भारत के राष्ट्रपति ने स्वच्छ भारत दिवस समारोह में भाग लिया
राष्ट्रपति भवन : 02.10.2022
भारत की राष्ट्रपति श्रीमती द्रौपदी मुर्मु ने आज (2 अक्टूबर, 2022) को नई दिल्ली में स्वच्छ भारत दिवस मनाने के लिए जल शक्ति मंत्रालय द्वारा आयोजित कार्यक्रम की शोभा बढ़ाई। उन्होंने विभिन्न श्रेणियों में स्वच्छ सर्वेक्षण ग्रामीण पुरस्कार प्रदान किए।
इस अवसर पर राष्ट्रपति ने राष्ट्रपिता महात्मा गांधी को श्रद्धांजलि अर्पित की। उन्होंने कहा कि गांधी जी के विचार शाश्वत हैं। गांधी जी का सत्य और अहिंसा की तरह स्वच्छता पर भी आग्रह था। स्वच्छता के बारे में उनके संकल्प का उद्देश्य सामाजिक विकृतियों को दूर करना और एक नए भारत का निर्माण करना था। इसलिए उनके जन्म दिवस को 'स्वच्छ भारत दिवस' के रूप में मनाना उन्हें सच्ची श्रद्धांजलि अर्पित करना है।
राष्ट्रपति ने कहा कि वर्ष 2014 में 'स्वच्छ भारत मिशन-ग्रामीण' के शुभारंभ के बाद से अब तक 11 करोड़ से अधिक शौचालयों का निर्माण किया गया है और लगभग 60 करोड़ लोगों ने खुले में शौच करने की अपनी आदत को बदला है। उन्होंने प्रसन्नता व्यक्त की कि इस मिशन के माध्यम से भारत ने संयुक्त राष्ट्र के सतत विकास लक्ष्य संख्या-6 को वर्ष 2030 की समय सीमा से 11 वर्ष पूर्व ही प्राप्त कर लिया है।
राष्ट्रपति ने कहा कि ‘स्वच्छ भारत मिशन-ग्रामीण’ व्यवहार-परिवर्तन का एक आंदोलन है। कोरोना की वैश्विक महामारी के दौरान सभी लोगों ने यह महसूस किया कि घर-घर बने शौचालय,साबुन से हाथ धोने की आदत और घर में नल के द्वारा जल की आपूर्ति की सुविधा ने इस विपत्ति में एक रक्षा-कवच का कार्य किया है। उन्होंने कहा कि भारत सरकार 'स्वच्छ भारत मिशन-ग्रामीण' के दूसरे चरण को लागू कर रही है, जिसका उद्देश्य देश के सभी छह लाख गांवों को ओडीएफ प्लस बनाना है। खुले में शौच के विरुद्ध सफलता पाने के बाद अब हमें ठोस और तरल कचरे के प्रबंधन जैसी अधिक जटिल और तकनीकी समस्याओं का समाधान करना है। उन्हें यह जानकर प्रसन्नता हुई कि 'स्वच्छ भारत मिशन-ग्रामीण' के दूसरे चरण की शुरुआत के बाद से, 1.16 लाख से अधिक गांवों ने स्वयं को ओडीएफ प्लस घोषित किया है और लगभग तीन लाख गांवों में ठोस और तरल कचरा प्रबंधन का कार्य अब शुरू भी हो गया है।
राष्ट्रपति ने कहा कि भारत सरकार स्वच्छता के साथ-साथ‘हर घर नल-से जल’के लक्ष्य पर भी कार्य कर रही है।इस मिशन का उद्देश्य वर्ष 2024 तक हर घर को नियमित और गुणवत्ता-युक्त पेयजल उपलब्ध कराना है। उन्होंने कहा की वर्ष 2019 में जल जीवन मिशन के प्रारम्भ के समय देश में केवल3.23करोड़ ग्रामीण घरों में नल से जल की आपूर्ति होती थी जो पिछले तीन वर्ष की अवधि में बढ़कर करीब 10.27 करोड़ तक पहुंच गई है। उन्होंने कहा कि खुले में शौच से मुक्ति के साथ-साथ नल के पानी की सुविधा से हाल के वर्षों में जल-जनित बीमारियों में उल्लेखनीय कमी आई है। लेकिन हमारा लक्ष्य बहुत बड़ा है। हमें जल-प्रबंधन और स्वच्छता के क्षेत्र में विश्व के समक्ष एक उदाहरण प्रस्तुत करना है।
राष्ट्रपति ने कहा कि आज जब हम अमृत-काल में प्रवेश कर रहे हैं, तो हमारा संकल्प - स्वस्थ, स्वच्छ और आत्मनिर्भर भारत का निर्माण करना होना चाहिए । इस लक्ष्य को पाने में हमारे सामने काफी बड़ी चुनौतियां होंगी क्योंकि इतनी बड़ी जनसंख्या को बुनियादी सुविधाएं उपलब्ध कराने के लिए आधुनिक तकनीक और प्रचुर संसाधनों की आवश्यकता होगी। उन्होंने विश्वास जताया कि कुशल राजनैतिक नेतृत्व, वैज्ञानिक, डॉक्टर,इंजीनियर,शिक्षक और सबसे बढ़कर जागरूक नागरिक अपने संयुक्त प्रयासों से हम भारत को एक विकसित और आत्मनिर्भर राष्ट्र बनाने में सफल होंगे।