भारत की राष्ट्रपति श्री लाल बहादुर शास्त्री राष्ट्रीय संस्कृत विश्वविद्यालय के प्रथम दीक्षांत समारोह में शामिल हुईं
राष्ट्रपति भवन : 05.12.2023
भारत की राष्ट्रपति श्रीमती द्रौपदी मुर्मु आज 5 दिसंबर, 2023 नई दिल्ली में श्री लाल बहादुर शास्त्री राष्ट्रीय संस्कृत विश्वविद्यालय के प्रथम दीक्षांत समारोह में शामिल हुईं और उसे संबोधित किया।
इस अवसर पर राष्ट्रपति ने कहा कि संस्कृत हमारी संस्कृति की पहचान और संवाहिका रही है। यह हमारे देश की प्रगति का आधार रही है। उन्होंने कहा कि संस्कृत का व्याकरण इस भाषा को अतुलनीय वैज्ञानिक आधार देता है। यह मानवीय प्रतिभा की अप्रतिम उपलब्धि है और इस पर हमें गर्व होना चाहिए।
राष्ट्रपति ने कहा कि संस्कृत पर आधारित शिक्षा-व्यवस्था में गुरु अथवा आचार्य का सर्वाधिक महत्व रहा है। उन्होंने विश्वास व्यक्त किया कि श्री लाल बहादुर शास्त्री राष्ट्रीय संस्कृत विश्वविद्यालय के विद्यार्थी इस परंपरा के अनुरूप अपने शिक्षकों के प्रति कृतज्ञता की भावना से आगे बढ़ने का संकल्प लेंगे तथा साथ ही, अध्यापक-गण भी विद्यार्थियों के आजीवन कल्याण हेतु आशीर्वाद एवं प्रेरणा देंगे।
राष्ट्रपति ने कहा कि विवेकशील व्यक्ति अपनी बुद्धि का प्रयोग करके श्रेष्ठ वस्तु को अंगीकार करते हैं। नासमझ लोग दूसरों के कहने पर किसी बात या वस्तु को अपनाते हैं या नकारते हैं। उन्होंने विद्यार्थियों को यह ध्यान रखने की सलाह दी कि हमारी परंपराओं में जो कुछ विज्ञान-सम्मत तथा उपयोगी है उसे स्वीकार करना है और जो कुछ रूढ़िगत, अन्यायपूर्ण और अनुपयोगी है उसे अस्वीकार करना है। यह विवेक सदैव जागृत रखना चाहिए।
राष्ट्रपति ने कहा कि राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 का यह सार तत्व है कि हमारे युवा विद्यार्थी भारतीय परम्पराओं में निष्ठा रखते हुए 21वीं सदी के विश्व में अपना समुचित स्थान बनाएं। हमारे यहां, सदाचार, धर्माचरण, परोपकार तथा सर्व-मंगल जैसे जीवन-मूल्यों पर आधारित प्रगति में ही शिक्षा की सार्थकता मानी गई है। उन्होंने कहा कि इस संसार में उन व्यक्तियों के लिए कुछ भी प्राप्त करना कठिन नहीं है जो हमेशा दूसरों के हित में लगे रहते हैं।
राष्ट्रपति ने कहा कि सर्वसमावेशी प्रगति किसी भी संवेदनशील समाज की पहचान है। उन्होंने श्री लाल बहादुर शास्त्री राष्ट्रीय संस्कृत विश्वविद्यालय से छात्राओं को प्रोत्साहित करने और उन्हें अपनी प्रतिभा का प्रदर्शन करने के पर्याप्त अवसर प्रदान करने का आग्रह किया।