राष्ट्रपति जी ने कहा कि असहिष्णुता, कट्टरता तथा आतंकवाद से ग्रस्त विश्व के आगे बढ़ने के लिए, टैगोर तथा गांधी जी के आदर्श सबसे अच्छा मार्ग दिखाते हैं

Rashtrapati Bhavan : 03-06-2015

भारत के राष्ट्रपति, श्री प्रणब मुखर्जी ने कल (02 जून 2015) स्वीडन के उप्पसाला विश्वविद्यालय में ‘टैगोर और गांधी: क्या विश्व शांति के लिए उनकी समसामयिक प्रासंगिकता है?’ विषय पर एक जन-व्याख्यान दिया।

राष्ट्रपति जी ने अपने व्याख्यान में कहा कि टैगोर और गांधीजी द्वारा प्रचारित सत्य, खुला मन,संवाद तथा अहिंसा के विचार असहिष्णुता, कट्टरता तथा आतंकवाद से ग्रस्त विश्व के आगे बढ़ने के लिए सबसे अच्छा मार्ग दिखाते हैं। जोर-शोर से, संघर्षों और तनावों के स्थाई समाधान के लिए प्रयासरत विश्व में उनके मूल्य और परिकल्पनाएं आज जितनी प्रासंगिक हैं उतना पहले कभी नहीं थी। इसलिए इन आदर्शों को दूर-दूर तक, विशेषकर युवाओं के बीच, फैलाने की जरूरत है।

राष्ट्रपति जी ने कहा कि अपनी 1.25बिलियन जनता के साथ भारत सदियों से विभिन्न जातीयताओं और धर्मों का सौहार्दपूर्ण संगम स्थल बना रहा है। हमारी यह स्पष्ट राय है कि स्थाई शांति केवल आपसी सम्मान की नींव पर ही खड़ी हो सकती है, जिसकी वकालत टैगोर और गांधीजी दोनों ही बढ़-चढ़कर करते थे। स्थाई शांति की स्थापना केवल मानवता की नैतिक तथा बौद्धिक एकजुटता के आधार पर ही स्थापित हो सकती है। केवल राजनीतिक एवं आर्थिक करारों से ही स्थाई शांति स्थापित नहीं हो पाएगी। शांति केवल इस विश्वास पर स्थापित हो सकती है कि मानव मात्र एक है।

 

यह विज्ञप्ति1130 बजे जारी की गई।

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