भारत की राष्ट्रपति ने प्रधानमंत्री राष्ट्रीय बाल पुरस्कार प्रदान किए

राष्ट्रपति भवन : 22.01.2024

भारत की राष्ट्रपति श्रीमती द्रौपदी मुर्मु ने आज 22 जनवरी, 2024 को नई दिल्ली में आयोजित एक समारोह में 19 बच्चों को प्रधानमंत्री राष्ट्रीय बाल पुरस्कार प्रदान किए। बहादुरी, विज्ञान और प्रौद्योगिकी और नवाचार की श्रेणी में एक-एक बच्चे को; समाज सेवा की श्रेणी में चार बच्चे; खेल की श्रेणी में पांच बच्चों और कला एवं संस्कृति की श्रेणी में सात बच्चों को यह पुरस्कार मिला।

इस अवसर पर राष्ट्रपति ने कहा कि यह पुरस्कार समारोह उपलब्धि हासिल करने वाले युवाओं की अद्भुत क्षमता और प्रतिभा को प्रोत्साहित करने का अवसर है। यह बच्चों की उपलब्धियों का उत्सव मनाने का अवसर भी है। उन्होंने उत्कृष्ट कार्य के लिए सभी बच्चों की प्रशंसा की।

राष्ट्रपति ने कहा कि हमारे बालक-बालिकाएं बहुमुखी प्रतिभा के धनी हैं। उनमें अपनी लगन और मेहनत के बल पर अपनी पहचान बनाने की असीम क्षमता है। उन्हें सही दिशा दिखाना हमारा कर्तव्य है ताकि वे अपनी प्रतिभा और ऊर्जा का उचित उपयोग कर सकें।

राष्ट्रपति ने कहा कि आज भारत के पास युवाओं की बड़ी संख्या के रूप में एक अमूल्य संसाधन है। यह संसाधन केवल भारत ही नहीं बल्कि पूरे विश्व की प्रगति में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकता है। हमें अपने युवाओं को टेक्नोलॉजी के उपयोग में सक्षम बनाना है। उन्हें इनोवेशन और उद्यमिता के लिए प्रोत्साहित करना होगा। तभी वे इस तेजी से  बदलते युग में अपना समुचित स्थान बना पाएंगे।

राष्ट्रपति ने कहा कि आजकल बच्चे तकनीक-प्रेमी हैं। वे अपनी शिक्षा के लिए प्रौद्योगिकी का उपयोग कर रहे हैं। लेकिन तकनीक का अक्सर दुरुपयोग भी होता है। डीप फेक, वित्तीय धोखाधड़ी, बच्चों का शोषण जैसे अनेक अपराध टेक्नोलॉजी के माध्यम से हो रहे हैं। उन्होंने कहा कि सोशल मीडिया जहां एक ओर अपनी बात रखने, किसी मुद्दे पर लोगों में जागरूकता फैलाने का सशक्त माध्यम है, वहीं दूसरी ओर अफवाह फैलाने में भी इसका दुरुपयोग हो रहा है। उन्होंने बच्चों को सतर्क रहने और गलत कामों से दूर रहने की सलाह दी, क्योंकि एक गलत कदम उनके भविष्य को खतरे में डाल सकता है।

राष्ट्रपति ने कहा कि युवा पीढ़ी की शारीरिक गतिविधियां कम हो रही हैं। उन्होंने कहा कि कम शारीरिक गतिविधियों के कारण कई बीमारियाँ जो बच्चों और युवाओं में बहुत कम होती थीं, आज बढ़ रही हैं। उन्होंने युवाओं से कम से कम एक खेल जरूर सीखने और उसमें भाग लेने की अपील की। उन्होंने कहा कि वे भले ही खेल को करियर के रूप में नहीं अपनाएं, लेकिन खेल-कूद उन्हें शारीरिक और मानसिक रूप से स्वस्थ रखता है। इससे उनमें टीम भावना विकसित होती है।

राष्ट्रपति ने कहा कि बच्चे और युवा देश के स्वर्णिम भविष्य के कर्णधार हैं। उन्हें आधुनिक शिक्षा देने के साथ-साथ भारतीय संस्कृति एवं जीवन मूल्यों से अवगत कराना हमारा कर्तव्य है। उन्होंने अयोध्या में प्रभु श्री राम की मूर्ति की प्राण-प्रतिष्ठा का जिक्र करते हुए कहा कि इस अवसर पर हमें भगवान राम के आदर्शों और रामायण में वर्णित जीवन मूल्यों को अपने जीवन में ढालने का संकल्प लेना चाहिए।

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