भारतीय समुदाय और भारत के मित्रों को भारत के राष्ट्रपति श्री प्रणब मुखर्जी का संबोधन

Amman, Jordan : 10-10-2015

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Address By The President Of India, Shri Pranab Mukherjee To Indian Community And Friends Of Indiaरायल हाईनेस, प्रिंसेस विज़दान,

जार्डन के महामहिम प्रधानमंत्री डॉ. अब्दुल्ला एन्सोर,

माननीय मंत्रीगण,

जॉर्डन की संसद के सदस्य,

भारत के राजदूत, श्री अनिल त्रिगुणायत,

विशिष्ट देवियो और सज्जनो,

भारत के राष्ट्रपति की जॉर्डन की प्रथम सरकारी यात्रा पर आकर मैं बहुत खुश हूं।

सर्वप्रथम, मैं आपको भारत सरकार और उसकी जनता की ओर से हार्दिक शुभकामनाएं देता हूं। मेरे साथ सामाजिक न्याय और अधिकारिता मंत्री,श्री थावर चंद गहलोत,भारतीय संसद के विशिष्ट सांसद, विख्यात भारतीय विश्वविद्यालयों के कुलपति और भारत सरकार के वरिष्ठ अधिकारी आए हैं। हम आप सभी से मिलने के लिए उत्सुक हैं। यद्यपि हमें यहां पहुंचे हुए अभी कुछ ही घंटे हुए हैं,मैं अपने समस्त शीर्ष मंडल की ओर से विश्वसनीय रूप से कहता रहा हूं कि हमारा आज का दिन अविस्मरणीय रहा। हमारे प्रति अम्मान के लोगों के प्यार और सौहार्द का हम पर एक चिरस्थायी प्रभाव पड़ा है।

राजदूत त्रिगुणायत ने मुझे बताया कि भारतीय समुदाय और जॉर्डन के मित्र ने,जिनमें से अनेक आज यहां पर मौजूद हैं, जॉर्डन और भारत के बीच सहयोग को सुदृढ़ करने में असाधारण भूमिका निभा रहे हैं।

मुझे जानकारी दी गई है कि जॉर्डन में भारतीय समुदाय को सदैव स्वागत योग्य और आरामदायक महसूस कराया गया है। मैं महामहिम शाह अब्दुल्लाह-II,और जार्डन की सरकार और जनता का एक ऐसा वातावरण तैयार करने के लिए धन्यवाद देता हूं जिससे हमारे लोगों को समृद्ध होने में और इस महान राष्ट्र की प्रगति और विकास में पूर्ण मनोयोग से योगदान देने में मदद मिली है। भारत की सरकार और जनता में भी,जार्डन के लोगों के लिए अत्यंत सौहार्द और प्यार है और वे साझे हितों के सभी क्षेत्रों में हमारे संबंधों को आगे बढ़ाने की उम्मीद करते हैं।

मैं आपको बताना चाहता हूं कि आज महामहिम अब्दुल्लाह-II के साथ मेरा बहुत अच्छा विचार विमर्श हुआ।

मैंने इस अवसर पर 1991 में खाड़ी संकट के दौरान भारतीयों की इराक से निकासी में और दोबारा2014 में इराक की अशांत स्थिति में उनके पलायन के समय,जार्डन द्वारा दी गई मानवीय सहायता के लिए महामहिम का धन्यवाद किया था।

हम भारत में, जार्डन और भारत के संबंधों के संवर्धन में महामहिम और सरकार के व्यक्तिगत योगदान को बहुत मूल्यवान मानते हैं।

मुझे यह कहते हुए प्रसन्नता हो रही है कि मेरी यात्रा ऐसे समय पर हो रही है जब भारत सरकार ने भारत में विनिर्माण क्षेत्र को बढ़ावा देने,विदेशी प्रत्यक्ष निवेश को प्रोत्साहित करने तथा भारत के बुनियादी ढांचे को विकास में भागीदारी के लिए निवेशकों का स्वागत करने के उद्देश्य से अनेक उपाय आरंभ किए हैं। भारत एक तीव्र विकासशील अर्थव्यवस्था और बढ़ता हुआ बाजार है। इसलिए हम दोनों देशों के लिए यह समय हमारे सहयोग की पहचान करने और हमारे लोगों के परस्पर लाभ हेतु कार्य करने का अवसर है।

मैं कल प्रधानमंत्री डॉ. अब्दुल्लाह एन्सोर और उपप्रधानमंत्री और विदेश मंत्री नसीर जुदेह से भेंट करूंगा। मुझे महात्मा गांधी के नाम पर प्रमुख गली का नामकरण में भारत की जनता का प्रतिनिधित्व करने का सम्मान प्राप्त होगा। यह भावाभिव्यकित न केवल हमारे राष्ट्रपिता को श्रद्धांजलि देने के लिए है बल्कि उनके शांति और अहिंसा संबंधी सार्वभौमिक संदेश की सतत प्रासंगिकता की पहचान के लिए भी है।

मित्रो, हम भारत में जार्डन के हाश्मिते किंगडम को इस भू-भाग में शांति और प्रगति का नखलिस्तान समझते हैं। हम महामहिम शाह की प्रगतिशील नीतियों की सराहना करते हैं और लगभग पंद्रह लाख उन निर्दोष पुरुषों,महिलाओं और बच्चों को शरण देने की उनकी मानवता की प्रशंसा करते हैं जो युद्ध विभीषिका में अपने घरों से बेघर हो गए थे। हम इस क्षेत्र और उससे बाहर समुदायों के बीच सहिष्णुता और सद्भावना पैदा करने के उनके प्रयास और अथक परिश्रम की प्रशंसा करते है। हमें विश्वास है कि सांप्रदायिक हिंसा और घृणा का त्याग और इसके स्थान पर सहिष्णुता, मानवता और शांतिपूर्ण सहअस्तित्व को अपनाना सभी पक्षों के लिए तात्कालिक और अनिवार्य हो गया है। राष्ट्रपिता गांधीजी का यह विश्वास था कि,

‘‘यह प्रेम का सिद्धांत है जिससे मानवता चलायमान रहती है। यदि हिंसा अर्थात् घृणा का हम पर प्रभुत्व होता तो हम बहुत पहले समाप्त हो चुके होते। फिर भी दु:ख इस बात का है कि तथाकथित मनुष्य और राष्ट्र इस प्रकार आचरण करते हैं जैसे कि समाज का आधार हिंसा हो।’’

मित्रो, जॉर्डन की तरह, भारत भी युवा देश है। हमारी जनसंख्या का 65 प्रतिशत 35वर्ष से कम आयु का है। प्रत्येक वर्ष लगभग एक करोड़ भारतीय युवा नौकरियों के बाजार में प्रवेश करते हैं। हमारे दोनों देश हमारे मौजूदा अभूतपूर्व जनसांख्यिकीय लाभ का फायदा उठाने की अनुकूल स्थिति में हैं। आगामी कुछ दशकों में उच्च और सतत् विकास दर हासिल करने हेतु अनुकूल आर्थिक वातावरण तैयार करने, भारत सरकार प्रक्रियाओं के सरलीकरण,अधिक से अधिक जवाबदेही आरंभ करने, सही निर्णय करने तथा हमारे कानूनों और विनियमनों को युक्तिसंगत बनाने पर ध्यान दे रही है। मैं समझता हूं कि जॉर्डन भी अपने युवाओं के प्रति इसी प्रकार प्रतिबद्ध होने के लिए ऐसे ही उपाय कर रहा है। तथापि, सरकारों द्वारा सुगम्य उपाय अमल में लाए जा रहे हैं परंतु अधिक व्यापार तभी संभव होगा जब दोनों ओर से कारोबारी समुदाय इस प्रक्रिया में पूर्ण मनोयोग से भाग लें। इस दिशा में,हम भारतीय साझे हितों और आवश्यकता पूर्ति में जार्डन के साथ अपने वर्तमान सहयोग को और आगे बढ़ाने के लिए प्रतिबद्ध हैं।

मेरी यात्रा के दौरान किए गए सहयोग के लिए संपन्न समझौता ज्ञापन और करार एक कुशल और परिणामोन्मुख संबंध के लिए विस्तृत संस्थागत ढांचा प्रदान करने में हमारी सरकारों के प्रयासों में अवश्य योगदान देंगे। मुझे यह जानकर खुशी हुई है कि विशाल भारतीय व्यापार शिष्टमंडलों ने जॉर्डन के व्यापार मेले में और उसके बाद हाल ही में हुई संयुक्त आयोग की बैठक में भाग लिया है;पहला भारत-जॉर्डन सीईओ व्यापार मंच इस वर्ष के अंत में नई दिल्ली में आयोजित किया जाएगा।

हमारा द्विपक्षीय व्यापार वर्ष 2014 में 2बिलियन अमरीकी डालर को पार कर गया है। वास्तव में, हमारा कुल गैर तेल द्विपक्षीय व्यापार 2006 में केवल570मिलियन अमरीकी डालर था जो 2014 में दोगुना होकर1.89 बिलियन डालर हो गया। हमने 2025 तक द्विपक्षीय व्यापार का 5 बिलियन अरब डालर का लक्ष्य निर्धारित किया है,जो मुझे विश्वास है कि पूरी तरह प्राप्त किया जा सकता है। भारत जॉर्डन के चौथे सबसे बड़े व्यापार साझीदार के रूप में उभरकर आया है और यहां से रॉक फास्फेट,पोटाश और परिष्कृत उर्वरक के मुख्य आयातकों में से एक है। अत्याधुनिक संयुक्त उद्यम परियोजना हमारे सफल सहयोग का एक उदाहरण है। मुझे बताया गया है कि जॉर्डन परिवहन,नवीकरणीय ऊर्जा, सूचना प्रौद्योगिकी,सूचना प्रौद्योगिकी सहायक सेवाओं और दवा-निर्माण जैसे अनेक क्षेत्रों में भारतीय कंपनियों की और अधिक सहभागिता के लिए उत्सुक है। मैं भारतीय निवेशकों को सहयोग के इन अवसरों पर विचार करने के लिए प्रोत्साहित करता हूं।

भारत की जॉर्डन के नागरिकों को पिछले नवम्बर से ‘ई-पर्यटन वीसा’सुविधा देने की पहल हमारे देशों के बीच पर्यटन बढ़ाने और लोगों का लोगों से संपर्क प्रोत्साहित करने की हमारी प्रतिबद्धता पर आधारित है। मैं इस दिशा में आपकी ओर से पूरे समर्थन और योगदान की उम्मीद करता हूं।

इन शब्दों के साथ, देवियो और सज्जनो,मैं दोहराना चाहूंगा कि मैं भारत और जॉर्डन के बीच संबंधों की सुदृढ़ता के प्रति आपके आशावादी दृष्टिकोण और प्रतिबद्धता से बेहद प्रसन्न हूं। मैं आपकी सफलता की कामना करता हूं। मैं,भारत की जनता की ओर से एक बार फिर आपको धन्यवाद देता हूं और आपकी निरंतर खुशहाली,प्रगति और समृद्धि के लिए अपनी शुभकामनाएं देता हूं।

धन्यवाद! शुक्रन जाज़ीलान।

जय हिंद!

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