भारत की राष्ट्रपति उत्कल विश्वविद्यालय के 53वें दीक्षांत समारोह में शामिल हुईं
राष्ट्रपति भवन : 29.02.2024
भारत की राष्ट्रपति श्रीमती द्रौपदी मुर्मु आज 29 फरवरी, 2024 को भुवनेश्वर में उत्कल विश्वविद्यालय के 53वें दीक्षांत समारोह में शामिल हुईं और उसे संबोधित किया।
इस अवसर पर राष्ट्रपति ने कहा कि उत्कल विश्वविद्यालय ने अपनी स्थापना के बाद से, न केवल ओडिशा में बल्कि पूरे भारत में शिक्षा के क्षेत्र में अपनी पहचान बनाई है। अपने परिसर, वातावरण और शिक्षण परंपरा की दृष्टि से यह देश का अग्रणी विश्वविद्यालय है। उन्होंने इस विश्वविद्यालय की सफल यात्रा में योगदान देने वाले सभी दूरदर्शी प्रतिभाओं को श्रद्धांजलि अर्पित की।
राष्ट्रपति ने कहा कि यह मेरा सौभाग्य है की वे उत्कल विश्वविद्यालय की विद्यार्थी रही हैं। उन्होंने कहा कि इस विश्वविद्यालय के अनेक विद्यार्थियो ने विभिन्न क्षेत्रों में उल्लेखनीय कार्य करके उत्कल विश्वविद्यालय को गौरवान्वित किया है।
राष्ट्रपति ने कहा कि उत्कल विश्वविद्यालय के तहत मान्यता प्राप्त कॉलेजों में दो लाख से अधिक विद्यार्थी पढ़ रहे हैं। उन्हें यह जानकर प्रसन्नता हुई कि विद्यार्थियो में लड़कियों का प्रतिशत लड़कों से अधिक है। उन्होंने विद्यार्थियो से कहा की आपसे मिलने वाले प्रत्येक व्यक्ति में मानवीय गुण और सबसे जरूरी विनय और नम्रता, प्रेम और करुणा का विस्तार करें। उन्होंने कहा कि उन्हें याद रखना चाहिए कि मानव अस्तित्व के लिए शांति और सद्भाव आवश्यक है। उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि करुणा केवल मनुष्यों के प्रति ही नहीं बल्कि इस धरती पर रहने वाले सभी जीवित और निर्जीव प्राणियों के प्रति भी रखनी चाहिए।
राष्ट्रपति ने कहा कि जब वह स्कूल में पढ़ती थीं, तो उनके शिक्षक अक्सर माता, मातृभूमि और मातृभाषा से स्नेह करना सिखाते थे। उन्होंने कहा कि हमारी मातृभाषा में शिक्षा प्रदान करने से हम अपनी संस्कृति से जुड़े रहते हैं। उन्होंने कहा कि हमें विरासत में बहुत समृद्ध संस्कृति मिली है और हमें इसका संरक्षण करना है। भारतीय ज्ञान परंपरा को संरक्षित करने के लिए हमें अपनी जड़ों से जुड़ा रहना होगा।