राष्ट्रपति ने कहा, सहिष्णुता और सहअस्तित्व हमारी सरकार के प्रमुख सिद्धांत हैं

Rashtrapati Bhavan : 08-10-2015

भारत के राष्ट्रपति, श्री प्रणब मुखर्जी ने कहा है कि सहिष्णुता और सहअस्तित्व हमारी सभ्यता के प्रमुख सिद्धांत हैं। वह 10 से 15 अक्तूबर, 2015 तक जॉर्डन, फिलस्तीन और इजराइल की अपनी यात्रा की पूर्व संध्या पर जॉर्डन के एक अरबी समाचारपत्र अल घाद के लिखित प्रश्नों का उत्तर दे रहे थे।

राष्ट्रपति ने कहा, ‘मैंने इस वर्ष 29 सितम्बर को संयुक्त राष्ट्र आम सभा में महामहिम शाह अब्दुल्ला के भाषण पर गौर किया था जिसमें उन्होंने उग्रवाद के सम्मुख सहिष्णुता और सह-अस्तित्व के मूल्यों के प्रोत्साहन के लिए सात उपायों का प्रस्ताव किया था। सहिष्णुता और सहअस्तित्व हमारी सभ्यता के मूल सिंद्धांत हैं। ये हमें हृदय से प्रिय हैं। हमारे प्रथम प्रधान मंत्री जवाहरलाल नेहरू ने राष्ट्रों के बीच शांतिपूर्ण सहअस्तित्व के पांच सिद्धांत प्रस्तुत किए। मैं महामहिम शाह अब्दुल्ला से सहमत हूं कि विश्व तीसरे विश्वयुद्ध का सामना कर रहा है जिसका हमें समान तीव्रता से प्रत्युत्तर देना चाहिए। मैं इस पर भी सहमत हूं कि हमें अपने-अपने विश्वास और मजहब के सार को पुन: ग्रहण करना चाहिए। घृणास्पद भाषण और भय उत्पादन बंद होना चाहिए। हमारे मूल्य हमारे दैनिक जीवन का हिस्सा होने चाहिए। हमें उदारता का स्वर ऊंचा करना होगा। हमें धर्म को कुछ लोगों की सत्ता और नियंत्रण को संतुष्ट करने का साधन नहीं बनने देना चाहिए। मैं पूरी तरह मानता हूं कि प्रत्येक देश, प्रत्येक विश्वास,प्रत्येक पड़ोस के नेताओं को महामहिम के कथनानुसार, किसी भी प्रकार की सहिष्णुता के विरुद्ध स्पष्ट और सार्वजनिक रूख अपनाना चाहिए।’

यह विज्ञप्ति1800 बजे जारी की गई।

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