बेलारूस स्टेट यूनिवर्सिटी द्वारा प्रोफेसर की मानद उपाधि प्रदान किए जाने के अवसर पर भारत के राष्ट्रपति श्री प्रणब मुखर्जी का स्वीकृति अभिभाषण
Minsk, Belarus : 03-06-2015
Download : Foreign Vist (173.81 किलोबाइट)
बेलारूस के माननीय शिक्षा मंत्री,श्री एम.ए. झूरावकोव,
बेलारूस राष्ट्रीय विश्वविद्यालय के अध्यक्ष,श्री एस.वी. आब्लामेयको,
इस प्रतिष्ठित राष्ट्रीय विश्वविद्यालय के संकाय सदस्य और शैक्षिक समुदाय के विशिष्ट सदस्यगण,
विशिष्ट अतिथिगण,
आज आपके बीच उपस्थित होना वास्तव में एक सौभाग्य की बात है। मैं, उनके सहृदयतापूर्ण शब्दों के लिए अध्यक्ष,श्री एस.वी. आब्लामेयको का धन्यवाद करता हूं। मैं उनके हार्दिक उद्गारों का प्रत्युत्तर देते हुए तथा आज मुझे प्रदान किए गए उच्च सम्मान के लिए अपना धन्यवाद व्यक्त करते हुए अपनी बात आरंभ करना चाहूंगा।
मैं, इस सद्भावना से अत्यंत अभिभूत हूं। मैं इसे अपने देश और मेरे प्रति बेलारूस की जनता की गर्मजोशी की अभिव्यक्ति मानता हूं। इसलिए मैं भारत के राष्ट्रपति के रूप में अपनी क्षमता में,भारत की जनता की ओर सेबेलारूस राष्ट्रीय विश्वविद्यालय द्वारा प्रदान की गई प्रोफेसर की मानद उपाधि को अत्यंत सम्मान और विनम्रता के साथ स्वीकार करता हूं।
देवियो और सज्जनो,
भारत के 114 उच्च शिक्षण संस्थानों के कुलाध्यक्ष के तौर पर, मुझे इस विश्वविद्यालय की यात्रा करके विशेष प्रसन्नता हुई है, जिसने विगत अनेक दशकों के दौरान बेलारूस के उत्कृष्ट उच्च शिक्षा संस्थान के रूप में स्वयं को स्थापित किया है। मुझे ज्ञात है कि बेलारूस राष्ट्रीय विश्वविद्यालय ने विज्ञान, प्रौद्योगिकी और इंजीनियरी तथा चिकित्सा और मानव विज्ञान सहित अनेक शैक्षिक विषयों में शैक्षिक उत्कृष्टता वाले देश के तौर पर बेलारूस की प्रतिष्ठा में उल्लेखनीय योगदान दिया है।
इस विश्वविद्यालय और इसके पूर्व विद्यार्थियों की बौद्धिक क्षमता इस तथ्य से प्रतिबिंबित होती है कि बेलारूस एकेडमी ऑफ साइंसिज के प्रत्येक चार शोधकर्ताओं में से तीन यहां से जाते हैं। वैज्ञानिक ज्ञान और उन्नत शोध के आपके प्रयासों ने इस विश्वविद्यालय को बेलारूस के राष्ट्रीय विकास कार्यक्रमों के केंद्र में स्थापित किया है।
देवियो और सज्जनो, किसी भारतीय राष्ट्रपति की प्रथम राजकीय यात्रा पर मैं बेलारूस में हूं। इसलिए आपसे मिलना तथा बेलारूस के साथ पहले से हमारे ठोस रिश्ते को और अधिक घनिष्ठ बनाने की भारत की गहन रूचि को प्रकट करने का अवसर प्राप्त करना मेरा सौभाग्य की बात है।
भारत और बेलारूस के संबंध विगत दो दशकों के दौरान बहुत तेजी से विकसित हुए हैं। हमारे संबंध अब व्यापार और आर्थिक सहयोग, विज्ञान, प्रौद्योगिकी,शिक्षा तथा रक्षा सहयोग जैसे अनेक क्षेत्रों में फैले हुए हैं।
हमें, बेलारूस के महामहिम राष्ट्रपति की 1997 और 2007 की भारत की सफल यात्राओं का स्मरण है, जिनसे हमारे संबंधों को प्रोत्साहन मिला। मेरी अपनी यात्रा बेलारूस के साथ हमारी साझीदारी को मजबूत बनाने में भारत की गहरी रूचि को दर्शाती है। जैसा कि आपको विदित है भारत विगत दशक के दौरान 7 प्रतिशत से अधिक की औसत वार्षिक वृद्धि के साथ विश्व की एक सबसे विशाल अर्थव्यवस्था तथा एक सबसे तेजी से बढ़ रहे बाजार के रूप में उभर रहा है। ऐसे सकारात्मक संकेत हैं जो यह दर्शाते हैं कि हम और भी ऊंचे विकास पथ की ओर बढ़ सकते हैं।
मेरा आज प्रात: राष्ट्रपति लुकाशेन्को के साथ अच्छा विचार-विमर्श हुआ है। हमारे विचार-विमर्श से मुझे विश्वास हो गया है कि हम अपने द्विपक्षीय संबंधों के विस्तार के लिए एक जैसा उत्साह और आकांक्षा रखते हैं। अपने सहयोग को और अधिक बढ़ाने की दृष्टि से हमने भारत-बेलारूस साझीदारी पर एक अत्यंत ठोस और संकेंद्रित खाका जारी किया है। हमें उम्मीद है कि हम अपने व्यापार को वर्ष 2020 तक 1बिलियन अमरीकी डॉलर के स्तर तक दुगुना कर सकते हैं। बेलारूस को ‘बाजार अर्थव्यवस्था’ का दर्जा प्रदान करने का भारत का निर्णय हमारे द्विपक्षीय व्यापार को बढ़ाने तथा अतंरराष्ट्रीय व्यापार संगठनों में बेलारूस की और अधिक भागीदारी को बढ़ाने के लिए एक महत्वपूर्ण कदम भी होगा।
इसलिए मुझे विश्वास है कि बेलारूस के साथ मेरे विचार-विमर्श के दौरान प्राप्त परिणामों और सहमतियों से हमारे संबंधों को भविष्य में और ऊंचाइयों पर ले जाने में मदद मिलेगी।
अपने द्विपक्षीय संबंध को अनेक दिशाओं में घनिष्ठ और विविध बनाते हुए हम विगत वर्षों के दौरान भारत और बेलारूस के बीच के उत्कृष्ट सहयोग को बहुस्तरीय मंच पर और अधिक ठोस बना सकते हैं। प्रमुख अंतरराष्ट्रीय मुद्दों पर हमारे एक समान नजरिए को देखते हुए, मुझे विश्वास है कि भारत और बेलारूस आपसी सहयोग और सहमति के माध्यम से अपने-अपने क्षेत्रीय और वैश्विक एजेंडे को और आगे बढ़ाना जारी रख सकते हैं।
मित्रो, भारत अपनी विदेश नीति में शांतिपूर्ण तरीकों के प्रति सदैव वचनबद्ध रहा है और रहेगा। तथापि,हमारे पड़ोस से उत्पन्न आतंकवाद और उग्रवाद भारत और बेलारूस के लिए एक प्रमुख सुरक्षा खतरा बना हुआ है। इस चुनौती के समाधान के लिए सभी देशों के बीच और अधिक सहयोग तथा स्पष्ट उद्देश्य की आवश्यकता है।
वास्तव में, वैश्विक शासन के और अधिक प्रतिनिधित्वकारी और समावेशी संगठनों की आवश्यकता को आज से अधिक, पहले कभी भी अनुभव नहीं किया गया। हम मानव इतिहास के विभिन्न दौरों में स्थापित अंतरराष्ट्रीय व्यवस्थाओं के प्रयोग द्वारा 21वीं शताब्दी की गंभीर राजनीतिक, सैन्य, आर्थिक, पारिस्थितिकीय और प्रौद्योगिकीय चुनौतियों का समाधान नहीं कर सकते।
भारत और बेलारूस अंतरराष्ट्रीय संस्थाओं और संगठनों में विकाशसील राष्ट्रों की बड़ी भूमिका के लिए प्रतिबद्ध हैं। तथापि, इस सच्चाई के बावजूद कि अंतरराष्ट्रीय व्यवस्था में शक्ति का व्यापक विस्तार हुआ है तथा उभरती हुई अर्थव्यवस्थाओं ने मजबूती से विकास किया है,अंतरराष्ट्रीय निर्णयकरण कीपद्धति और प्रक्रियाओं के बदलाव की दिशा में कम प्रगति हुई है।
उचित समयसीमा के भीतर जरूरी बदलाव लाने के लिए भारत और बेलारूस तथा अन्य समान रुचि वाले देशों के बीच सहयोग अत्यावश्यक होगा। हम संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में भारत की स्थायी सदस्यता तथा एनएसजी की सदस्यता के लिए बेलारूस के समर्थन की सराहना करते हैं।
हमारा संबंध, वास्तव में समस्यारहित है जिसमें और विकास की विशाल संभावनाएं हैं। लोगों के बीच संपर्कों का विस्तार ही देशों के बीच रिश्तों में निरंतर विकास की सर्वोत्तम गारंटी है। यह तथ्य कि आज मेरे साथ एक कैबिनेट मंत्री और भारत की संसद के 4सदस्य हैं, हमारे दोनों राष्ट्रों के बीच व्यापार और आर्थिक संबंधों को प्रोत्साहित करने तथा जनता के आपसी रिश्तों को घनिष्ठ बनाने के लिए मेरी सरकार द्वारा दिए जा रहे महत्व को दर्शाता है। यद्यपि,हमारे औपचारिक कूटनीतिक संबंधों का इतिहास अपेक्षाकृत छोटा है परंतु भारत और बेलारूस के बीच सांस्कृतिक आदान-प्रदान का एक रोचक अतीत है। भारत के राष्ट्रीय कवि रवीन्द्रनाथ टैगोर ने 1931 में मिंस्क की यात्रा की थी तथा अनेक तत्कालीन अग्रणी प्रबुद्धजनों और साथी लेखकों से मुलाकात की थी। वास्तव में, उनकी कविता की यहां व्यापक प्रशंसा हुई थी। मिंस्क के समीप जन्मे संगीतज्ञ निकोलस नाबोकोव ने 1960 के दशक में भारत की यात्रा की थी और वे भारत की संगीत परंपराओं से प्रभावित हुए थे। मुझे विश्वास है कि हमारे दोनों देशों के बीच बहुत से अन्य शैक्षिक, बौद्धिक और सांस्कृतिक संपर्क रहे हैं जो समय के गर्भ में छिपे हुए हैं। अनेक बेलारूसियों ने भारतीय शास्त्रीय नृत्य का अध्ययन किया है और उनमें से कुछ ने दूसरों को प्रशिक्षण देना आरंभ कर दिया है। योग भारतीय संस्कृति का एक अन्य पहलू है जो निरंतर लोकप्रिय होता जा रहा है। मुझे बताया गया है कि भारतीय फिल्में बेलारूस में लोकप्रिय रही हैं: संभवत: इस खूबसूरत देश के शानदार मनोरम स्थल स्वयं में भारतीय फिल्मों की शूटिंग के लिए एक पृष्ठभूमि प्रदान कर सकें।
देवियो और सज्जनो,
आज मेरे कार्यक्रमों के दौरान मुझे इस प्रतिष्ठित विश्वविद्यालय में भारत के राष्ट्रपिता,महात्मा गांधी की एक आवक्ष प्रतिमा स्थापित करने का सौभाग्य प्राप्त हुआ। गांधीजी आज भी अपने गूढ़ दर्शन तथा व्यक्तिगत उदाहरण के जरिए भारत और वास्तव में विश्व के लोगों को प्रेरित कर रहे हैं। आज, जब विश्व हिंसात्मक संघर्ष, आतंक औरजनसंख्या के बड़े पैमाने पर विस्थापन की चुनौतियों का सामना कर रहा है,सत्य और अहिंसा का उनका संदेश आज भी उतना प्रासंगिक है जितना उनके समय में था। इसलिए हम शांति के इस दूत की छवि को बेलारूस की जनता के साथ बांटने पर प्रसन्न हैं और हमें यह भी खुशी है कि वे इस विरासत को महत्व देते हैं।
मैं, बेलारूस में भारत के प्रति जनता की सद्भावना देखकर प्रसन्नता का अनुभव कर रहा हूं, भारत में भी उनके लिए समान सद्भावनाएं हैं। इसलिए मैं अपने पर्यटन, सांस्कृतिक,शैक्षिक और जनता के आपसी आदान-प्रदान की विशाल संभावनाओं के प्रति अधिक आश्वस्त हूं।
विद्वान अध्यक्ष जी, इन्हीं शब्दों के साथ, आज मुझे प्रदान किए गए सम्मान के लिए इस प्रतिष्ठित विश्वविद्यालय के विद्यार्थियों तथा संकाय सदस्यों का मैं धन्यवाद करता हूं।
मैं, आप सभी को भारत की जनता की हार्दिक शुभकामनाएं भी प्रेषित करता हूं।
मैं, आप सभी के भावी प्रयासों के सफल होने की कामना करता हूं।
धन्यवाद!