दरबार हॉल' और 'अशोक हॉल' का नाम बदलकर क्रमश: 'गणतंत्र मंडप' और 'अशोक मंडप' रखा

राष्ट्रपति भवन : 25.07.2024

राष्ट्रपति भवन, भारत के राष्ट्रपति का कार्यालय और निवास, राष्ट्र का प्रतीक है और जनता की एक अमूल्य विरासत है। जनता की इस तक पहुँच बढ़ाने के लिए लगातार प्रयास किए जाते रहे हैं। साथ ही यह भी निरंतर प्रयास किया जाता रहा है की राष्ट्रपति भवन का वातावरण भारतीय सांस्कृतिक मूल्यों और लोकाचार के अनुरूप हो।

तदनुसार, राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मु ने राष्ट्रपति भवन के दो महत्वपूर्ण हॉलों - 'दरबार हॉल' और 'अशोक हॉल' का नाम बदलकर क्रमशः 'गणतंत्र मंडप' और 'अशोक मंडप' किया है।

'दरबार हॉल' में राष्ट्रीय पुरस्कारों की प्रस्तुति जैसे महत्वपूर्ण समारोह और उत्सव आयोजित किए जाते हैं। 'दरबार' शब्द का अर्थ भारतीय शासकों और अंग्रेजों की अदालतों और सभाओं से है। भारत के गणतंत्र बनने के बाद इसकी प्रासंगिकता नहीं रही है। 'गणतंत्र' की अवधारणा प्राचीन काल से ही भारतीय समाज में गहराई से समाहित रही है, इसलिए 'गणतंत्र मंडप' इस आयोजन स्थल के लिए एक उपयुक्त नाम है।

'अशोक हॉल' मूलतः एक नृत्यशाला (बालरूम) थी। 'अशोक' शब्द का अर्थ है ऐसा व्यक्ति जो "सभी कष्टों से मुक्त" या "किसी भी दुःख से मुक्त" है। इसके अलावा, 'अशोक' से तात्पर्य एकता और शांतिपूर्ण सह-अस्तित्व के प्रतीक सम्राट अशोक से है। भारत गणराज्य का राष्ट्रीय प्रतीक सारनाथ के अशोक स्तम्भ का शीर्ष सिंह है। इस शब्द का अभिप्राय अशोक वृक्ष से भी है जिसे भारतीय धार्मिक परंपराओं के साथ-साथ कला और संस्कृति में बहुत महत्व दिया गया है। 'अशोक हॉल' का नाम बदलकर 'अशोक मंडप' करने से भाषा की एकरूपता बन जाती है और 'अशोक' शब्द से जुड़े प्रमुख मूल्य ज्यों के त्यों बने रहते हैं किन्तु अंग्रेजीकरण हट जाता है।

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