भारत की राष्ट्रपति गोवा में ‘डे एट सी’ कार्यक्रम में शामिल हुईं

राष्ट्रपति भवन : 07.11.2024

भारत की राष्ट्रपति, श्रीमती द्रौपदी मुर्मु आज 7 नवंबर, 2024 को गोवा में ‘डे एट सी’ कार्यक्रम में शामिल हुईं। आईएनएस विक्रांत पर ‘डे एट सी’ के दौरान, राष्ट्रपति ने मिग 29K विमान के उड़ान भरने और उसकी लैंडिंग, युद्धपोत से मिसाइल फायरिंग ड्रिल और पनडुब्बी संचालन सहित विभिन्न नौसैनिक ऑपरेशनों को देखा। उन्हें भारतीय नौसेना की भूमिका और उसके चार्टर तथा उसकी संचालन संबंधी अवधारणाओं के बारे में ब्रीफ़ किया गया। इसके अलावा, राष्ट्रपति ने आईएनएस विक्रांत के चालक दल से भी बातचीत की।

समुद्र में सभी यूनिटों में प्रसारित किए गए अपने संबोधन में राष्ट्रपति ने कहा कि भारत का समुद्री इतिहास कई हजार वर्ष पुराना और समृद्ध है। भारत की समुद्री संपदाएँ भी काफी अनुकूल हैं। 7500 किलोमीटर से अधिक लंबी तटरेखा वाली सागरीय सीमाएं भारत को आर्थिक विकास, क्षेत्रीय संपर्क और रणनीतिक प्रभाव में वृद्धि के तमाम अवसर प्रदान करती हैं। हमारे पास विशाल समुद्री क्षमता है जिसका हमें विकसित राष्ट्र बनने की अपनी यात्रा में लाभ उठाना चाहिए।

राष्ट्रपति ने कहा कि वैश्विक भू-राजनीतिक और सुरक्षा परिदृश्य में चल रही उठा-पटक, विशेष रूप से समुद्री क्षेत्र में हो रहे बदलाओं के कारण समय की यह मांग हैं कि हम अपनी नौसैनिक शक्ति को मजबूत करना जारी रखें ताकि हम इस क्षेत्र और इससे परे अपने राष्ट्रीय समुद्री हितों की अनवरत रूप से रक्षा कर सकें और उन्हें आगे बढ़ा सकें। यह भारतीय नौसेना की तत्परता और दृढ़ प्रतिबद्धता का ही प्रतिफल है कि भारत ने हिंद महासागर क्षेत्र में सुरक्षित और शांतिपूर्ण वातावरण सुनिश्चित किया है। राष्ट्रपति ने कहा कि भारतीय नौसैनिक बेड़े में आईएनएस विक्रांत को शामिल करने और उसका परिचालन शुरू करने, भारत की दूसरी ‘परमाणु ऊर्जा चालित बैलिस्टिक मिसाइल पनडुब्बी’ आईएनएस अरिघात को कमीशन किए जाने तथा अग्रिमपंक्ति के उन्नत युद्धपोतों और अत्याधुनिक नौसैनिक अवसंरचना की उपलब्धता के कारण भारत की समुद्री शक्ति में उल्लेखनीय रूप से वृद्धि हुई है। इन उपलब्धियों ने एक मजबूत क्षेत्रीय शक्ति के रूप में भारत की स्थिति को और भी अधिक सुदृढ़ किया है।

राष्ट्रपति को यह जानकर प्रसन्नता हुई कि भारतीय नौसेना ने महिलाओं को सभी रैंकों और भूमिकाओं में भर्ती करने का महत्वपूर्ण कार्य किया है और इससे एक कदम और आगे बढ़कर, हमारी इन महिला समुद्री योद्धाओं की युद्ध क्षमता का भरपूर लाभ उठाने के लिए सक्रिय कदम उठाए हैं। भारतीय नौसेना ने युद्धपोत पर अपनी पहली महिला कमांडिंग ऑफिसर नियुक्त की है। इसके साथ ही महिलाओं को नौसेना के विमानों में पायलेट के रूप में नियुक्त करने का भी निर्णय लिया गया है। हाल ही में, भारतीय नौसेना में पहली महिला हेलीकॉप्टर पायलट ने अपनी सेवाएँ आरंभ की हैं। राष्ट्रपति ने कहा कि ये उपलब्धियां लैंगिक समावेशिता को बढ़ावा देने के लिए भारतीय नौसेना द्वारा किए जा रहे प्रयासों को रेखांकित करती हैं।

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