भारत की राष्ट्रपति मद्रास विश्वविद्यालय के 165वें दीक्षांत समारोह में शामिल हुईं
समाज में हमें ऐसा वातावरण बनाना होगा जो हमारे विद्यार्थियों के समग्र विकास और कल्याण को बढ़ावा दे: राष्ट्रपति मुर्मु
राष्ट्रपति भवन : 06.08.2023
भारत की राष्ट्रपति श्रीमती द्रौपदी मुर्मु आज 6 अगस्त, 2023 को चेन्नई में मद्रास विश्वविद्यालय के 165वें दीक्षांत समारोह में शामिल हुईं और उसे संबोधित किया।
इस अवसर पर राष्ट्रपति ने कहा कि वर्ष 1857 में स्थापित किए गए मद्रास विश्वविद्यालय को भारत के सबसे पुराने आधुनिक विश्वविद्यालयों में से एक होने का गौरव प्राप्त है। इस विश्वविद्यालय ने ज्ञान के प्रसार में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। 165 वर्षों से अधिक की अपनी यात्रा के दौरान, मद्रास विश्वविद्यालय ने उच्च शिक्षा मानकों का पालन किया है और ऐसा वातावरण प्रदान किया है जो बौद्धिक जिज्ञासा और आलोचनात्मक सोच को बढ़ावा देता है। यह सीखने का उद्गम स्थल रहा है और यहाँ से अनगिनत विद्वान, नेता और दूरदर्शी व्यक्तित्व निकले हैं इसने भारत के दक्षिणी क्षेत्र में कई प्रतिष्ठित विश्वविद्यालयों की स्थापना और विकास में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हुए एक प्रकाशस्तंभ के रूप में भी काम किया है।
मद्रास विश्वविद्यालय के समृद्ध इतिहास और गौरवशाली विरासत का उल्लेख करते हुए राष्ट्रपति ने कहा कि इस संस्थान के पूर्व विद्यार्थियों को उत्कृष्टता के वैश्विक केंद्र के रूप में विश्वविद्यालय के विकास में महत्वपूर्ण भूमिका निभानी चाहिए। उन्हें विद्यार्थियों को मार्गदर्शन प्रदान करना चाहिए। उन्होंने कहा कि विश्वविद्यालय को संस्थान की बेहतरी के लिए पूर्व विद्यार्थियों से भी संपर्क कर उनका सहयोग लेना चाहिए।
राष्ट्रपति ने कहा कि मद्रास विश्वविद्यालय ने अनुसंधान और अकादमिक सुगढ़ता की संस्कृति को बढ़ावा दिया है। उन्होंने मद्रास विश्वविद्यालय से अत्याधुनिक अनुसंधान में अधिक निवेश करने, अंतर-विषयक अध्ययन को प्रोत्साहित करने और अंतर्राष्ट्रीय सहयोग को बढ़ावा देने का आग्रह किया। मद्रास विश्वविद्यालय को देश और दुनिया के सामने आने वाली समस्याओं का लर्निंग-बेस्ड समाधान खोजने में सबसे आगे रहना चाहिए।
राष्ट्रपति ने कहा कि आज के अत्यधिक प्रतिस्पर्धी माहौल में, पढ़ाई में आगे रहने का दबाव, अच्छे संस्थानों में प्रवेश न पाने का डर, प्रतिष्ठित नौकरी न पाने की चिंता और माता-पिता और समाज की अपेक्षाओं का बोझ, हमारे युवाओं में अत्यधिक मानसिक तनाव पैदा करता है। यह आवश्यक है कि हम, इस मुद्दे के समाधान के लिए आगे आएँ और समाज में ऐसा वातावरण बनाएं जो हमारे विद्यार्थियों के समग्र विकास और कल्याण को बढ़ावा दे। उन्होंने विद्यार्थियों से आग्रह किया कि वे कभी भी चिंता को अपने ऊपर हावी न होने दें। उन्होंने उन्हें अपनी क्षमताओं पर विश्वास रखने और आगे बढ़ते रहने की सलाह दी।
राष्ट्रपति ने कहा कि शैक्षणिक संस्थानों को ऐसा माहौल बनाना चाहिए जिसमें दोनों तरफ से बातचीत संभव हो, जहां विद्यार्थी फैसले से घबराए बिना अपने भय, चिंताओं और मुश्किलों की सहज चर्चा कर सकें। हमें सामूहिक रूप ऐसा माहौल तैयार करना है जिसमें हमारे युवा आत्मविश्वास और साहस के साथ चुनौतियों का सामना करने के लिए स्नेह, स्वयं को महत्वपूर्ण और सशक्त महसूस करें।