तुर्की की राजकीय यात्रा से वापसी के दौरान विशेष विमान में भारत के राष्ट्रपति, श्री प्रणब मुखर्जी का मीडिया को दिया गया वक्तव्य

Rashtrapati Bhavan : 07-10-2013

मैंने तुर्की गणराज्य की एक उपयोगी राजकीय यात्रा पूरी कर ली है। 15 वर्षों में किसी भारतीय राष्ट्रपति की यह पहली यात्रा थी। तुर्की के राष्ट्रपति और प्रधान मंत्री ने इस यात्रा की सराहना की। मैंने जिन स्थानों की यात्रा की उन सभी स्थानों पर मेरा गर्मजोशी से स्वागत हुआ। मैं खासतौर से विश्व के प्राचीनतम् विश्वविद्यालयों में से एक इस्तांबुल विश्वविद्यालय का, मुझे राजनीति विज्ञान की मानद उपाधि प्रदान किए जाने पर आभारी हूं। यह केवल मेरा व्यक्तिगत नहीं बल्कि भारत और सभी भारतीयों का सम्मान है। मैंने तुर्की के एक विश्व धरोहर स्थल, कप्पाडोसिया की यात्रा की और मैं इस क्षेत्र के प्राकृतिक सौंदर्य तथा इस देश के अनेक पर्यटन स्थलों से बहुत प्रभावित हुआ।

2. राष्ट्रपति गुल और प्रधानमंत्री एर्डोगन के साथ मेरी मुलाकात गर्मजोशी से भरी हुई और सद्भावनापूर्ण रही। विदेश मंत्री दावुटोगलु ने भी मुझसे भेंट की। तुर्की के नेताओं के साथ मेरा द्विपक्षीय, बहुपक्षीय और वैश्विक मुद्दों पर विस्तृत विचार-विमर्श हुआ। हम इस बात पर सहमत थे कि अनेक वैश्विक मुद्दों और हमारे पड़ोस के घटनाक्रम पर हमारे समान विचार हैं। हमने निर्णय लिया कि भारत और तुर्की को हमारे हितों के सभी क्षेत्रों पर विचारों के आदान-प्रदान के लिए व्यापक संवाद-तंत्र आरंभ करने चाहिए। इनके तहत संयुक्त राष्ट्र, जी-20 और अन्य बहुपक्षीय समूहों तथा जलवायु परिवर्तन, सतत् विकास, खाद्य सुरक्षा और ऊर्जा सुरक्षा में सहयोग जैसे मुद्दे शामिल हो सकते हैं।

3. राष्ट्रपति गुल और प्रधानमंत्री एर्डोगन दोनों ही मुझ से सहमत थे कि आतंकवाद विश्व के लिए खतरा पैदा कर रही एक बुराई है और हमें इससे व्यक्तिगत और सामूहिक दोनों स्तरों पर निपटना होगा। हमने आतंकवाद, विशेषकर सीमापार आतंकवाद से सम्बन्धित अपनी समस्याओं के बारे में तुर्की के नेताओं को अवगत करवाया। हमने पाकिस्तान के साथ मैत्रीपूर्ण संबंधों और शांति को बढ़ावा देने के हमारी सरकार के प्रयासों के बारे में भी बताया। हम इस बात पर सहमत थे कि आतंकवाद क्रूरतापूर्ण विध्वंश करता है और इसका न कोई धर्म है और न ही मित्र है। प्रधानमंत्री एर्डोगन ने कहा कि तुर्की आतंकवाद से निपटने के भारत के अनुभव से सीखना चाहेगा। उनका कहना था कि यह एक ऐसा खतरा है, जिसका तुर्की भी सामना कर रहा है।

4. हम इस बात पर सहमत थे कि अफगानिस्तान में लोकतंत्र और विकास को सहयोग दिए जाने की आवश्यकता है। तुर्की ने उस देश में क्षमता विकास और विकासात्मक परियोजनाओं में हमारी उल्लेखनीय भूमिका की सराहना की। तुर्की भी भारत की तरह ही अफगानिस्तान में अनेक विकास गतिविधियों में शामिल है तथा प्रधानमंत्री एर्डोगन ने पुष्टि की कि 2014 के बाद भी वे शांति और स्थिरता को बढ़ावा देना जारी रखेंगे। हम इन समान विचारों पर आगे बढ़ने पर सहमत हुए।

5. हमने, अपने व्यापार और निवेश दोनों में, आर्थिक सहयोग में वृद्धि पर संतोष व्यक्त किया। तथापि, हमने महसूस किया कि इस सहयोग को और अधिक बढ़ाने की काफी संभावना है। हमने आर्थिक सहयोग के सभी पहलुओं पर विचार के लिए नई दिल्ली में शीघ्र ही संयुक्त आर्थिक समिति की बैठक बुलाने का निर्णय लिया। हमने भारत के साथ तुर्की के व्यापार संतुलन की प्रतिकूलता पर ध्यान दिया और तुर्की की कंपनियों द्वारा भारत में निवेश बढ़ाकर और पर्यटन आदान-प्रदान के द्वारा इसके समाधान के लिए सहमत हुए। इस संदर्भ में, हमने अगले पांच वर्षों के दौरान ढांचागत सुविधाओं में लगभग एक ट्रिलियन अमरीकी डॉलर निवेश करने की हमारी महत्वाकांक्षी योजना के बारे में तुर्की के नेताओं को जानकारी दी और इन क्षेत्रों में अत्यधिक मजबूत तुर्की कम्पनियों को इन क्षेत्रों में निवेश करने के लिए आमंत्रित किया। भारत और तुर्की की कम्पनियां तीसरे देशों में संयुक्त उद्यम के अवसरों की संभावना भी तलाश सकती हैं। इसके लिए सूचना प्रौद्योगिकी की पहचान संभावनाओं के क्षेत्र के रूप में की गई।

6. इस यात्रा के दौरान, हमने अपने राष्ट्रीय प्रसारणकर्ताओं और उनके तुर्की के समकक्षों के बीच सहयोग, विज्ञान और प्रौद्योगिकी में सहयोग, हमारे मध्यम और लघु उद्योगों के बीच सहयोग तथा हमारे राष्ट्रीय अभिलेखागारों के बीच आदान-प्रदान पर पांच अन्तर सरकारी समझौते किए।

7. हमने चार निर्यात नियंत्रण व्यवस्थाओं की पूर्ण सदस्यता के लिए भारत के प्रयासों के बारे में तुर्की नेताओं को अवगत कराया तथा परमाणु अप्रसार के बारे में हमारे बेदाग रिकॉर्ड पर जोर दिया। हम इस बात पर सहमत थे कि तुर्की और भारत इस मामले पर चर्चा और विचार-विमर्श जारी रखेंगे। विदेश मंत्री दावुटोगलु ने मुझे सूचित किया कि तुर्की भारत का सहयोग करेगा परंतु इस मामले पर अन्य परमाणु आपूर्तिकर्ता समूह के सदस्यों के साथ विचार-विमर्श की जरूरत होगी।

8. बेल्जियम की यात्रा के बाद, अपनी टिप्पणियों में मैंने अपनी शैक्षिक संस्थाओं में अनुसंधान और नवान्वेषण के स्तर को प्रोत्साहित करने के अपने प्रयासों का उल्लेख किया। मुझे खुशी है कि चार प्रमुख भारतीय विश्वविद्यालयों ने संकाय, विद्यार्थी और अनुसंधान के क्षेत्र में आदान-प्रदान को बढ़ावा देने के विचार से तुर्की के अपने समकक्ष विश्वविद्यालयों के साथ छह समझौते किए।

9. मैंने राष्ट्रपति गुल को भारत-यात्रा का निमंत्रण दिया। इसे स्वीकार करते हुए, उन्होंने हमारे देश के प्रति अपना सम्मान और आदर व्यक्त किया। प्रधानमंत्री एर्डोगन ने भी मुझे प्रधानमंत्री के लिए तुर्की की यात्रा के बहुत दिनों से लंबित निमंत्रण के बारे में उन्हें सूचित करने के लिए कहा ।

10. मैं मानता हूं कि तुर्की के नेताओं के साथ मेरी बातचीत के दौरान, हमने अनेक क्षेत्रों में प्रगति की है। तुर्की अपने क्षेत्र में एक महत्त्वपूर्ण देश है और विश्व की उभरती अर्थव्यवस्थाओं में से एक है।

11. सभी क्षेत्रों में हमारे सहयोग में विस्तार की अच्छी संभावनाएं हैं और हम सभी क्षेत्रों में और स्तरों पर इसके लिए ठोस बातचीत जारी रखना चाहते हैं।

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