्षयरोग कार्यक्रम के नेतृत्व में, विभिन्न स्टेकधारकों द्वारा किए गए असाधारण कार्य की प्रशंसा करता हूं। 1998 से, डॉट्स कार्ययोजना की सफलता के कारण पूरे भारत में 14.2 मिलियन से अधिक लोगों ने उपचार प्राप्त किया।
तथापि, यह चिंता की बात है कि भारत में अभी भी पूरे विश्व में सबसे अधिक क्षयरोगी हैं। क्षयरोग नियंत्रण में सबसे बड़ी चुनौती, क्षयरोग की औषधि प्रतिरोधी किस्मों का पता लगाना और उनका प्रबंधन है। इस तरह की चुनौतियों से अनुसंधान और विकास की जरूरत का पता चलता है जिससे तेजी से नए निदान, औषधियां तथा टीकों को आरंभ किया जा सके।
भारत क्षयरोग के खिलाफ लड़ता रहा है और यह लड़ाई जारी रखेगा। पिछले वर्ष सरकार ने नवीन नीतियां शुरू की, जिसमें क्षयरोग के लिए त्रुटिपूर्ण रक्त परीक्षण पर प्रतिबंध तथा क्षयरोग को एक सूचनीय रोग घोषित करना शामिल है। भारत द्वारा अगले पांच वर्षों के अंदर, आर्थिक अथवा सामाजिक हैसियत पर ध्यान दिए बिना, ‘सभी को गुणवत्तायुक्त निदान तथा उपचार’ प्रदान करने की परिकलपना की गई है।
इस अवसर पर, मैं सभी स्टेकधारकों का आह्वान करता हूं कि वे सभी क्षयरोग के विरुद्ध लड़ाई के लिए मिलकर कार्य करें तथा शून्य क्षयरोग मृत्यु के लक्ष्य की प्राप्ति के लिए, सभी जरूरी उपाय करें।
आइए, हम सभी क्षयरोग-मुक्त भारत की प्राप्ति के लिए मिलकर कार्य करें।’’
यह विज्ञप्ति 12:00 बजे जारी की गई