भारत की राष्ट्रपति ने अरुणाचल प्रदेश विधान सभा के विशेष सत्र को संबोधित किया
राष्ट्रपति भवन : 21.02.2023
भारत की राष्ट्रपति, श्रीमती द्रौपदी मुर्मु ने आज 21 फरवरी, 2023 को ईटानगर में अरुणाचल प्रदेश विधान सभा के विशेष सत्र को संबोधित किया।
इस अवसर पर राष्ट्रपति ने कहा कि अनुशासन और मर्यादा संसदीय प्रणाली की पहचान है। हमें यह सुनिश्चित करना चाहिए कि वाद-विवाद की सामग्री और गुणवत्ता उच्चतम स्तर की हो। साथ ही हमें विकास और जनकल्याण के मुद्दों पर आम सहमति बनाने की जरूरत है। उन्हें यह जानकर प्रसन्नता हुई कि अरुणाचल प्रदेश विधान सभा ने संसदीय लोकतंत्र के उच्चतम मानकों को बनाए रखा है। उन्होंने स्वस्थ लोकतंत्र के प्रति सर्वोच्च सम्मान बनाए रखने के लिए विधानसभा के वर्तमान और पूर्व सदस्यों को बधाई की।
राष्ट्रपति ने कहा कि आज के युग में पर्यावरण प्रदूषण और जलवायु परिवर्तन एक विकट समस्या है जिनका समाधान हमें शीघ्रता से खोजना है। अरुणाचल प्रदेश जैसे भौगोलिक रूप से संवेदनशील राज्यों के लिए ये मुद्दे और भी महत्वपूर्ण हो जाते हैं। उन्हें यह जानकर प्रसन्नता हुई कि इस राज्य के नीति निर्माताओं ने इस मुद्दे पर ध्यान दिया है। अरुणाचल प्रदेश ने पाक्के घोषणा के माध्यम से जलवायु परिवर्तन के लिए प्रतिबद्धता दिखाने का संकल्प लिया है। उन्होंने आशा व्यक्त की कि अन्य राज्य भी जलवायु परिवर्तन के मुद्दे से निपटने के लिए इस मॉडल को अपनाने की दिशा में आगे बढ़ेंगे।
राष्ट्रपति ने 'डिजिटल इंडिया' कार्यक्रम के तहत 'ई-विधान' के कार्यान्वयन के साथ कागज रहित डिजिटल यात्रा शुरू करने करने के लिए अरुणाचल प्रदेश विधान सभा की प्रशंसा की। उन्होंने कहा कि राज्य सरकार ने वर्ष 2022 को 'ई-गवर्नेंस वर्ष' घोषित किया है और कई ई-गवर्नेंस परियोजनाएं शुरू की हैं। उन्होंने विश्वास व्यक्त किया कि ये परियोजनाएं न केवल प्रशासनिक सुधारों में मदद करेंगी बल्कि आम लोगों के जीवन को आसान बनाने में भी योगदान देंगी।
राष्ट्रपति को यह जानकर प्रसन्नता हुई कि स्कूलों, कॉलेजों और विश्वविद्यालयों के छात्रों के लिए विधान सभा के पुस्तकालय के उपयोग की सुविधा निःशुल्क उपलब्ध है। उन्होंने यह भी कहा कि 'अपनी सभा से मिलिए' पहल के
तहत, विधान सभा में समय-समय पर विद्यार्थियों को विधायी कार्यवाही से अवगत कराने के लिए बुलाया जाता है। उन्होंने विश्वास जताया कि युवा पीढ़ी इन सुविधाओं का लाभ उठाकर देश और प्रदेश की प्रगति में अपना योगदान देगी।
राष्ट्रपति ने कहा कि अरुणाचल प्रदेश की इस धरती पर सदियों से स्वशासन और जमीनी स्तर पर लोकतंत्र की एक जीवंत प्रणाली विद्यमान है। इस राज्य की जनता ने आधुनिक लोकतान्त्रिक प्रक्रिया में बढ़-चढ़ कर भाग लिया है, जो उनकी राजनीतिक चेतना और लोकतन्त्र में आस्था को उजागर करता है। उन्होंने कहा कि जनता को अपने प्रतिनिधियों से अपेक्षा होती है कि वे राज्य के विकास और उनके कल्याण के लिए सदैव प्रयासरत रहेंगे। राज्य के शीर्ष नीति निर्माताओं के रूप में, विधानसभा के सदस्यों की राज्य के विकास में महत्वपूर्ण भूमिका है।
राष्ट्रपति ने कहा कि हमारे देश के समग्र और समावेशी विकास के लिए, हर कार्य क्षेत्र में, महिलाओं की भागीदारी और अधिक होनी चाहिए। अरुणाचल प्रदेश विधान सभा सहित सभी राज्य विधानसभाओं के साथ-साथ लोक
प्रतिनिधित्व के अन्य संस्थानों में भी महिलाओं की भागीदारी बढ़नी चाहिए।
राष्ट्रपति ने कहा कि अरुणाचल प्रदेश भारत का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है और भारत की एक्ट ईस्ट पॉलिसी में एक प्रमुख हितधारक भी है। उत्तर-पूर्वी क्षेत्र लंबे समय से सड़क, रेल और हवाई संपर्क की सुविधाओं के अभाव
कारण आर्थिक विकास के लाभों से वंचित रहा था। लेकिन केंद्र की वर्तमान सरकार ने उत्तर-पूर्व में कनेक्टिविटी और विकास को केंद्र में रखा है। उन्हें यह जानकर खुशी हुई कि अरुणाचल प्रदेश में विकास में गति आई है। उन्होंने कहा कि भरपूर प्राकृतिक संसाधनों और गुणवत्तापूर्ण मानव संसाधन के बल पर, अरुणाचल प्रदेश में एक एक आकर्षक निवेश स्थान तथा व्यापार और व्यवसाय का केंद्र बनने की पूरी क्षमता है।
राष्ट्रपति ने कहा कि यह सुनिश्चित करने के लिए कि यहां के निवासी अपनी जड़ों से कटे बिना विकास के पथ पर आगे बढ़ते रहें, हमें इस प्रदेश की अद्भुत परंपरागत संस्कृति और जीवन-मूल्यों के संरक्षण और संवर्धन पर बल देने की आवश्यकता है। अरुणाचल-वासियों के प्रतिनिधि के रूप में आपको राज्य की संस्कृति और मूल्यों की समृद्धि सुनिश्चित करते हुए सामाजिक परिवर्तन को प्रोत्साहन देने में महत्वपूर्ण भूमिका निभानी है।