भारत की राष्ट्रपति, भारत के उच्चतम न्यायालय द्वारा आयोजित संविधान दिवस समारोह में शामिल हुईं

राष्ट्रपति भवन : 26.11.2023

भारत की राष्ट्रपति श्रीमती द्रौपदी मुर्मु आज 26 नवंबर, 2023 को नई दिल्ली में भारत के उच्चतम न्यायालय द्वारा आयोजित संविधान दिवस समारोह में शामिल हुईं।

इस अवसर पर बोलते हुए, राष्ट्रपति ने कहा कि आज, हम संविधान में निहित मूल्यों का समारोह मना रहे हैं और दैनिक राष्ट्रीय जीवन में उन्हें बनाए रखने के लिए स्वयं को इस अवसर पर पुनः समर्पित करते हैं। न्याय, स्वतंत्रता, समानता और बंधुत्व के मूल्य वे सिद्धांत हैं जिनके आधार पर हम अपने को राष्ट्र के रूप में मानते हैं। इन मूल्यों से हमने स्वाधीनता प्राप्त की। इसमें कोई आश्चर्य की बात नहीं है कि प्रस्तावना में इनका विशेष रूप से उल्लेख किया गया है और ये राष्ट्र-निर्माण के हमारे प्रयासों का मार्गदर्शन करते रहे हैं।

राष्ट्रपति ने कहा कि न्याय का उद्देश्य को इसे सबके लिए सुलभ बनाकर सर्वोत्तम तरीके से पूरा किया जा सकता है। इससे समानता भी बढ़ती है। हमें स्वयं से यह पूछना चाहिए कि क्या हर नागरिक न्याय पाने की स्थिति में है। आत्ममंथन करने पर हमें पता चलता है कि न्याय प्राप्त करने के रास्ते में अभी अनेक बाधाएं हैं और इनमें लागत सबसे महत्वपूर्ण कारक है। भाषा जैसी अन्य बाधाएँ भी हैं, जिसे अधिकांश नागरिक समझ नहीं पाते हैं।

राष्ट्रपति ने कहा कि बेंच और बार में भारत की अनूठी विविधता का अधिक विविध प्रतिनिधित्व होने से निश्चित रूप से न्याय के उद्देश्य को बेहतर ढंग से प्राप्त करने में मदद मिलती है। इस विविधता को बढ़ाने का एक तरीका एक ऐसी प्रणाली का निर्माण करना हो सकता है जिसमें योग्यता आधारित, प्रतिस्पर्धी और पारदर्शी प्रक्रिया के माध्यम से विभिन्न पृष्ठभूमि से आने वाले न्यायाधीशों की भर्ती की जा सके। एक अखिल भारतीय न्यायिक सेवा तैयार की जा सकती है जिसमें प्रतिभाशाली युवा चयनित होकर आएँ और जिसके माध्यम से उनकी प्रतिभा को निचले स्तर से उच्च स्तर तक पोषण और बढ़ावा दिया जा सके। जो लोग बेंच की सेवा करना चाहते हैं, उन्हें, प्रतिभा का एक बड़ा पूल तैयार करने के लिए पूरे देश से चुना जा सकता है। ऐसी प्रणाली से कम प्रतिनिधित्व वाले सामाजिक समूहों को भी अवसर प्राप्त होगा।

राष्ट्रपति ने कहा कि न्याय तक पहुंच सुलभ बनाने के लिए हमें समग्र प्रणाली को नागरिक-केंद्रित बनाने का प्रयास करना होगा। हमारी प्रणालियाँ समय के हिसाब से तैयार की जाती रही हैं; अगर सटीकता से कहा जाए तो यह उपनिवेशवाद की परिणाम हैं जिसे धीरे-धीरे समाप्त किया जा रहा है। उन्होंने विश्वास व्यक्त किया कि हम सचेत प्रयासों से शेष बचे सभी क्षेत्रों में उपनिवेशवाद हटाने का कार्य करेंगे।

राष्ट्रपति ने कहा कि जब हम संविधान दिवस मनाते हैं, तो हमें यह ध्यान रखना चाहिए कि संविधान केवल एक लिखित दस्तावेज है। यह तभी जीवंत होता है और जीवित बना रहता है जब इसमें लिखे हुए को व्यवहार में लाया जाए। इसके लिए व्याख्या करने की आवश्यकता पड़ती है। उन्होंने हमारे आधारभूत दस्तावेज़ के अंतिम व्याख्याकार की भूमिका पूर्णता से निभाने के लिए सुप्रीम कोर्ट की प्रशंसा की। उन्होंने कहा कि इस न्यायालय की बार और बेंच ने न्यायशास्त्र के मानकों को लगातार बढ़ाया है। उनकी कानूनी कुशलता और विद्वता उत्कृष्ट रही है। हमारे संविधान की तरह, हमारा उच्चतम न्यायालय भी अनेक देशों के लिए एक आदर्श बना है। उन्होंने विश्वास व्यक्त किया कि ऐसी जीवंत न्यायपालिका से हमारा लोकतंत्र स्वस्थ बना रहेगा।

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