केन्द्रीय विद्युत इंजीनियरिंग सेवा के अधिकारियों और भारतीय व्यापार सेवा के प्रोबेशनर्स ने राष्ट्रपति से मुलाकात की
राष्ट्रपति भवन : 05.10.2023
सेंट्रल पावर इंजीनियरिंग सर्विस (2018, 2020 और 2021 बैच) के अधिकारियों और भारतीय व्यापार सेवा (2022 बैच) के प्रोबेशनर्स ने आज 5 अक्तूबर, 2023 को राष्ट्रपति भवन में भारत की राष्ट्रपति श्रीमती द्रौपदी मुर्मु से मुलाकात की।
सेंट्रल पावर इंजीनियरिंग सर्विस के अधिकारियों को संबोधित करते हुए राष्ट्रपति ने कहा कि किसी देश की सामाजिक-आर्थिक प्रगति का एक संकेत ऊर्जा की मांग और खपत है। इसलिए, जैसे-जैसे भारत दुनिया की तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बनने की ओर आगे बढ़ रहा है, बिजली की मांग और खपत निश्चित रूप से बढ़ेगी और देश का तेजी से विकास होगा।
राष्ट्रपति ने कहा कि भारत के शुद्ध शून्य उत्सर्जन के लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए ऊर्जा दक्षता और नवीकरणीय ऊर्जा प्रमुख स्तंभ हैं। अंतर्राष्ट्रीय ऊर्जा एजेंसी के अनुसार, स्वच्छ ऊर्जा परिवर्तनों में ऊर्जा दक्षता को "प्रथम ईंधन" माना जाता है। यह जलवायु परिवर्तन शमन के कुछ सबसे तेज़ और सबसे लागत प्रभावी विकल्प प्रदान करती है। इससे ऊर्जा बिल भी कम होता है और ऊर्जा सुरक्षा भी मजबूत होती है। उन्होंने केंद्रीय विद्युत इंजीनियरिंग सेवा के अधिकारियों से ऊर्जा दक्षता बढ़ाने पर ध्यान केंद्रित करने का आग्रह किया ताकि जलवायु परिवर्तन संबंधी लक्ष्यों को हासिल करना आसान हो। उन्होंने कहा कि ऊर्जा परिवर्तन और ग्रिड एकीकरण की प्रक्रिया में उन्हें कई चुनौतियों का सामना करना पड़ेगा लेकिन उन्हें चुनौतियों से निपटने के लिए समग्र दृष्टिकोण अपनाने में सार्थक भूमिका निभानी होगी। उन्होंने कहा कि बिजली क्षेत्र का भविष्य अनुसंधान और नवाचार में निहित है, चाहे वह ऊर्जा भंडारण, ग्रिड प्रबंधन, अथवा ऊर्जा उत्पादन के नए रूपों में हो। उन्होंने उनसे बिजली क्षेत्र में अनुसंधान और विकास को महत्व देने का आग्रह किया ताकि भारत वैश्विक स्तर पर प्रतिस्पर्धा में रहे।
राष्ट्रपति ने भारतीय व्यापार सेवा के अधिकारियों को संबोधित करते हुए कहा कि व्यापार अर्थव्यवस्थाओं की रीढ़ है। इससे निवेश बढ़ता है, रोजगार सृजित होता है, आर्थिक विकास को गति मिलती है और जीवन स्तर में सुधार होता है। उन्होंने कहा कि भारत डिजिटल और स्थाई व्यापार सुविधा के लिए प्रतिबद्ध है और भारतीय व्यापार सेवा के अधिकारी व्यापार संवर्धन में महत्वपूर्ण भूमिका निभानी है। वे न केवल व्यापार नियामक हैं बल्कि व्यापार करने में सहायक भी होते हैं।
राष्ट्रपति ने कहा कि उनकी सेवा अंतरराष्ट्रीय संबंधों और व्यापार संचालन की बारीकियों दोनों के ज्ञान की मांग करती है ताकि वे व्यापार वार्ता और व्यापार नीतियों में नए आयाम खोल सकें और भारत के व्यापार को बढ़ावा देने के लिए नई गति प्रदान कर सकें। भारत का निर्यात बढ़ाने के लिए रणनीति बनाने में भी उनकी प्रमुख भूमिका है। उन्होंने कहा कि विदेश व्यापार नीति 2023 निर्यातकों के साथ 'विश्वास' और 'साझेदारी' के सिद्धांतों पर आधारित है। यह निर्यातकों के लिए सुगमता से व्यापार करने की सुविधा के लिए पुन: इंजीनियरिंग प्रक्रिया और स्वचालन पर भी ध्यान केंद्रित करती है। उन्होंने भारतीय व्यापार सेवा के अधिकारियों से उभरते अंतरराष्ट्रीय व्यापार परिदृश्य को समझने के लिए व्यापार विश्लेषण के नवीनतम उपकरणों को समझने और उनका उपयोग करने का आग्रह किया। उन्होंने कहा कि वैश्विक चुनौतियों को समझने और उनसे निपटने के लिए उन्हें समग्र दृष्टिकोण के साथ-साथ विशिष्ट डोमेन दक्षता रखने की भी आवश्यकता होगी।