भारत की राष्ट्रपति राष्ट्रीय विधि विश्वविद्यालय, ओडिशा के दीक्षांत समारोह में शामिल हुईं
अपने व्यावसायिक समय का कुछ हिस्सा बेसहारा या वंचितों की सेवा के लिए समर्पित करें: राष्ट्रपति मुर्मु ने कानून के विद्यार्थियों से कहा
राष्ट्रपति भवन : 26.07.2023
भारत की राष्ट्रपति श्रीमती द्रौपदी मुर्मु आज 26 जुलाई, 2023 को कटक में राष्ट्रीय विधि विश्वविद्यालय ओडिशा के दीक्षांत समारोह में शामिल हुईं और संबोधित किया।
इस अवसर पर बोलते हुए, राष्ट्रपति ने कहा कि भारत के स्वतंत्रता संग्राम का नेतृत्व योग्य वकीलों द्वारा किया गया था। इससे पता चलता है कि उस पीढ़ी के बड़ी संख्या में वकील देश के लिए बलिदान देने की भावना से भरे हुए थे। मधु-बैरिस्टर के नाम से मशहूर उत्कल गौरव मधुसूदन दास को याद करते हुए उन्होंने कहा कि उनकी जयंती को ओडिशा में 'वकील दिवस' के रूप में मनाया जाता है। उन्होंने कहा कि ओडिशा के लोगों के लिए, 'महात्मा गांधी' और 'मधु- बैरिस्टर' भारत के स्वतंत्रता संग्राम के दो सबसे सम्मानित व्यक्ति हैं। उनके जैसे महान स्वतंत्रता सेनानियों और वकीलों ने भी एक प्रगतिशील और एकजुट समाज के निर्माण के लिए न्याय, स्वतंत्रता, समानता और बंधुत्व के आदर्शों का समर्थन किया।
राष्ट्रपति ने विद्यार्थियों से संवैधानिक आदर्शों का दृढ़ता से पालन करने का आग्रह किया। उन्होंने उनको राष्ट्र की प्राथमिकताओं के प्रति संवेदनशील बनने की सलाह दी और उन्होंने कहा कि उन्हें उन राष्ट्रीय प्राथमिकताओं में योगदान देने के लिए सचेत प्रयास भी करने चाहिए।
राष्ट्रीय विधि विश्वविद्यालय ओडिशा के आदर्श वाक्य 'सत्ये स्थितो धर्मः' का उल्लेख करते हुए, जिसका अर्थ है 'धर्म पूरी तरह से सत्य या सच्चाई में निहित है', राष्ट्रपति ने कहा कि प्राचीन भारत में अदालतों का वर्णन करने के लिए अक्सर दो शब्दों का इस्तेमाल किया जाता था
'धर्मसभा' और ' धर्माधिकरण'। आज के आधुनिक भारत में हमारा धर्म भारत के संविधान में निहित है, जो देश का सर्वोच्च कानून है। उन्होंने कहा कि आज उत्तीर्ण होने वाले युवा विद्यार्थियों सहित संपूर्ण कानूनी जानकारों को संविधान को अपनी पवित्र पुस्तक के रूप में मानना चाहिए।
राष्ट्रपति ने कहा कि नागरिकों की मदद करने की स्थिति वाले प्रत्येक भारतीय की यह सर्वोच्च प्राथमिकता होनी चाहिए की महिलाओं सहित हमारी आबादी के कमजोर वर्गों को समान अवसर और सम्मान मिले। हमारे वंचित और कमजोर साथी नागरिकों की एक बहुत बड़ी संख्या को अपने अधिकारों और हकों के बारे में भी पता नहीं है, न ही उनके पास राहत या न्याय पाने के लिए अदालतों में जाने के साधन हैं। उन्होंने विद्यार्थियों से कहा कि यह उनका कर्तव्य है कि वे अपने व्यावसायिक समय का कुछ हिस्सा बेसहारा या वंचितों की सेवा के लिए समर्पित करें। उन्होंने उनसे आग्रह किया कि वे अपनी व्यावसायिक गतिविधियों का कम से कम कुछ समय सच्चे करुणा भाव से गरीबों और कमजोरों की मदद करने के लिए समर्पित करें। उन्होंने कहा, यह सही कहा गया है कि कानून सिर्फ एक करियर नहीं है, यह एक व्यवसाय है, पुकार है।