भारत के राष्ट्रपति, श्री प्रणब मुखर्जी का रसियन डिप्लोमेटिक एकेडमी में प्रमुख व्याख्यान

Moscow, Russia : 08-05-2015

Download : Foreign Vist pdf(95.43 किलोबाइट)

Keynote Address Of The President Of India, Shri Pranab Mukherjee At The Russian Diplomatic Academy

मुझे आज रसियन मिनिस्ट्री ऑफ फारेन अफेयर्स की डिप्लोमेटिक एकेडमी में आकर खुशी का अनुभव हो रहा है। सबस पहले मैं अकादमी को मुझे मानद डॉक्टरेट प्रदान कर सम्मानित करने के लिए हार्दिक आभार व्यक्त करता हूं। जहां यह मेरे लिए गौरव की बात है वहीं मैं इसे भारत के प्रति रूसी जनता के स्थाई स्नेह की अभिव्यक्ति के रूप में भी देखता हूं। इसी के साथ,यह हमारे दोनों देशों के बीच संबंधों की प्रगाढ़ता और लचीलेपन को भी दर्शाता है,जिसका मैंने अपने सार्वजनिक जीवन में कई दशकों के दौरान अनुभव किया है।

2. रसियन डिप्लोमेटिक एकेडमी की स्थापना 1934 में हुई थी। इसके बाद से इसने सेवारत तथा भावी रूसी राजनयिकों के लिए प्रमुख प्रशिक्षण संस्थान के रूप में महत्त्वपूर्ण योगदान दिया है। यह प्रख्यात संस्थान राजनयिकों को समझौता-वार्ता की कला में प्रशिक्षण देकर तथा शांति और विकास की चुनौतियों के राजनयिक समाधान ढूंढ़ने के लिए तैयार करते हुए मानवता के बेहतरीन आदर्शों का प्रतिनिधित्व करता है। अन्य देशों के इसी तरह के संस्थानों के साथ सक्रिय आदान-प्रदानों से यह एकेडमी खुद राजनय का माध्यम बन चुकी है।

देवियो और सज्जनो,

3. मैं, महान राष्ट्रभक्ति युद्ध की 70वीं वर्षगांठ के समारोह में भाग लेने के लिए मास्को आया हूं। उस ऐतिहासिक अवधि के दौरान रूस द्वारा निभाई गई भूमिका तथा रूसी जनता द्वारा दिया गया बलिदान सर्वविदित है तथा सभी जगह उसकी सराहना की जाती है। मैं इस ऐतिहासिक अवसर पर रूसी जनता को अपनी हार्दिक बधाई देना चाहूंगा। इस युद्ध के दौरान भारतीयों ने भी बहुत बलिदान दिया। वास्तव में हमारे दोनों देश फासीवाद तथा नाज़ीवाद की ताकतों के विरुद्ध लड़ाई में उठाए गए कष्टों तथा बलिदानों से जुड़े हुए हैं। इस प्रकार यह पूर्णत: उचित है कि हम अपनी साझा विजय को याद करें और खुशियां मनाएं।

मित्रो,

4. भारत और रूस के बीच औपचारिक राजनयिक संबंधों का इतिहास अपेक्षाकृत छोटा केवल68 वर्षों का है। फिर भी सदियों से हमारी जनता तथा सभ्यताएं बहुत से सूत्रों से जुड़ी हुई थी। मास्को के करीब स्थित त्वेर से एक यात्री अफानासी निकितिन पुर्तगाली यात्री वास्को दा गामा के कोझीकोड पहुंचने के लगभग तीन दशक पूर्व1469 में भारत आए थे। भारत की यात्रा का उनका यात्रा-वृत्तांत‘जरनी बियोंड द थ्री सीज’ आज भी रूस और भारत में बड़ी रूचि से पढ़ा जाता है।

5. बहुत पहले 1615 के बाद गुजराती व्यापारी वोल्गा नदी के मुहाने पर स्थित अस्त्राखाम नगर में पहुंचे थे,जहां उन्नीसवीं सदी के मध्य तक एक समृद्ध भारतीय समुदाय निवास करता था। उनको मास्को में जार द्वारा बहुत सम्मान दिया जाता था,जिसे वे महीन कपड़ा बेचते थे। यह कहा जाता है कि भारतीय व्यापारियों ने सतरहवीं सदी के मध्य में रूस में वस्त्र उद्योग की शुरुआत की थी।

6. हमारे दो देशों के बीच बौद्धिक,साहित्यिक तथा दार्शनिक जिज्ञासा की मजबूत परंपरा भी रही है। भारतविद् जेरासिक लेबदेव अठारहवीं सदी के अंत के दौरान बंगाली थियेटर के संस्थापक थे। लियो टोल्सटोय हिंदू तथा बौद्ध धर्मग्रंथों से आकर्षित थे। वह श्री रामकृष्ण के चिंतन से परिचित थे तथा स्वामी विवेकानंद के आदर्शों से प्रभावित थे। दूसरी ओर महात्मा गांधी अहिंसक विरोध तथा विरोध के साधन के रूप में ताकत के प्रयोग के त्याग के टॉल्स्टाय के विचारों से बहुत प्रभावित थे। कलाकार तथा दार्शनिक,निकोलस रोरिक 1923 में भारत आए थे। उन्होंने अपनी पत्नी एलेना के साथ मिलकर1928 में उरुस्वती इन्स्टिट्यूट ऑफ हिमालयन स्टडीज की स्थापना की थी। वह1947 में अपनी मृत्यु तक कुल्लु, हिमाचल प्रदेश के करीब निवास करते रहे।

7. विश्व शांति, प्रेम तथा सौहार्द के प्रति भावपूर्ण दलील देते हुए रवींद्रनाथ टैगोर की कविता,जार के शासन दौरान तथा क्रांति के बाद के रूस में बहुत सराही जाती थी।1913 में टैगोर की ‘गीतांजलि’के प्रकाशन के बाद उसके कई रूसी अनुवाद प्रकाशित हुए। रूस की जनता के पराक्रम को देखते हुए टैगोर ने भविष्यवाणी की थी कि फासीवाद के विरुद्ध रूस की जीत होगी।

देवियो और सज्जनो,

8. यह उल्लेखनीय है कि भारत ने बहुत पहले 13 अप्रैल, 1947 में भारत के आजाद होने से चार माह पूर्व ही सोवियत संघ के साथ राजनयिक रिश्ते स्थापित कर लिए थे। तब से भारत और रूस ने एक मजबूत तथा बहुआयामी साझीदार विकसित की है। नवंबर, 1955में बुल्गानिन-ख्रुश्चेव की भारत यात्रा ने हमारी मैत्री में एक नए युग की शुरुआत की थी।1960 के दशक में सैन्य-तकनीकी सहयोग की शुरुआत तथा अगस्त, 1971में शांति, मैत्री और सहयोग की भारत-रूस मैत्री हमारे संबंधों में प्रमुख पड़ाव थे।1975में सोवियत प्रक्षेपण यान से भारत के प्रथम उपग्रह आर्य भट्ट के प्रक्षेपण तथा1984 में सांवियत अंतरिक्ष यान में भारत के प्रथम अंतरिक्ष यात्री राकेश शर्मा की यात्रा से अंतरिक्ष में हमारे प्रगाढ़ सहयोग को रेखांकित किया।

9. विभिन्न सेक्टरों में हमारे पारस्परिक लाभदायक सहयोग की सशक्त विरासत ने1990 के दशक में विभिन्न बदलावों के कारण उपस्थित कठिनाइयों का तेजी से समाधान करने में सहयोग दिया। यह कहना अतिशयोक्ति नहीं हो कि हमारे अनोखे तथा बहुआयामी संबंधों ने अपनी सहनशीलता को सिद्ध कर दिया है। भारत और रूस आज अनन्य आपसी भरोसे,विश्वास तथा सद्भाव पर आधारित ‘विशेष तथा विशिष्ट सामरिक साझीदारी’का आनंद उठा रहे हैं।

10. हमारी वार्षिक शीर्ष बैठकें द्विपक्षीय संबंधों की व्यापक बहुसूत्रीय व्यवस्था के शिखर पर हैं तथा विश्व के किसी भी अन्य देश के साथ भारत के साथ संबंधों से कहीं अधिक व्यापक है। इसने पिछले15वर्षों के दौरान हमारे द्विपक्षीय संबंधों को प्रगाढ़ करने तथा विविधीकृत करने में तथा प्रमुख क्षत्रीय तथा अंतरराष्ट्रीय मुद्दों पर साझा नजरिया विकसित करने में सहायता दी है।

11. 11 दिसंबर, 2014 को पिछले भारत-रूस वार्षिक शीर्ष सम्मेलन में हमारे दोनों देशों ने भावी वर्षों में सहयोग को और प्रगाढ़ करने तथा विविधीकृत करने पर सहमति व्यक्त की थी। भारत रक्षा,परमाणु ऊर्जा तथा सुरक्षा के क्षेत्र में रूस के साथ अपने प्रगाढ़ तथा विस्तृत सहयोग को बहुमूल्य मानता है। रूस हमारा सबसे महत्त्वपूर्ण रक्षा साझीदार है और रहेगा भी। हमारी ऊर्जा सुरक्षा का भी प्रमुख साझीदार है तथा भारत में परमाणु ऊर्जा उत्पादन के विकास में अपनी प्रमुख भूमिका को आगे बढ़ा रहा है। हाइड्रोकार्बनों के क्षेत्र का सहयोग में निहित हमारी प्रत्यक्ष अनुपूरकताएं हैं। रूस विश्व का सबसे बड़ा तेल और गैस उत्पादक है जबकि भारत उसके सबसे बड़े उपभोक्ताओं में से है। रूस में भारत का सबसे बड़ा निवेश तेल एवं गैस सेक्टर में है। यह काफी बढ़ाया जा सकता है तथा यह उभरती आर्थिक साझीदारी के उत्प्रेरक के रूप में सामने आ सकता है। दोनों देश ऐसा करने के लिए कृतसंकल्प हैं।

12. आर्य भट्ट के प्रक्षेपण की 40वीं वर्षगांठ के अवसर पर हम अंतरिक्ष में अपने सहयोग को फिर से मजबूत करने में सहमत हुए हैं। हम व्यापक अन्तर सरकारी वैज्ञानिक सहयोग कार्यक्रम आगे बढ़ा रहे हैं। पावडर धातुविज्ञान,टीका-विकास, सुपर कंप्यूटिंग, बायो टेक्नोलॉजी, बायो मेडिसिन, गैस हाईड्रेट स्टडीज तथा भूकंप अनुसंधान जैसे बहुत से क्षेत्रों में अनुसंधान बहुत से क्षेत्रों में अनुसंधान को बढ़ावा देने के लिए संयुक्त उत्कृष्टता केंद्र स्थापित किए गए हैं। हम उच्च प्रौद्योगिक क्षेत्रों में नवान्वेषण प्रधान सहयोग को सघन करने पर विचार कर रहे हैं।

13. दिसंबर, 2014 में राष्ट्रपति पूतिन की हाल ही की भारत यात्रा के दौरान हम दोनों अपने व्यवसाय तथा आर्थिक संबंधों को और ऊंचाई की दिशा में ले जाने के लिए सहमत हुए थे। हमें इंजीनियरी,फार्मास्युटिकल, रसायन,उर्वरक,कोयला, हीरा,धातु विज्ञान,असैनिक विमान, ऑटोमोबाइल तथा सूचना एवं संचार प्रौद्योगिक जैसे क्षेत्रों में तालमेल बनाना होगा। भारत-रूस व्यापार एवं आर्थिक सहयोग में ढांचागत तथा अन्य बाधाओं को दूर करने के लिए सुविचारित तथा संयुक्त प्रयासों की जरूरत होगी। भारत का व्यवसाय रूस के इलाकों तक पहुंचना चाहिए तथा इसे रूस में व्यवसाय के अवसरों के प्रति अधिक सक्रियता दिखानी चाहिए। रूसी कंपनियों को भी ऐसा ही करने की आवश्यकता है। हमें एक दूसरे की उपलब्धताओं और क्षमताओं को समझते हुए अपने गतिशील बाजारों में निवेश तथा प्रौद्योगिकीय सहयोग व्यापक अवसरों को समझना होगा।

14. हमारे सांस्कृतिक तथा जनता के पारस्परिक संबंध हमें एक दूसरे के साथ जोड़े हुए हैं। हम उस गर्मजोशी तथा खुलेपन की सराहना करते हैं जिसके साथ रूस में भारत की संस्कृति,दर्शन तथा सिनेमा को स्वीकार किया जाता है। हमारे विश्वविद्यालयों,उच्च शिक्षा संस्थानों, किसानों, कलाकारों तथा बुद्धिजीवियों के बीच आदान-प्रदान हमारे लिए अत्यंत महत्त्वपूर्ण हैं तथा उन्हें बढ़ावा दिया जाना चाहिए। पिछले वर्ष भारत में रूसी संस्कृति का महोत्सव आयोजित किया गया था। इस वर्ष रूस में भारत की संस्कृति का वर्ष‘नमस्ते रूस’ मनाया जा रहा है। भारत और रूस के बीच पिछले वर्षों के दौरान पर्यटन काफी बढ़ा है तथा इसमें और अधिक प्रगति हो सकती है।

प्रिय एकेडमी सदस्यगण,

15. विश्व के सामने आज अपूर्व अवसर तथा गंभीर चुनौतियां दोनों हैं। जहां हमारा जीवन स्तर तथा प्रौद्योगिकीय क्षमताओं में हर नए दिन के साथ सुधार आ रहे हैं। वहीं हमारे सामने विश्व के विभिन्न हिस्सों में संघर्ष तथा गंभीर आर्थिक और पर्यावरणीय संकट भी फिर से उभरकर आ रहे हैं। हमारे साझा पड़ोस से उभर रहा आतंकवाद तथा उग्रवाद भारत और रूस के लिए बड़ा सुरक्षा खतरा बना हुआ है। इस चुनौती से निपटने के लिए न केवल हमारे दोनों देशों की मजबूत प्रतिबद्धता की जरूरत है वरन् इसके लिए अंतरराष्ट्रीय समुदाय के बीच सहयोग की भी जरूरत है।

16. वास्तव में आज विश्व समुदाय को पहले से कहीं अधिक सहयोगात्मक तथा प्रतिनिध्वात्मक ढांचे की जरूरत है। यद्यपि विश्व धीरे-धीरे अधिक बहु-ध्रुवीय हो रहा है तथा नवीन अर्थव्यवस्थाएं मजबूत हुई हैं परंतु यह अंतरराष्ट्रीय संस्थाओं तथा निर्णय लेने वाली प्रक्रियाओं में प्रदर्शित नहीं हो रहा है। इसलिए जी 20 तथा ब्रिक्स जैसे बहुपक्षीय मंचों पर भारत और रूस के बीच सहयोग अत्यंत जरूरी है। हम संयुक्त राष्ट्र संघ सुरक्षा परिषद में भारत की स्थाई सदस्यता तथा बहुपक्षीय निर्यात नियंत्रण व्यवस्थाओं में भारत की सदस्यता के लिए रूस के समर्थन की सराहना करते हैं। हम सीरिया में राजनीतिक सुलह को बढ़ावा देने के रूस के प्रयासों और ईरानी परमाणु मुद्दों के शांतिपूर्ण समाधान की दिशा में इसके योगदान की सराहना करते हैं।

विशिष्ट देवियो और सज्जनो,

17. भारत-रूस संबंध, जो कि हमारे साझा ऐतिहासिक अनुभवों,सांस्कृतिक निकटता, राजनीतिक तालमेल तथा आर्थिक अवसरों से बने हैं अस्थाई राजनीतिक रुझानों के झोकों से प्रभावित नहीं होंगे। भारत के इतिहास के कठिन क्षणों में रूस शक्ति स्तंभ बना रहा है। आपने भारत के विकास,प्रगति तथा सुरक्षा में योगदान दिया है। भारत सदैव इस समर्थन का प्रत्युत्तर देगा। भारत के समाज तथा इसके राजनीतिक ढांचे के परिवेश में यह सर्वसम्मति मौजूद रही है कि रूस के साथ मैत्री भारत की विदेश नीति का एक महत्त्वपूर्ण स्तंभ है।

18. मैं इस अवसर पर इस बात पर जोर देना चाहूंगा कि हमारी सामरिक साझीदारी का तेज विकास का श्रेय अधिकांशत: राष्ट्रपति व्लादिमीर पूतिन को जाता है। उनकी व्यक्तिगत प्रतिबद्धता से दोनों देशों के संबंधों में नई ऊंचाइयां आई हैं। हम राष्ट्रपति पुतिन को भारत का महान मित्र मानते हैं। मैं इस यात्रा के दौरान राष्ट्रपति पुतिन के साथ अपने संबंधों को फिर से नवीकृत करने के लिए उत्सुक हूं।

देवियो और सज्जनो,

19.मैं एक बार फिर आपको तथा इस महान संस्थान को आज मुझे प्रदान किए गए सम्मान के लिए धन्यवाद देता हूं। आपके समक्ष अपनी बात रखने का अवसर प्रदान करने के लिए भी मैं,आपको धन्यवाद देता हूं।

समाचार प्राप्त करें

Subscription Type
Select the newsletter(s) to which you want to subscribe.
समाचार प्राप्त करें
The subscriber's email address.