भारत की राष्ट्रपति ने स्लोवाकिया-भारत व्यापार मंच को संबोधित किया

कॉन्स्टेंटाइन द फिलॉसफर यूनिवर्सिटी ने राष्ट्रपति को मानद डॉक्टरेट की उपाधि प्रदान की

राष्ट्रपति ने स्लोवाक कंपनियों को ‘मेक इन इंडिया’ पहल में शामिल होने के लिए आमंत्रित किया

राष्ट्रपति भवन : 10.04.2025

स्लोवाकिया की अपनी यात्रा के दूसरे दिन आज 10 अप्रैल, 2025 को भारत की राष्ट्रपति, श्रीमती द्रौपदी मुर्मु ने ब्रातिस्लावा में स्लोवाकिया-भारत व्यापार मंच को संबोधित किया। 

सभा को संबोधित करते हुए राष्ट्रपति ने कहा कि भारत और स्लोवाकिया के घनिष्ठ ऐतिहासिक और मैत्रीपूर्ण संबंध रहे हैं। पिछले कई वर्षों से हमारे देशों ने विभिन्न क्षेत्रों में सहयोग को बढ़ाया है। अब समय आ गया है कि हम अपने विविध क्षेत्रों में व्यापार की संभावनाओं को तलाशें। 

राष्ट्रपति ने कहा कि भारत एक महत्वपूर्ण परिवर्तन के दौर से गुजर रहा है, और प्रौद्योगिकी, नवाचार और सतत विकास के क्षेत्र में विश्व में एक अग्रणी देश के रूप से आगे आ रहा है। हमने अक्षय ऊर्जा, डिजिटल प्रौद्योगिकी, सूचना प्रौद्योगिकी, दूरसंचार, ऑटो और ऑटो-पुर्जे, फार्मा और जैव प्रौद्योगिकी, अंतरिक्ष और फिनटेक में महत्वपूर्ण सफलता अर्जित की है। उन्होंने कहा कि आशा है कि आने वाले वर्षों में भारत 5 ट्रिलियन डॉलर की अर्थव्यवस्था बन जाएगा, और हम स्लोवाकिया जैसे मित्रों की इसमें साझेदारी की उम्मीद करते हैं। 

राष्ट्रपति ने कहा कि भारत विश्व की सबसे तेजी से बढ़ती अर्थव्यवस्थाओं में है, और स्लोवाकिया, अपने मजबूत औद्योगिक आधार और यूरोप में कार्यनीतिक स्थान पर स्थित होने के कारण, यहां व्यापक व्यापार और निवेश की संभावनाएं हैं। यूरोपीय संघ के एक प्रमुख सदस्य और ऑटोमोटिव, रक्षा और उच्च तकनीक उद्योगों के केंद्र के रूप में, स्लोवाकिया भारत के विशाल उपभोक्ता बाजार, कुशल कार्यबल और संपन्न स्टार्ट-अप इकोसिस्टम से लाभ उठा सकता है। उन्होंने स्लोवाक कंपनियों को भारत की 'मेक इन इंडिया' पहल में शामिल होने के लिए आमंत्रित किया। 

राष्ट्रपति ने कहा कि स्लोवाकिया-भारत व्यापार मंच तालमेल बढ़ाने और पारस्परिक रूप से लाभकारी भागीदारी बनाने के लिए एक उत्कृष्ट मंच प्रस्तुत करता है। उन्होंने व्यापारियों से इन अवसरों का लाभ उठाने और ठोस परिणाम प्रस्तुत करने का आग्रह किया। उन्होंने विश्वास व्यक्त किया कि मंच पर किए जाने वाले विचार-विमर्श से स्थायी भागीदारियां होंगी। 

इसके बाद, राष्ट्रपति ने नाइट्रा में कॉन्स्टेंटाइन द फिलॉसफर यूनिवर्सिटी का दौरा किया, जहां उन्हें सार्वजनिक सेवा और शासन में उनके विशेष योगदान, सामाजिक न्याय और समावेशन को बढ़ावा देने, तथा शिक्षा, महिला सशक्तीकरण में योगदान देने तथा सांस्कृतिक और भाषाई विविधता को बढ़ावा देने लिए मानद डॉक्टरेट की उपाधि से सम्मानित किया गया। 

उपाधि को स्वीकार करते हुए राष्ट्रपति ने कहा कि यह वह सम्मान है, जो उस देश और देश की सभ्यता को दिया जा रहा है, जो अनादि काल से शांति और शिक्षा का पक्षधर रहा है। दार्शनिक संत कॉन्स्टेंटाइन सिरिल के नाम पर स्थापित इस संस्थान से यह उपाधि प्राप्त करना बहुत महत्व रखता है। 

राष्ट्रपति ने कहा कि शिक्षा व्यक्तिगत सशक्तीकरण का साधन तो है ही, यह राष्ट्रीय विकास का भी साधन है। इसे स्वीकार करते हुए भारत ने शिक्षा को अपनी राष्ट्रीय विकास कार्यनीति के केंद्र में रखा है। भारत की आधी आबादी की उम्र 25 साल से कम है, इसलिए भारत कल की ज्ञान अर्थव्यवस्था को आगे बढ़ाने के लिए अपने युवाओं में निवेश कर रहा है। 

राष्ट्रपति ने कहा कि भारत आधुनिकता और प्रौद्योगिकी को साथ लेकर चल रहा है, लेकिन हमारी प्रगति हमारी प्राचीन दार्शनिक परंपराओं के ज्ञान में गहराई से निहित है। उन्होंने कहा कि जैसे सेंट कॉन्स्टेंटाइन सिरिल के कार्यों ने स्लाव भाषाई और सांस्कृतिक पहचान की नींव रखी है, भारत की दार्शनिक परंपराओं ने लंबे समय से हमारे समाज के बौद्धिक और आध्यात्मिक ताने-बाने को आकार दिया है। भारतीय शास्त्रीय दर्शन में वास्तविकता की समृद्ध और विविध प्रकार से खोज की गई है और इसमें आत्मनिरीक्षण और नैतिक आचरण पर बल दिया जाता है। यह अनेक दृष्टिकोण और आत्म-ज्ञान और आंतरिक अनुभव के महत्व पर प्रकाश डालता है। उन्हें यह जानकर प्रसन्नता हुई कि उपनिषदों का कालातीत ज्ञान स्लोवाकिया में भी गूंज रहा है। 

अगले कार्यक्रम में राष्ट्रपति ने राष्ट्रपति पीटर पेलेग्रिनी के साथ नित्रा में जगुआर लैंड रोवर फैक्ट्री का दौरा किया और प्लांट के निर्माण कार्यों को देखा। 

इससे पहले सुबह राष्ट्रपति ने स्लोवाक बच्चों द्वारा बनाई गई चित्रों की प्रदर्शनी देखी। स्लोवाक-भारतीय मैत्री सोसायटी, भारतीय दूतावास के सहयोग से वर्ष 2015 से चित्रकला प्रतियोगिता ‘परियों की कहानियों में छिपी सुंदरता - स्लोवाक बच्चों की दृष्टि में भारत’ का आयोजन कर रही है। उन्होंने सुश्री लेनका मुकोवा का रामायण पर आधारित कठपुतली कार्यक्रम भी देखा। सुश्री लेनका प्रेसोव में बाबादलो कठपुतली थियेटर से हैं, जो 30 वर्षों से कठपुतली कार्यक्रमों के माध्यम से बच्चों को शिक्षा प्रदान कर रहा है। 

कल शाम 9 अप्रैल, 2025 को राष्ट्रपति ऐतिहासिक ब्रातिस्लावा कैसल में राष्ट्रपति पीटर पेलेग्रिनी द्वारा उनके सम्मान में आयोजित भोज में शामिल हुईं। 

भोज के दौरान स्लोवाक कलाकारों द्वारा दोनों देशों के बीच मजबूत सांस्कृतिक बंधन को प्रदर्शित करते हुए राष्ट्रगान सहित मनमोहक संगीत प्रस्तुतियाँ दी गई । जो https://www.youtube.com/watch?v=_9EgakGJ_QM https://www.youtube.com/watch?v=sJVciPS5WDI   पर देखी जा सकती हैं।

भोज पर अपने संबोधन में राष्ट्रपति ने गर्मजोशी से स्वागत और आतिथ्य के लिए स्लोवाकिया की सरकार और लोगों को धन्यवाद दिया। उन्होंने कहा कि योग और आयुर्वेद से लेकर भारतीय खान-पान तक, स्लोवाकिया का भारतीय संस्कृति के प्रति प्रेम हमारे लोगों के बीच मजबूत संबंधों का प्रमाण है। उन्होंने दोनों देशों के बीच मैत्रिक संबंधों को मजबूत करने के लिए भारत की प्रतिबद्धता की पुष्टि की।

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