भारत की राष्ट्रपति ईशा योग केंद्र कोयम्बटूर में महाशिवरात्रि समारोह में शामिल हुईं; भगवान शिव विध्वंश के साथ सृजन भी करते हैं, जिससे ब्रह्मांड की पुनः उत्पत्ति और कायाकल्प होता है: राष्ट्रपति मुर्मु
राष्ट्रपति भवन : 18.02.2023
भारत की राष्ट्रपति, श्रीमती द्रौपदी मुर्मु आज शाम 18 फरवरी, 2023 को ईशा फाउंडेशन द्वारा ईशा योग केंद्र, कोयम्बटूर में आयोजित महाशिवरात्रि समारोह में शामिल हुईं।
इस अवसर पर बोलते हुए, राष्ट्रपति ने कहा कि भगवान शिव सभी के लिए देवता हैं क्योंकि उनके विभिन्न रूप हैं जो हमसे मेल खाते हैं। वह पहले योगी, आदियोगी हैं, और वे पहले ज्ञानी भी हैं। कहा जाता है कि उन्होंने पाणिनि की व्याकरण प्रणाली को प्रेरित किया, जो मानव जाति की सबसे बड़ी बौद्धिक उपलब्धियों में से एक है।
राष्ट्रपति ने कहा कि भगवान शिव उदार हैं, लेकिन फिर भी अनगिनत मिथकों में उन्हें अति रौद्र देवता के रूप में भी वर्णित किया गया है, जो उनके लिए एक अन्य नाम 'रुद्र' से पता चलता है। इस तरह वह रचनात्मक और विध्वंशक दोनों प्रकार की ऊर्जाओं का प्रतीक हैं। वास्तव में वह विरोधाभासों से पार हैं, क्योंकि वे विध्वंश के साथ सृजन भी करते हैं, जिससे ब्रह्मांड की पुनः उत्पत्ति और कायाकल्प होता है।
राष्ट्रपति ने कहा कि भगवान शिव का अर्ध-नारीश्वर रूप भी है अर्थात आधे पुरुष और आधे स्त्रीरूप वे धारण करते हैं। यह रूप हर इंसान के पुरुष और स्त्री पक्ष को दर्शाता है और दोनों में संतुलन हो यह भी बतलाता है।
राष्ट्रपति ने कहा कि महाशिवरात्रि भारत के अधिकांश हिस्सों में सर्दियों की समाप्ति और गर्मी के आगमन पर आती है। महाशिवरात्रि, इस प्रकार अज्ञानता के अंधकार के अंत का और ज्ञान का मार्ग खोलने की भी प्रतीक है। जीवन के उच्च आदर्शों की तलाश करने वालों के लिए आज का दिन विशेष रूप से महत्वपूर्ण है। उन्होंने कहा कि आज विश्व पहले की तरह संघर्षों में बंटा तो हुआ ही है साथ ही यह एक अभूतपूर्व पारिस्थितिक संकट का भी सामना कर रहा है। प्रकृति माता और उसके सभी बच्चों के साथ सामंजस्य बनाते हुए एक संतुलित और करुणापूर्ण जीवन की पहले कभी इतनी आवश्यकता अनुभव नहीं की गई थी जितनी आज की जा रही है। यह महाशिवरात्रि हमारे अंदर के अंधकार को दूर करे और हम सभी को अधिक पूर्ण और समृद्ध जीवन की ओर ले जाए।