भारत की राष्ट्रपति ने 'पुस्तकालय महोत्सव' का उद्घाटन किया
राष्ट्रपति भवन : 05.08.2023
भारत की राष्ट्रपति श्रीमती द्रौपदी मुर्मु ने आज 5 अगस्त, 2023 को नई दिल्ली में 'पुस्तकालय महोत्सव' का उद्घाटन किया। यह महोत्सव पुस्तकालयों के विकास और डिजिटलीकरण को बढ़ावा देने और पढ़ने की संस्कृति को विकसित करने के उद्देश्य से संस्कृति मंत्रालय द्वारा आयोजित किया जा रहा है।
इस अवसर पर राष्ट्रपति ने कहा कि पुस्तकालयों का विकास समाज और संस्कृति के विकास से जुड़ा होता है। यह सभ्यताओं की उन्नति का पैमाना भी होता है। उन्होंने कहा कि इतिहास ऐसे उल्लेखों से भरा पड़ा है जिसमें आक्रान्ताओं ने पुस्तकालयों को नष्ट करना अनिवार्य समझा। इससे पता चलता है कि पुस्तकालयों को किसी देश या समाज की सामूहिक चेतना और प्रतिभा का प्रतीक माना गया है। उन्होंने बताया कि आधुनिक युग में वैसी घटनाएं तो नहीं होती हैं लेकिन दुर्लभ पांडुलिपियों और पुस्तकों के गायब होने की घटनाएं सुनने में आती हैं। उन्होंने कहा कि दुर्लभ पुस्तकों और पांडुलिपियों को वापस लाने का प्रयास किया जाना चाहिए।
राष्ट्रपति ने कहा कि पुस्तकालय सभ्यताओं के बीच सेतु का काम करते हैं। प्राचीन और मध्यकाल में कई देशों के लोग भारत से पुस्तकें ले जाते थे, उनका अनुवाद करते थे और ज्ञान अर्जित करते थे। ऐसे प्रयासों के पीछे यही विचार काम करता है कि पुस्तकें और पुस्तकालय मानवता की साझी विरासत हैं।
राष्ट्रपति ने कहा कि एक छोटी-सी पुस्तक में विश्व-इतिहास की धारा को बदलने की क्षमता होती है। उन्होंने गांधीजी की आत्मकथा का जिक्र किया, जिसमें उन्होंने जॉन रस्किन की किताब 'अनटू दिस लास्ट' के उनके जीवन में हुए रचनात्मक परिवर्तन का उल्लेख किया है। उन्होंने कहा कि पुस्तकों में जमीन की खुशबू होती है और आसमान का विस्तार होता है।
राष्ट्रपति ने कहा कि पांडुलिपियों के संरक्षण और पुस्तकालयों के आधुनिकीकरण और डिजिटलीकरण के लिए किए जाने वाले प्रयास बहुत महत्वपूर्ण हैं। सूचना एवं संचार प्रौद्योगिकी के प्रयोग से पुस्तकालयों का स्वरूप बदल रहा है। पहुंच सुगम हो गई है। उन्होंने कहा कि 'वन नेशन, वन डिजिटल लाइब्रेरी' के राष्ट्रीय लक्ष्य को हासिल करने के लिए भारत की राष्ट्रीय वर्चुअल लाइब्रेरी विकसित की जा रही है। उन्होंने विश्वास जताया कि राष्ट्रीय पुस्तकालय मिशन की सफलता से पुस्तकालयों से जुड़ने और किताबें पढ़ने की संस्कृति मजबूत होगी।
राष्ट्रपति ने कहा कि पुस्तकालयों को सामाजिक सम्मिलन, स्वाध्याय और चिंतन का केंद्र बनाया जाना चाहिए। उन्होंने पुस्तकालयों के विकास के राष्ट्रीय अभियान को आगे बढ़ाने के लिए संस्कृति मंत्रालय की सराहना की।