भारत की राष्ट्रपति हिमाचल प्रदेश केंद्रीय विश्वविद्यालय के 7वें दीक्षांत समारोह में शामिल हुईं

राष्ट्रपति भवन : 06.05.2024

भारत की राष्ट्रपति श्रीमती द्रौपदी मुर्मु आज 6 मई, 2024 को धर्मशाला में हिमाचल प्रदेश केंद्रीय विश्वविद्यालय के 7वें दीक्षांत समारोह में शामिल हुईं और उसे संबोधित किया।

इस अवसर पर राष्ट्रपति ने कहा कि परिवर्तन प्रकृति का नियम है। लेकिन, अतीत में परिवर्तन की गति इतनी तीव्र नहीं थी। आज हम चौथी औद्योगिक क्रांति के दौर में हैं। आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस, मशीन लर्निंग जैसे नए क्षेत्र तेजी से उभर रहे हैं। परिवर्तन की गति और परिमाण दोनों आज बहुत ज्यादा हैं जिसकी वजह से प्रौद्योगिकी और आवश्यक कौशल में बहुत तेजी से बदलाव आ रहे हैं। इक्कीसवीं सदी के आरंभ में कोई नहीं जानता था कि अगले 20 या 25  साल बाद लोगों को किस तरह के कौशल की आवश्यकता होगी। इसी तरह, बहुत सारे वर्तमान कौशल आने वाले समय में उपयोगी नहीं रहेंगे। इसलिए हमें निरंतर नए कौशल अपनाने होंगे। हमारा ध्येय सुग्राही मन विकसित करने पर होना चाहिए  जिससे हमारी युवा पीढ़ी तेजी से हो रहे बदलावों के साथ सामंजस्य बना के रख सके। हमें विद्यार्थियों में जिज्ञासा और सीखने की ललक को प्रबल करना है जिससे वे 21वीं सदी की जरूरतों और चुनौतियों का सामना करने के लिए तैयार रहें।

शिक्षकों को संबोधित करते हुए राष्ट्रपति ने कहा कि शिक्षा ऐसी होनी चाहिए जो विद्यार्थियों को शिक्षित करने के साथ-साथ उनको आत्मनिर्भर बनाये, उनके चरित्र और व्यक्तित्व का निर्माण करे।  शिक्षा का उद्देश्य  विद्यार्थियों  में अपनी संस्कृति, परंपरा और सभ्यता के प्रति जागरूकता लाना भी है। उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि इस संबंध में शिक्षकों की भूमिका बहुत महत्वपूर्ण है। उनका कार्यक्षेत्र सिर्फ अध्यापन तक ही सीमित नहीं है, उनके हाथों में राष्ट्र के भविष्य-निर्माण का बड़ा कर्तव्य है।

राष्ट्रपति ने कहा कि हमारा ध्यान “क्या सीखना है” के साथ-साथ “कैसे सीखना है” पर भी होना चाहिए।  उन्होंने इस बात पर बल दिया कि जब जब विद्यार्थी स्वतंत्र रूप से बिना किसी तनाव के सीखते हैं तब उनकी रचनात्मकता और कल्पना को उड़ान मिलती है, फिर वे शिक्षा को सिर्फ जीवन-यापन का पर्याय नहीं मानते हैं। बल्कि वे नवाचार करते हैं, समस्याओं का समाधान ढूंढते हैं, और उत्सुकता के साथ सीखते हैं।

छात्रों को संबोधित करते हुए राष्ट्रपति ने कहा कि प्रत्येक व्यक्ति के अंदर अच्छाई और बुराई दोनों की संभावनाएं होती हैं। उन्होंने उन्हें यह ध्यान रखने की सलाह दी कि चाहे वे कितनी भी मुश्किल परिस्थिति में हों, वे बुराई को कभी भी हावी नहीं होने दें। उन्हें हमेशा अच्छाई का ही  पक्ष लेना चाहिए। उन्होंने करुणा, कर्तव्यनिष्ठा और संवेदनशीलता जैसे मानवीय मूल्यों को अपना आदर्श बनाने का आग्रह किया। उन्होंने कहा कि इन मूल्यों पर आधारित आपका जीवन सफल होने के साथ-साथ सार्थक भी होगा।

राष्ट्रपति ने कहा कि युवाओं में विकास की असीम संभावनाएं हैं। वे विकसित भारत के संकल्प को सिद्धि तक ले जाने के लिए सबसे महत्वपूर्ण कड़ी हैं। इसलिए उन्हें अपना सर्वस्व देश के लिए समर्पित करना चाहिए। ऐसा करना उनका मानवीय, सामाजिक एवं नैतिक कर्तव्य होने के साथ-साथ नागरिक कर्तव्य भी है।

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