भारत की राष्ट्रपति वीडियो संदेश के माध्यम से पूर्वोत्तर पहाड़ी क्षेत्र के लिए आईसीएआर अनुसंधान परिसर के स्वर्ण जयंती समारोह में शामिल हुईं।
राष्ट्रपति भवन : 09.01.2025
भारत की राष्ट्रपति श्रीमती द्रौपदी मुर्मु आज 9 जनवरी, 2025 को वीडियो संदेश के माध्यम से मेघालय के उमियम में स्थित आईसीएआर के उत्तर पूर्वी पर्वतीय क्षेत्र अनुसंधान परिसर के स्वर्ण जयंती समारोह में शामिल हुईं।
अपने संदेश में राष्ट्रपति ने कहा कि हालांकि पूर्वोत्तर क्षेत्र को कई मायनों में प्रकृति का आशीर्वाद प्राप्त है, लेकिन इस क्षेत्र की लगभग 70 प्रतिशत आबादी की आजीविका का स्रोत कृषि को कठिन चुनौतियों का भी सामना करना पड़ता है। उन्हें यह जानकर प्रसन्नता हुई कि आईसीएआर अनुसंधान परिसर, उमियम ने पिछले कुछ वर्षों में क्षेत्र की कृषि-जलवायु परिस्थितियों के अनुकूल 100 से अधिक फसल किस्मों का विकास किया है। इसने शूकरों की नस्लों, मुर्गी और हल्दी की किस्म विकसित करने में भी मदद की है। धान, मक्का और बागवानी फसलों की अधिक उपज देने वाली और जलवायु-अनुकूल किस्मों को पेश करके संस्थान ने खाद्य सुरक्षा और ग्रामीण आजीविका को बढ़ाने में सहयोग किया है। पिछले दस वर्षों में क्षेत्र में खाद्यान्न और बागवानी फसलों का उत्पादन क्रमशः 30 प्रतिशत और 40 प्रतिशत बढ़ा है। इसके अलावा, बागवानी, पशुधन और मत्स्य पालन जैसे सभी कृषि-संबद्ध क्षेत्रों में कृषि-आधारित उद्यमों पर भी यहां कार्य किया गया है जिससे आजीविका पैदा करने और युवाओं को कृषि में बनाए रखने में महत्वपूर्ण मदद मिली है। पिछले पांच वर्षों में पूर्वोत्तर में कृषि-उद्यमियों में 25 प्रतिशत की वृद्धि देखी गई है, जिसमें फूलों की खेती, जैविक खेती और स्थानीय उपज के मूल्य संवर्धन में कई युवाओं द्वारा संचालित उद्यम भी हैं।
पूर्वोत्तर क्षेत्र की आदिवासी कृषि प्रणालियों, जैसे कि लघु खेती और सीढ़ीदार खेती, जो टिकाऊ और पर्यावरण अनुकूल कृषि प्रथाओं के लिए एक मॉडल हैं, पर प्रकाश डालते हुए राष्ट्रपति ने कहा कि ये प्राकृतिक और जैविक हैं, इन पर कम लागत आती है और ये जलवायु परिवर्तन के प्रति अनुकूल हैं। उन्होंने वैज्ञानिकों को कहा कि वे क्षेत्र की विशेष फसलों, पशुधन और जैव विविधता से जुड़े स्वदेशी और पारंपरिक ज्ञान को दस्तावेजबद्ध करें और इन्हें मान्यता दिलाएं। उन्होंने कहा कि भविष्य की पीढ़ियों के लिए क्षेत्र की समृद्ध विरासत की रक्षा करने और कृषि स्थिरता सुनिश्चित करने के लिए जर्मप्लाज्म संसाधनों का संरक्षण करना आवश्यक है।
राष्ट्रपति ने कहा कि उत्तर-पूर्व क्षेत्र जैव विविधता और स्वदेशी विशेषज्ञता की अपनी संपत्ति से सबके लिए एक उदाहरण प्रस्तुत किया है। आईसीएआर अनुसंधान परिसर, उमियम स्थानीय ज्ञान को आधुनिक तकनीकी उपकरणों के साथ एक मंच पर ला सकता है। यह क्षेत्र यह साबित कर सकता है कि भारत के अन्य पर्यावरण- संवेदनशील क्षेत्रों में इस तरह के तरीकों को कैसे अपनाया जा सकता है। उन्होंने सभी हितधारकों से इस अवसर का लाभ उठाने और प्रौद्योगिकी-संचालित, पारिस्थितिक आधारित कृषि के पुनरुत्थान के लिए मिलकर कार्य करने का आग्रह किया।
राष्ट्रपति ने 50 वर्षों की अतुल्य सेवा और समर्पण के लिए पूर्वोत्तर पर्वतीय क्षेत्र के लिए आईसीएआर अनुसंधान परिसर की सराहना की। उन्होंने कहा कि इस क्षेत्र ने चुनौतियों को अवसरो में बदला है और उत्तर-पूर्व के लोगों को समर्थ बनाया है। उन्होंने विश्वास व्यक्त किया कि पूर्वोत्तर पर्वतीय क्षेत्र द्वारा की गई प्रगति से और अधिक नवाचार और सहयोग को बढ़ावा मिलेगा, जिससे क्षेत्र में कृषि का भविष्य समृद्ध होगा।
राष्ट्रपति का आज मेघालय के उमियम में आईसीएआर के उत्तर पूर्वी पर्वतीय क्षेत्र अनुसंधान परिसर का दौरा-कार्यक्रम था, लेकिन खराब मौसम के कारण यह दौरा रद्द करना पड़ा।