भारत की राष्ट्रपति ने विशेष रूप से कमजोर जनजातीय समूहों के सदस्यों के साथ बातचीत की
राष्ट्रपति भवन : 12.06.2023
भारत की राष्ट्रपति, श्रीमती द्रौपदी मुर्मु ने आज 12 जून, 2023 को राष्ट्रपति भवन में विशेष रूप से कमजोर जनजातीय समूहों (पीवीटीजी) के सदस्यों के साथ बातचीत की। इस अवसर पर उन्होंने बिहार के मल पहाड़िया, गुजरात के सिद्दी, केरल के इरुला, राजस्थान के सहरिया, मध्य प्रदेश के बैगा परधौनी और ओडिशा के बूडीगली की सांस्कृतिक प्रस्तुतियों को भी देखा।
सभा को संबोधित करते हुए राष्ट्रपति ने कहा कि उन्हें सभी 75 पीवीटीजी के सदस्यों से मिलकर खुशी हुई। उन्होंने राष्ट्रपति भवन में उनका स्वागत किया। उन्होंने कहा कि उनमें से कई पहली बार अपने गांवों से बाहर आए हैं। उन्होंने कहा कि उनमें से प्रत्येक अपने समुदाय का प्रतिनिधि है। उन्होंने उनसे अपने समुदाय-सदस्यों के साथ अपने अनुभव साझा करने और उन्हें सरकार की कल्याणकारी योजनाओं के बारे में बताने का आग्रह किया।
राष्ट्रपति ने पीवीटीजी के सदस्यों से शिक्षा को अत्यधिक महत्व देने का आग्रह किया। उन्होंने कहा कि पीवीटीजी समुदाय के विद्यार्थियों के लिए एकलव्य मॉडल आवासीय विद्यालयों में सीटों का विशेष प्रावधान किया गया है। इसके अलावा नेशनल फेलोशिप और ओवरसीज स्कॉलरशिप स्कीम में भी उनके लिए सीटें आरक्षित हैं। उन्होंने पीवीटीजी की महिलाओं से आदिवासी महिला सशक्तीकरण योजना सहित सभी योजनाओं का समुचित लाभ उठाने का भी आग्रह किया।
राष्ट्रपति ने कहा कि जनजातीय उप-योजना के तहत भारत सरकार के 41 मंत्रालय और विभाग पीवीटीजी सहित जनजातीय समुदायों के कल्याण के लिए अपने बजट का हिस्सा देते हैं। उन्हें यह जानकर प्रसन्नता हुई कि पीवीटीजी के विकास के लिए सरकार द्वारा "प्रधानमंत्री पीवीटीजी विकास मिशन" शुरू किया गया है।
राष्ट्रपति ने कहा कि वर्तमान बजट में वर्ष 2047 तक सिकल सेल एनीमिया के उन्मूलन के लिए घोषित अभियान एक बहुत ही महत्वपूर्ण कदम है।
राष्ट्रपति ने कहा कि पिछले कुछ वर्षों से जनजातीय समुदाय के प्रतिभाशाली लोगों द्वारा विभिन्न क्षेत्रों में उल्लेखनीय योगदान के लिए उन्हें पद्म पुरस्कारों से सम्मानित किया जा रहा है। उन्होंने कामना की कि पीवीटीजी समाज के लगभग 28 लाख लोगों सहित 10 करोड़ से अधिक जनजातीय समाज के लोग अपनी प्रतिभा का विकास करें और समाज तथा देश के लिए अपना भरपूर योगदान दें।
राष्ट्रपति ने कहा कि जनजातीय समाज के लोगों ने मातृभूमि और इसकी प्राकृतिक और सांस्कृतिक संपदा की रक्षा के लिए बहुत बलिदान दिया है। सतत विकास के लक्ष्यों को प्राप्त करने के लिए हम सभी आदिवासी समाज से शिक्षा ले सकते हैं। यह सभी नागरिकों, विशेष रूप से पीवीटीजी सहित सभी जनजातीय लोगों का यह कर्तव्य भी है और आकांक्षा भी है कि वे अपनी अस्मिता को बनाए रखते हुए, अपने अस्तित्व को सुरक्षित रखते हुए अपना विकास सुनिश्चित करें। उन्होंने विश्वास व्यक्त किया कि पीवीटीजी भाई-बहन हमारे देश की समावेशी विकास की यात्रा में आगे बढ़ेंगे।
इससे पहले दिन में पीवीटीजी के सदस्यों ने राष्ट्रपति भवन और अमृत उद्यान का भ्रमण किया। भ्रमण के बाद राष्ट्रपति ने अमृत उद्यान में उनसे मुलाकात की और बातचीत की।