भारत की राष्ट्रपति ने आज राष्ट्रपति भवन में कुलाध्यक्ष सम्मेलन 2023 का उद्घाटन किया
राष्ट्रपति भवन : 10.07.2023
भारत की राष्ट्रपति श्रीमती द्रौपदी मुर्मु ने आज 10 जुलाई, 2023 को राष्ट्रपति भवन में कुलाध्यक्ष सम्मेलन 2023 का उद्घाटन किया।
अपने उद्घाटन भाषण में राष्ट्रपति ने कहा कि व्यक्ति, समाज और देश की प्रगति में शिक्षा का महत्व सर्वोपरि है। उच्च शिक्षा, अधिकांश युवाओं के लिए, प्रतिकूल परिस्थितियों के कुचक्र से निकलने का सबसे प्रभावी माध्यम है। उन्होंने कहा कि सामाजिक और आर्थिक रूप से वंचित समूहों से आने वाले युवाओं को समता-मूलक और समावेशी उच्च शिक्षा उपलब्ध कराना राष्ट्रीय शिक्षा नीति-2020 की प्राथमिकताओं में से एक है।
राष्ट्रपति ने कहा कि ज्ञान की शक्ति से देश वैश्विक महाशक्ति बन सकेंगे। उन्होंने कहा कि एनईपी का उद्देश्य भारत को वैश्विक ज्ञान महाशक्ति बनाना है। उन्होंने विश्वास व्यक्त किया कि उच्च शिक्षण संस्थान वर्ष 2047 तक भारत को एक विकसित राष्ट्र के रूप में प्रतिष्ठित करने के लक्ष्य को हासिल करने में उच्च शिक्षण संस्थानों की महत्वपूर्ण भूमिका रहेगी। उन्हें यह जानकर प्रसन्नता हुई कि केन्द्रीय शिक्षा मंत्रालय द्वारा सभी हित धारकों के साथ मिलकर, राष्ट्रीय शिक्षा नीति के अनुरूप निरंतर प्रयास किए जा रहे हैं।
राष्ट्रपति ने कहा कि एनईपी के अनुसार प्रभावी शासन और नेतृत्व से उच्च शिक्षण संस्थानों में उत्कृष्टता और नवाचार की संस्कृति का निर्माण संभव हो पाता है। सभी विश्व स्तरीय संस्थानों की सामान्य विशेषता मजबूत स्व शासन और संस्थागत लीडर्स की उत्कृष्ट योग्यता-आधारित नियुक्ति किया जाना रहा है।
राष्ट्रपति ने कहा कि ज्ञान केंद्रों को ज्ञान अर्थव्यवस्था का केंद्र भी बनना चाहिए। उन्हें अत्याधुनिक तकनीक विकसित करने की महत्वाकांक्षा के साथ आगे बढ़ना चाहिए। उन्होंने कहा कि हमारे प्रौद्योगिकी संस्थानों को कृत्रिम बुद्धिमत्ता जैसे क्षेत्रों में पहल करनी होगी।
राष्ट्रपति ने इस शनिवार को आईआईटी दिल्ली में एक 20 वर्षीय विद्यार्थी द्वारा आत्महत्या की घटना का उल्लेख करते हुए कहा कि आत्महत्या की ऐसी दुखदाई घटनाएं कई शिक्षण संस्थानों में हुई हैं। यह पूरे शिक्षा जगत के लिए चिंता का विषय है। उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि अपने परिसरों में तनाव, अपमान अथवा उपेक्षा से बचाना तथा उन्हें समझाना और सहारा देना शिक्षण संस्थानों की प्राथमिकता होनी चाहिए। उन्होंने कहा कि एक परिवार के समझदार और संवेदनशील मुखिया की तरह, संस्थानों के सभी प्रमुखों, शिक्षकों और कर्मचारियों को विद्यार्थियों की आवश्यकताओं के प्रति संवेदनशील होना चाहिए। उन्होंने जोर देकर कहा, 'आप छात्रों के मार्गदर्शक और अभिभावक भी हैं।' उन्होंने कहा कि संस्थानों के प्रमुखों, शिक्षकों और कर्मचारियों का प्रयास होना चाहिए कि वे विद्यार्थियों को उनके घरों जैसा सुरक्षित और संवेदनशील वातावरण प्रदान करें।
राष्ट्रपति ने कहा कि अवसर मिलने पर हमारी बेटियां बेहतर प्रदर्शन करती हैं। उन्होंने कहा कि प्रौद्योगिकी संस्थानों में भी बेटियों की भागीदारी बढ़ रही है। उन्होंने कहा कि विज्ञान, प्रौद्योगिकी, इंजीनियरिंग और गणित (एसटीईएम) में छात्राओं की उपस्थिति और उत्कृष्टता को बढ़ावा देने के लिए प्रयास किए जाने चाहिए।
राष्ट्रपति ने कहा की सभी जानते हैं कि गुणवत्तापूर्ण शोध के आधार पर नए ज्ञान का सृजन करने वाले उच्च शिक्षण संस्थान विश्व-स्तर पर विख्यात बने रहते हैं। ऐसे शिक्षण संस्थानों में कई नोबेल पुरस्कार विजेता शोधार्थियों को मार्गदर्शन प्रदान करते हैं। ऐसे वैश्विक संदर्भ में भारत को ज्ञान-शक्ति के रूप में प्रतिष्ठित करने का हमारा सामूहिक प्रयास आगे बढ़ रहा है। निष्ठा, आत्मविश्वास और परिश्रम के बल पर हम उच्च शिक्षा के राष्ट्रीय लक्ष्यों को प्राप्त कर सकते हैं। उन्होंने कहा कि भारत को ज्ञान महाशक्ति में बदलने में शिक्षण संस्थानों के लीडर्स की बड़ी जिम्मेदारी है।
राष्ट्रपति ने कहा कि युवा पीढ़ी अपने शिक्षकों और सफल व्यक्तियों में अपना आदर्श देखती है। उन्होंने अपने आचरण से जो आदर्श एवं उदाहरण स्थापित किए वे बहुत महत्वपूर्ण हैं। उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि उच्च शिक्षण संस्थानों में युवाओं के चरित्र निर्माण को प्राथमिकता दी जानी चाहिए। आधुनिक ज्ञान-विज्ञान और प्रौद्योगिकी में शिक्षित चरित्रवान युवा एक बेहतर समाज और राष्ट्र का निर्माण करेंगे।
इससे पहले दिन में, राष्ट्रपति ने कुलाध्यक्ष पुरस्कार 2021 प्रदान किए। 'नवाचार' के लिए कुलाध्यक्ष पुरस्कार दक्षिण बिहार केंद्रीय विश्वविद्यालय के भौतिक एवं रसायन विज्ञान पीठ के प्रोफेसर वेंकटेश सिंह को प्रतिरोधी प्लेट चैंबर डिटेक्टर के लिए सिलिकॉन फाइबर शीट का उपयोग करके स्वदेशी चार्ज पिक-अप पैनल विकसित करने के लिए प्रदान किया गया। 'भौतिक विज्ञान में अनुसंधान' के लिए कुलाध्यक्ष पुरस्कार भौतिकी पीठ, हैदराबाद विश्वविद्यालय के प्रोफेसर सुरजीत धारा को मृदु पदार्थ और द्रव क्रिस्टल में उनके कार्य के लिए प्रदान किया गया। डॉ. हरिसिंह गौर विश्वविद्यालय, सागर के प्रोफेसर मोहम्मद लतीफ ख़ान को वन जैव विविधता को समझने, आरईटी (दुर्लभ, लुप्तप्राय और संकटग्रस्त) पौधों की प्रजातियों के पुनर्जनन और पूर्वी हिमालय और मध्य भारत में वनों के खतरे की स्थिति का आकलन में उनके योगदान के लिए 'जीव विज्ञान में अनुसंधान' के लिए कुलाध्यक्ष पुरस्कार मिला। 'तकनीकी विकास' के लिए कुलाध्यक्ष पुरस्कार हैदराबाद विश्वविद्यालय के भौतिक विज्ञान पीठ के प्रोफेसर केसी जेम्स राजू को फेरोइलेक्ट्रिक पतली फिल्मों का उपयोग करके फ्रीक्वेंशी ट्यूनेबल माइक्रोवेव उपकरणों में उनके योगदान के लिए प्रदान गया। राष्ट्रपति ने आणविक प्रणालियों और सामग्रियों के फोटो-एक्साइटेशन पर बनी अल्पकालिक रसायन क़िस्मों की स्पेक्ट्रोस्कोपी और गतिशीलता में उनके अनुसंधान के लिए प्रोफेसर अनुनय सामंत, रसायन विज्ञान पीठ, हैदराबाद विश्वविद्यालय को अनुसंधान (भौतिक विज्ञान) के लिए छठा कुलाध्यक्ष पुरस्कार, 2020 भी प्रदान किया।