भारत की राष्ट्रपति ने 'स्वच्छ और स्वस्थ समाज के लिए आध्यात्मिकता' विषय पर ग्लोबल समिट में शामिल हुईं

राष्ट्रपति भवन : 04.10.2024

भारत की राष्ट्रपति, श्रीमती द्रौपदी मुर्मु आज 4 अक्तूबर, 2024 को माउंट आबू, राजस्थान में प्रजापिता ब्रह्माकुमारी ईश्वरीय विश्व विद्यालय द्वारा आयोजित 'स्वच्छ और स्वस्थ समाज के लिए आध्यात्मिकता' विषय पर एक ग्लोबल समिट में शामिल हुईं।

इस अवसर पर राष्ट्रपति ने कहा कि आध्यात्मिकता का मतलब धार्मिक होना या सांसारिक कार्यों का त्याग कर देना नहीं है। अध्यात्म का अर्थ है, अपने भीतर की शक्ति को पहचान कर अपने आचरण और विचारों में शुद्धता लाना। विचारों और कर्मों में शुद्धता जीवन के हर क्षेत्र में संतुलन और शांति लाने का मार्ग है। यह एक स्वस्थ और स्वच्छ समाज के निर्माण के लिए भी आवश्यक है।

राष्ट्रपति ने कहा कि शारीरिक, मानसिक और आत्मिक  स्वच्छता एक स्वस्थ जीवन की कुंजी है। हमें केवल बाहरी स्वच्छता पर ही ध्यान नहीं देना चाहिए बल्कि मानसिक और आत्मिक रूप से भी स्वच्छ रहना चाहिए। स्वच्छ मानसिकता के आधार पर ही समग्र स्वास्थ्य संभव होता है। भावनात्मक और मानसिक स्वास्थ्य सही सोच पर निर्भर करता है क्योंकि हमारे विचार ही शब्दों और व्यवहार का रूप लेते हैं। दूसरों के प्रति कोई राय बनाने से पहले हमें अपने अन्तर्मन में झांकना चाहिए। जब हम किसी दूसरे की परिस्थिति में अपने आप को रख कर देखेंगे तब सही राय बना पाएंगे।

राष्ट्रपति ने कहा कि आध्यात्मिकता न केवल व्यक्तिगत विकास का साधन है, बल्कि समाज में सकारात्मक बदलाव लाने का मार्ग भी है। जब हम अपने भीतर की स्वच्छता को पहचान पाने में सक्षम होंगे, तभी हम एक स्वस्थ और शांतिपूर्ण समाज की स्थापना में अपना योगदान दे सकेंगे। आध्यात्मिकता समाज और धरती से जुड़े अनेक मुद्दों जैसे सतत विकास, पर्यावरण संरक्षण और सामाजिक न्याय को भी शक्ति प्रदान करती है।

राष्ट्रपति ने कहा कि भौतिकता हमें क्षण भर की शारीरिक और मानसिक संतुष्टि देती है, जिसे हम असली सुख समझ कर उसके मोह में पड़ जाते हैं। यही मोह हमारे असंतुष्टि और दुख का कारण बन जाता है। दूसरी ओर अध्यात्म हमें अपने आप को जानने का, अपने अन्तर्मन को पहचानने का अवसर देता है।

राष्ट्रपति ने कहा कि आज के समय में शांति और एकता की महत्ता और अधिक बढ़ गई है। जब हम शांत होते हैं, तभी हम दूसरों के प्रति सहानुभूति और प्रेम का भाव रख सकते हैं। योग की शिक्षाएं और ब्रह्माकुमारी जैसे संस्थान हमें आंतरिक शांति का अनुभव कराते हैं। यह शांति न केवल हमारे भीतर, बल्कि पूरे समाज में सकारात्मक बदलाव लाने की क्षमता रखती है।

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