भारत के राष्ट्रपति द्वारा संसद के दोनों सदनों के सदस्यों को संबोधन
माननीय सदस्यगण,
1. नूतन और नवजीवन की प्रतीक इस बसंत ऋतु में , मैं संसद के दोनों सदनों के संयुक्त सत्र में आप सभी का स्वागत करता हूं। यह एक ऐतिहासिक संयुक्त सत्र है,जिसमें स्वतंत्र भारत में पहली बार बजट सत्र के निर्धारित समय को इस वर्ष आगे लाया गया है एवं आम बजट के साथ रेल बजट का विलय किया जा रहा है। हम एक ऐसे लोकतंत्र के उत्सव के लिए पुन: एकत्र हुए हैं,जिसके मूल्य और संस्कृति इस देश के लंबे इतिहास के हर दौर में फलते-फूलते रहे हैं। वास्तव में इसी संस्कृति ने मेरी सरकार को सबका साथ , सबका विकास की ओर प्रेरित किया है।