भारत के राष्ट्रपति, श्री प्रणब मुखर्जी ने 20 जुलाई, 2016 को राष्ट्रपति भवन में डॉ. कार्तिक श्रीधर और प्रो. (डॉ.) संजय देशमुख, कुलपति, मुंबई विश्वविद्यालय से ‘स्टेट ऑफ इंडियन यूनिवर्सिटीज इन द ग्लोबल एकेडमिक रैंकिंग्स’ (इंडिया राइजिंग) प्राप्त करते हुए
घाना, अफ्रीका : 13-06-2016
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1. भारत के किसी भी राष्ट्रपति की घाना गणराज्य की प्रथम राजकीय यात्रा करना वास्तव में मेरा सौभाग्य है। मेरे साथ सांसदों का एक शिष्टमंडल आया है जो हमारे देश के विविध क्षेत्रों का प्रतिनिधित्व करते हैं।
2. हम अपने साथ भारत की जनता और सरकार की हार्दिक शुभकामनाएं लेकर आए हैं। सर्वप्रथम आपकी, मुझे और मेरे शिष्टमंडल को प्रदान किए गए हार्दिक स्वागत तथा हमारे आगमन के बाद से किए गए श्रेष्ठ प्रबंध के लिए अत्यधिक सराहना करता हूं।
3. महामहिमगण, भारत और घाना की जनता के बीच सद्भावना हमारी भौगोलिक दूरी से परे है। आपसी विश्वास में निहित हमारा अपनत्व कूटनीति और विदेशी संबंधों के परंपरागत तर्क को अस्वीकार करता है। यह हमारी दोनों जनता के मन मस्तिष्क में बसा हुआ रिश्ता है। हमारी जनता की साझा आकांक्षाओं द्वारा पोषित और दिशा निर्देशित भारत घाना बंधुत्व एक समान अनुभवों में स्थापित है।
4. मैं 1936 में द्वितीय विश्व युद्ध के संदर्भ में, सुविख्यात कवि रवींद्रनाथ ठाकुर ने जो उस समय अपने जीवन की संध्या काल में थे, में साम्राज्यवाद की शक्तियों की बर्बरता के विरुद्ध अपनी आवाज उठायी। 1935 में इथियोपिया के आक्रमण से क्षुब्ध उन्होंने अपनी रचना ‘अफ्रीका’ में यह पीड़ा व्यक्त की:
‘आ हा, दुखी अफ्रीका,
तुम्हारे अश्वेत आवरण में छिपा है
तुम्हारा मानवीय अनजाना पक्ष
जो घृणा के तमस ये है धुंधलाया।
आए अन्य जन लेकर लौह शृंखलाएं
जिनकी जकड़ तीक्ष्ण थी
तुम्हारे वन्य भेड़ियों के जबड़ों से भी अधिक
दर्प से भरे आए दासकर्ता
जो थे तुम्हारे स्याह जंगलों से भी ज्यादा पिछड़े।
सभ्यता की बर्बर लिप्सा में
अपनी नग्न अमानवीयता से सने।
करते रहे विलाप होकर नि:शब्द
करते रहे तुम अपने रक्त और अश्रु से
इन नम जंगलों की मृदा को कर दिया गीला
तुम्हारे आततायियों के कीलयुक्त बूटों ने
तुम्हारे वेदना भरे इतिहास
पर डाल दिए सदा के लिए
कलंकित धब्बे’...
5. ठाकुर ने भारत की जनता की एकता की भावना को स्वर दिया था। भारत के राष्ट्रपिता महात्मा गांधी द्वारा प्रतिपादित अहिंसा और सत्याग्रह के सिद्धांतों ने अफ्रीका के उपनिवेशवाद से मुक्ति तथा रंगभेद आंदोलन के प्रति भारतीय जनता के समर्थन को भी प्रेरणा दी थी।
6. भारतीय जनता को घाना के महान सपूत और अखिल अफ्रीकावाद के दूरदर्शी नेता डॉ. क्वामे क्रुमाह की मधुर स्मृति है। उन्होंने अफ्रीका की गरिमा को मूर्त रूप दिया तथा अफ्रीकी देशों की जनता और सरकारों को विश्व मामलों में अपने अधिकारपूर्ण स्थान का दावा करने की प्रेरणा प्रदान की।
7. मुझे जानकर प्रसन्नता हुई है कि घाना उपसहारा का पहला अफ्रीकी राष्ट्र है जिसनें गरीबी के स्तर को सफलतापूर्वक आधा कर दिया है और इसने कम मध्यम आय वाला देश बनने की सीमा को पार कर लिया है। मुझे विश्वास है कि आपकी प्रगतिशील सरकार ने पहले ही आपकी जनता की उन्नति और समृद्धि की और अधिक ऊंचाइयों को छूने के लिए नए लक्ष्य पहले ही तय कर लिए हैं। मैं आपके प्रयासों की सफलता के लिए शुभकामनाएं देता हूं।
8. महामहिमगण, देवियो और सज्जनो, विश्व के विशालतम लोकतंत्र के राष्ट्राध्यक्ष के रूप में, मैं घाना को लोकतंत्र की मजबूती के लिए की गई तीव्र प्रगति के लिए बधाई देता हूं। घाना को ना केवल पश्चिमी अफ्रीका बल्कि संपूर्ण अफ्रीकी महाद्वीप में सुदृढ़ लोकतांत्रिक संस्थानों वाले राष्ट्र के रूप में सम्मान दिया जाता है। हमारे द्विपक्षीय संबंध वर्षों के दौरान विस्तृत और गहन हुए हैं। निवेश और व्यापार दोनों में द्रुत प्रगति हुई है। भारत सरकार और भारतीय कॉरपोरेट जगत घाना अर्थव्यवस्था की भरपूर क्षमता को पहचानता है। भारतीय कंपनियों को सही अवसर प्रदान किया जाए तो उन्हें घाना में निवेश करने में प्रसन्नता होगी। हम अपने परस्पर लाभ हेतु सहयोग की पूर्ण क्षमता को साकार करने के लिए आपके साथ कार्य करने की उम्मीद करते हैं।
9. भारत, समृद्धि की ओर अग्रसर घाना को सहयोग जारी रखेगा। घाना सदैव भारत की मैत्री और सहयोग पर विश्वास कर सकता है। भारत को आपके आवश्यक सभी क्षेत्रों में मदद और सहयोग देने से खुशी होगी। भारतीय तकनीकी सहयोग कार्यक्रम तथा भारतीय सांस्कृतिक संबंध परिषद के अंतर्गत हमारे छात्रवृत्ति कार्यक्रम आपके लिए खुले हैं और हम मानव संसाधन विकास की योजनाओं से लाभ उठाने के लिए आपने नागरिकों का स्वागत करते हैं।
10. मैं, इस अवसर पर गत वर्ष अक्तूबर में नई दिल्ली में आयोजित तृतीय भारत अफ्रीका मंच सम्मेलन में आपकी सक्रिय भागीदारी और योगदान के लिए भारत की जनता की सराहना व्यक्त करता हूं। भारत सरकार मंच की संकल्पना को पूरा करने तथा हमारी जनता की सामूहिक आकांक्षाओं को साकार करने के साझे लक्ष्यों को प्राप्त करने में घाना का निरंतर सहयोग चाहती है।
11. मैं घाना के सहस्राब्दी विकास लक्ष्यों तथा सतत विकास लक्ष्यों को प्राप्त करने की दिशा में की गई उल्लेखनीय प्रगति से अवगत हूं। मैं इस अवसर पर, महामहिम राष्ट्रपति महामा को सतत विकास लक्ष्यों पर समर्थन समूह के सह-अध्यक्ष के रूप में संयुक्त राष्ट्र महासचिव द्वारा आपकी नियुक्ति पर बधाई देता हूं। भारत इबोला के विरुद्ध लड़ाई में घाना की सक्रिय भूमिका की सराहना और प्रशंसा करता है। हम पश्चिम अफ्रीकी राष्ट्रों के आर्थिक समुदाय में घाना की सक्रियता की भी तारीफ करते हैं तथा क्षेत्र में और अफ्रीकी महाद्वीप में और अधिक समेकन को प्रोत्साहित करने के आपके प्रयासों का स्वागत करते हैं।
12. भारत और घाना के स्वतंत्र राष्ट्र बनने के बाद से दुनिया बदल चुकी है आज विश्व व्यवस्था ऐसे वैश्विक शासन ढांचों की मांग कर रही है जो विश्व समुदाय के समक्ष नई चुनौतियों के अनुरूप हो। यह एक गंभीर विसंगति है कि भारत विश्व के प्रत्येक छठे नागरिक का घर है और अफ्रीका विश्व अर्थव्यवस्था का एक जीवंत केंद्र है परंतु फिर भी वे संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में शामिल नहीं हैं।
13. महामहिम, भारत तीन से ज्यादा दशकों से आतंकवाद के शिकार के रूप में आपकी इस चिंता को साझा करता है कि यह एक विश्व खतरा बन चुका है। यह एक बुराई है जिसकी कोई सरहद नहीं है; इसकी अंधाधुंध विनाश की विचारधारा के सिवाए कोई विचारधारा नहीं है। इसे सभ्य विश्व के एकजुट प्रयासों से समाप्त करना होगा। भारत मजबूती से आपके साथ है क्योंकि आप इस चुनौती का सामना कर रहे हैं।
14. मैं इस अवसर पर, घाना की सरकार और जनता के प्रति भारतीय समुदाय के भावपूर्ण अपनत्व के लिए अपना गहरा आभार व्यक्त करता हूं। मुझे यह उल्लेख करते हुए प्रसन्नता हो रही है कि वे हमारे दोनों देशों को जोड़ने वाला एक महत्वपूर्ण सेतु बन रहे हैं।
15.इन्हीं शब्दों के साथ मैं एक बार पुन: आपके शानदार आतिथ्य सरकार के लिए धन्यवाद देता हूं।
महामहिमगण, देवियो और सज्जनो,
आइए हम सब मिलकर:
- घाना के महामहिम राष्ट्रपति, जॉन द्रामनी महामा और घाना की प्रथम महिला मादान लॉर्डिना महामा के स्वास्थ्य और खुशहाली,
- घाना की जनता की निरंतर सफलता, समृद्धि और कुशलता के लिए;
- और भारत गणराज्य तथा घाना गणराज्य की जनता की स्थायी मैत्री की कामना करें।
धन्यवाद!