भारत की राष्ट्रपति गुरु घासीदास विश्वविद्यालय के 10वें दीक्षांत समारोह में शामिल हुईं
राष्ट्रपति भवन : 01.09.2023
भारत की राष्ट्रपति श्रीमती द्रौपदी मुर्मु आज 1 सितंबर, 2023 को बिलासपुर, छत्तीसगढ़ में गुरु घासीदास विश्वविद्यालय के 10वें दीक्षांत समारोह में शामिल हुईं और उसे संबोधित किया।
इस अवसर पर बोलते हुए राष्ट्रपति ने कहा कि आधुनिक विश्व में, व्यक्तियों, संस्थानों और देशों को अधिक प्रगति करने के लिए नवाचार और विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी में आगे रहना चाहिए। उन्होंने कहा कि विज्ञान और प्रौद्योगिकी के विकास में उचित सुविधाओं, वातावरण और प्रोत्साहन का योगदान होता है। उन्होंने गुरु घासीदास विश्वविद्यालय में एक्सेलेरेटर आधारित अनुसंधान केंद्र की स्थापना पर प्रसन्नता प्रकट की। उन्होंने विश्वास जताया कि यह केंद्र उपयोगी अनुसंधान के माध्यम से अपनी पहचान बनाएगा।
चंद्रयान-3 मिशन अभियान की सफलता के बारे में बोलते हुए राष्ट्रपति ने कहा कि उस सफलता के पीछे वर्षों के परिश्रम से अर्जित योग्यता तथा लक्ष्य के प्रति निष्ठा तो थी ही, मार्ग में आने वाली रुकावटों और असफलताओं से हतोत्साहित हुए बिना आगे बढ़ते रहने की भावना भी थी। उन्होंने गुरु घासीदास विश्वविद्यालय से इस ऐतिहासिक उपलब्धि पर ज्ञानवर्धक कार्यक्रम और प्रतियोगिताएं आयोजित करने का आग्रह किया, जिससे समाज में वैज्ञानिक दृष्टिकोण का विकास होता है।
राष्ट्रपति ने कहा कि हमारे वैज्ञानिकों और इंजीनियरों के अथक परिश्रम तथा प्रतिभा के बल पर आज भारत न्यूक्लियर क्लब और स्पेस क्लब का एक सम्मानित सदस्य है। उन्होंने कहा कि भारत द्वारा प्रस्तुत 'कम लागत' पर 'उच्च विज्ञान' का उदाहरण देश-विदेश में सराहा जाता है। उन्होंने कहा कि इस विश्वविद्यालय के विद्यार्थी उच्च स्तरीय योग्यता प्राप्त करके समाज, राज्य एवं देश के महत्वपूर्ण निर्णयों में भागीदारी कर सकते हैं। उन्होंने कहा कि चुनौतियों के बीच अवसर उत्पन्न करना सफलता प्राप्त करने का प्रभावी तरीका है।
राष्ट्रपति ने कहा कि गुरु घासीदास ने अमर और जीवंत संदेश प्रवाहित किया था कि सभी मनुष्य एक समान हैं। करीब 250 वर्ष पहले उन्होंने वंचितों, पिछड़ों और महिलाओं की समानता प्रदान करने का बीड़ा उठाया था। उन्होंने कहा कि युवा इन आदर्शों पर चलकर एक श्रेष्ठतर समाज का निर्माण कर सकते हैं।
राष्ट्रपति ने कहा कि गुरु घासीदास विश्वविद्यालय के आसपास के क्षेत्र में आदिवासी समुदाय के लोगों की काफी बड़ी संख्या है। उन्होंने कहा कि विद्यार्थी जनजातीय समुदाय से प्रकृति के प्रति संवेदनशीलता, सामुदायिक जीवन में समानता का भाव और महिलाओं की भागीदारी जैसे जीवन मूल्यों को सीख सकते हैं।