राष्ट्रपति भवन में राज्यपाल सम्मेलन संपन्न हुआ

राष्ट्रपति भवन : 03.08.2024

आज 3 अगस्त, 2024 को राष्ट्रपति भवन में दो दिवसीय राज्यपाल सम्मेलन संपन्न हुआ। राष्ट्रपति श्रीमती द्रौपदी मुर्मु ने एक-दूसरे से सीखने की भावना से व्यापक चर्चा करने के लिए राज्यपालों के सामूहिक प्रयासों की सराहना की।

अपने समापन उद्बोधन में, उन्होंने राज्यपालों के अलग-अलग समूहों द्वारा अपने कार्यालय की कार्यप्रणाली में सुधार लाने के साथ-साथ लोगों के कल्याण के लिए अपने मूल्यवान विचार और सुझाव देने के लिए सराहना की और विश्वास व्यक्त किया कि इन सुझावों को कार्यरूप दिया जाएगा।

सम्मेलन का दूसरा दिन राज्यपालों के छ: समूहों द्वारा विचार-विमर्श के आधार पर प्रस्तुतियाँ देने और राष्ट्रपति श्रीमती द्रौपदी मुर्मु, उप-राष्ट्रपति श्री जगदीप धनखड़, प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी और केंद्रीय गृह मंत्री श्री अमित शाह के समक्ष भविष्य का रोडमैप प्रस्तुत करने के साथ आरंभ हुआ। उप-राष्ट्रपति श्री धनखड़ ने कहा कि दो दिवसीय सम्मेलन में महत्वपूर्ण मुद्दों पर विस्तार से चर्चा करने वाले सभी प्रतिभागियों के मानस पर एक अमिट छाप छोड़ी है। उन्होंने कहा कि राज्यपालों को प्रभावी रूप से कार्य करने के लिए अपनी-अपनी राज्य सरकारों से जानकारी मांगने और निरंतर संपर्क में रहने में संकोच नहीं करना चाहिए।

प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी ने राज्यपालों से राज-भवनों में एक आदर्श शासन मॉडल विकसित करने का आग्रह किया। उन्होंने कहा कि राज-भवनों के कार्य के प्रभावी संचालन के लिए कर्मचारियों को प्रशिक्षित किए जाने के लगातार प्रयास चलने चाहिए। उन्होंने राज्यपालों से अपने कामकाज में टेक्नोलॉजी को अपनाने और डिजिटलीकरण को बढ़ावा देने का भी आग्रह किया। प्रधानमंत्री ने विशेषकर शैक्षणिक संस्थानों के एल्युमिनी की ताकत का उपयोग करने का आह्वान किया और उनसे शैक्षणिक परिसरों को ड्रग्स मुक्त बनाने के लिए एक जन अभियान खड़ा करने की अपील की। उन्होंने गुजरात के राज्यपाल श्री आचार्य देवव्रत के प्राकृतिक कृषि के सुझाव का भी उल्लेख किया और अन्य राज्यपालों से अपने राजभवनों में प्राकृतिक कृषि का मॉडल अपनाने और अपने भवन के परिसरों को रसायनों से मुक्त रखने का आग्रह किया। उन्होंने कहा कि राजभवन दूसरों के लिए उत्साह और प्रेरणा का स्रोत बनें।

राज्यपालों के समूहों की सभी रिपोर्टों के अवलोकन के बाद केंद्रीय गृह मंत्री श्री अमित शाह ने उनके प्रयासों की सराहना की और कहा कि राज्यपालों और राज भवनों के कामकाज को और अधिक प्रभावी बनाने के लिए कार्रवाई योग्य सभी बिंदुओं पर कार्रवाई की जाएगी।

राष्ट्रपति ने कहा कि राज्यों के समग्र और त्वरित विकास में ही देश का विकास निहित है। सभी राज्यों को एक-दूसरे की सर्वोत्तम प्रथाओं और अनुभवों से सीखते हुए आगे बढ़ना है।

राष्ट्रपति ने कहा कि यह सुनिश्चित करने के लिए कि कोई भी व्यक्ति वंचित न रह जाए, इसके लिए सरकार ने अंतिम व्यक्ति तक वितरण पर बहुत जोर दिया है। इससे आम नागरिकों का जीवन बेहतर हुआ है। उन्होंने राज्यपालों से यह सुनिश्चित करने का आग्रह किया कि जन-कल्याण के सभी कार्यक्रमों का लाभ प्रत्येक व्यक्ति तक पहुंचे ताकि समावेशी विकास के लक्ष्य को सही अर्थों में प्राप्त किया जा सके।

राष्ट्रपति ने कहा कि सार्थक और समग्र सामाजिक समावेश के लिए महिलाओं की भागीदारी सर्वाधिक महत्वपूर्ण है। महिलाओं के स्वयं सहायता समूहों को प्रोत्साहन देकर महिला सशक्तीकरण को बल दिया जा सकता है। साथ ही, महिलाओं के स्टार्ट-अप को बढ़ावा देकर 'महिला आधारित विकास' का मार्ग प्रशस्त किया जा सकता है। उन्होंने राज्यपालों को सलाह दी कि वे समय-समय पर ऐसी सक्रिय महिलाओं और महिला सशक्तीकरण के लिए कार्य कर रहे संस्थानों के प्रतिनिधियों से मिलें और उनका मार्गदर्शन करें।

राष्ट्रपति ने कहा कि देश के विकास की प्रक्रिया में अनुसूचित क्षेत्रों और अनुसूचित जनजातियों की भागीदारी को और बढ़ावा देकर राज्यपाल समावेशी विकास के राष्ट्रीय संकल्प को सिद्ध करने में अपना योगदान दे सकते हैं। उन्होंने जनजातीय  समुदायों के कल्याण हेतु नियत संसाधनों के समुचित उपयोग के लिए राज्यपालों के एक उप-समूह के सुझाव पर प्रकाश डाला और आशा व्यक्त की कि सभी राज्यपाल इस सुझाव को प्राथमिकता देंगे।

राष्ट्रपति ने कहा कि राज भवनों के परिवेश में भारतीयता झलकनी चाहिए। राज्यपालों को राजभवनों से जन-सामान्य का जुड़ाव बढ़ाने का प्रयास करना चाहिए। राज्य के निवासियों को लगना चाहिए कि राज-भवन जनता का भवन है । उन्होंने कहा कि कई राज भवनों में जन-सामान्य को भ्रमण करने की सुविधा प्रदान की गई है और अन्य राज-भवन भी अपने दरवाजे जन-साधारण के लिए खोल सकते हैं। उन्होंने कहा कि राज भवनों में सामाजिक और सांस्कृतिक उत्सवों का आयोजन करके जनता के जुड़ाव को बढ़ाया जा सकता है।

राष्ट्रपति ने कहा कि हमारी डिजिटल पहल की पूरी दुनिया में सराहना हो रही है। राज भवनों के कामकाज में डिजिटल माध्यम का उपयोग करने से एक अच्छा उदाहरण प्रस्तुत होगा। साइबर सुरक्षा, डेटा सुरक्षा और तकनीकी नवाचार के बारे में लोगों के बीच जागरूकता बढ़ाने के लिए राज-भवन में सेमिनार और संगोष्ठी भी आयोजित किए जा सकते हैं।

राष्ट्रपति ने कहा कि जन कल्याण और समग्र विकास के लिए सभी संस्थानों का सुचारू संचालन अत्यंत आवश्यक है। इस सम्मेलन में विभिन्न संस्थानों के बीच बेहतर समन्वय बनाने के उद्देश्य से विचार-विमर्श हुआ है। भारत की संघीय व्यवस्था में राज्यपाल केंद्र और राज्यों के बीच की कड़ी होते हैं। उन्होंने विश्वास व्यक्त किया कि राज्यपालों के समूह द्वारा दिए गए सुझाव के अनुसार सहकारितापूर्ण संघवाद और केंद्रीय संस्थानों के आपसी समन्वय को बढ़ावा दिया जाएगा।

राष्ट्रपति ने कहा कि राज्यपाल देशवासियों  के लिए आदर्श उदाहरण स्थापित करने के लिए भी जिम्मेदार हैं। यदि वे महत्वपूर्ण क्षेत्रों में उदाहरण प्रस्तुत करेंगे तो उनके ऐसे योगदान उनकी पहचान भी बनेंगे तथा लोगों का मार्गदर्शन भी करेंगे।

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