भारत की राष्ट्रपति, श्रीमती द्रौपदी मुर्मु का पर्यावरण पर राष्ट्रीय सम्मेलन-2025 में सम्बोधन (HINDI)
नई दिल्ली : 29.03.2025


पर्यावरण के अत्यंत महत्वपूर्ण विषय पर इस सम्मेलन का आयोजन करने के लिए मैं National Green Tribunal के Chairperson न्यायमूर्ति श्री प्रकाश श्रीवास्तव जी तथा उनकी पूरी टीम की सराहना करती हूं।
विश्व-समुदाय पर्यावरण के प्रति सचेत और संवेदनशील है इसके संकेत मिलते हैं। इसी महीने में, 20 मार्च को World Sparrow Day मनाया गया। 21 मार्च को International Day of Forests मनाया गया। 22 मार्च को World Water Day मनाया गया। 22 मार्च के दिन ही Earth Hour के समय विश्व-समुदाय ने ऊर्जा की खपत को कम करने का प्रयास किया। इसी तरह सितंबर में World Air Day, जून में World Environment Day तथा अन्य ऐसे दिवस मनाए जाते हैं। पर्यावरण से जुड़े ऐसे सभी दिवस यह संदेश देते हैं कि हम प्रतिदिन उनके उद्देश्यों और कार्यक्रमों को ध्यान में रखें और जहां तक हो सके उन्हें अपने दैनिक जीवन का हिस्सा बनाएं। जागरूकता पर आधारित निरंतर सक्रियता तथा सबकी भागीदारी से ही पर्यावरण संरक्षण और संवर्धन संभव हो सकेगा।
न्यायाधीश-गण एवं विधि-वेत्ताओं के साथ-साथ अन्य क्षेत्रों में सक्रिय लोगों की भागीदारी इस सम्मेलन को और अधिक उपयोगी बनाएगी। विद्यार्थियों को इस सम्मेलन में शामिल करने के लिए मैं आप सबकी विशेष सराहना करती हूं। हमारे बच्चों और युवा पीढ़ी को Environmental Transition का और अधिक व्यापक स्तर पर सामना करना है तथा योगदान भी देना है। हर परिवार के बड़े लोग इस बात को लेकर चिंतित रहते हैं कि बच्चे किस स्कूल या कॉलेज में पढ़ेंगे, क्या करियर चुनेंगे? यह चिंता ठीक भी है।
लेकिन, हम सबको यह भी सोचना है कि हमारे बच्चे कैसी हवा में सांस लेंगे, उन्हें कैसा पानी पीने को मिलेगा, उन्हें चिड़ियों की मधुर आवाजें सुनने को मिलेंगी या नहीं, वे हरे-भरे जंगलों की सुंदरता का अनुभव कर पाएंगे या नहीं? ऐसे सवालों से जुड़े विषयों पर इस सम्मेलन में गहन विचार किया जाएगा। यानी इस सम्मेलन के विषय हमारे देशवासियों के और पूरी मानवता के जीवन, स्वास्थ्य और भविष्य से जुड़े हुए हैं। इन विषयों के आर्थिक, सामाजिक और वैज्ञानिक पक्ष तो हैं ही, लेकिन सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि इन सभी विषयों से जुड़ी चुनौतियों का नैतिक पक्ष भी है। यह हमारा नैतिक दायित्व है कि आने वाली पीढ़ियों के लिए हम स्वच्छ पर्यावरण की विरासत प्रदान करें। इसके लिए हमें पर्यावरण के प्रति सचेत और संवेदनशील जीवन-शैली अपनानी होगी ताकि पर्यावरण का संरक्षण तो हो ही, उसका संवर्धन भी हो तथा पर्यावरण और अधिक जीवंत बन सके। स्वच्छ पर्यावरण की विरासत और आधुनिक विकास का समन्वय करना एक अवसर भी है और चुनौती भी।
स्वच्छ पर्यावरण हमारे दैनिक जीवन और स्वास्थ्य के लिए कितना जरूरी है यह हम सब जानते हैं। धूल और धुएं से होने वाले वायु प्रदूषण का फेफड़ों पर बुरा असर पड़ता है। अनेक अध्ययन यह बताते हैं कि वायु प्रदूषण से life expectancy पर विपरीत प्रभाव पड़ता है। पर्यावरण की स्वच्छता के लिए हर संभव प्रयास करके ही हम सब स्वस्थ और समृद्ध भारत का निर्माण कर पाएंगे।
देवियो और सज्जनो,
स्वच्छ पर्यावरण की विरासत हमारे पूर्वजों ने हमें प्रदान की थी। हमारी एक प्राचीन प्रार्थना के अंत में दो बार कहा जाता है:
नमो मात्रे पृथिव्यै - नमो मात्रे पृथिव्यै
अर्थात
धरती-माता को नमस्कार है, धरती-माता को नमस्कार है।
धरती-माता के प्रति बार-बार सम्मान व्यक्त करने की इस भावना के पीछे हमारे भारतीय जीवन-मूल्य हैं। हमारी मान्यता रही है कि प्रकृति, मां की तरह, हमारा पोषण करती है और हम प्रकृति का सम्मान एवं संरक्षण करें। विकास की भारतीय विरासत का आधार पोषण है, शोषण नहीं; संरक्षण है, उन्मूलन नहीं। इसी विरासत के अनुरूप हम विकसित भारत की दिशा में आगे बढ़ना चाहते हैं। पिछले दशक के दौरान, भारत ने अंतर-राष्ट्रीय समझौतों के अनुसार तय किए गए Nationally Determined Contributions को समय से पहले पूरा करने के अनेक उदाहरण प्रस्तुत किए हैं। इसके लिए मैं भारत सरकार, विशेषकर पर्यावरण मंत्रालय, राज्य सरकारों, सभी stakeholders तथा देशवासियों की सराहना करती हूं।
देवियो और सज्जनो,
National Green Tribunal ने हमारे देश के Environmental Governance में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। Environmental Justice या Climate Justice के क्षेत्र में NGT की निर्णायक भूमिका रही है। NGT ने जो ऐतिहासिक निर्णय दिए हैं उनका व्यापक प्रभाव हमारे जीवन, हमारे स्वास्थ्य तथा हमारी धरती के भविष्य से जुड़ा हुआ है। इस अमूल्य योगदान के लिए NGT के पूर्व एवं वर्तमान अध्यक्ष तथा इस Tribunal के Principal Bench तथा Zonal Benches में कार्यरत सभी लोग प्रशंसा के पात्र हैं।
मेरे जीवन का बहुत बड़ा हिस्सा ग्रामीण परिवेश में ही बीता है – हरियाली, पेड़-पौधों, पशु-पक्षियों और नदी-तालाबों के बीच। जिस जिले से मैं आती हूं वहां Similipal Biosphere Reserve है। वहीं पर सिमिलीपाल टाइगर रिजर्व है जो black tigers का एकमात्र natural habitat है। Bio-diversity से मेरे सहज लगाव को अभिव्यक्त करने का एक विशेष अवसर मुझे तब मिला था जब वर्ष 2002 में मुझे ओडिशा की राज्य सरकार में Department of Fisheries and Animal Resources Development का स्वतंत्र प्रभार, राज्यमंत्री के रूप में दिया गया था। तब मैंने अनेक Livestock Aid Centres स्थापित किए थे। पशु-पक्षियों के लिए संवेदना के साथ किए गए काम बहुत संतोष देते हैं।
हमारे जनजातीय समुदाय के लोगों ने सदियों से प्रकृति के साथ समन्वय बनाए रखा है। हमारे आदिवासी भाई-बहन, अपने जीवन के हर पहलू में आस-पास के परिवेश, पेड़-पौधों और जीव-जंतुओं का ध्यान रखते रहे हैं। हमें उनकी जीवन-शैली से प्रेरणा लेनी चाहिए। आज जब पूरा विश्व global warming और climate change की समस्या के निदान का प्रयास कर रहा है तब जनजातीय समुदाय की जीवन-शैली और भी अनुकरणीय हो जाती है। जल-जंगल-जन के बीच एक प्राकृतिक बंधन है। मुझे यह जानकर बहुत खुशी हुई है कि पर्यावरण मंत्रालय ने इस बंधन से जुड़े एक अभियान का हाल ही में शुभारंभ किया है। इस अभियान का उद्देश्य जंगलों, नदियों और जल स्रोतों के ecological connection को फिर से जीवंत बनाना है। मुझे बताया गया है कि इस सम्मेलन में भी जल और जंगल से जुड़े विशेष सत्र आयोजित किए जाएंगे।
NGT हमारे Environment Adjudicatory System का अत्यंत महत्वपूर्ण अंग है। हमारे Environment Management Eco-system से जुड़े सभी संस्थानों को तथा सभी देशवासियों को पर्यावरण संरक्षण और संवर्धन के लिए निरंतर प्रयासरत रहना है। मुझे यह जानकर प्रसन्नता हुई है कि केंद्रीय पर्यावरण मंत्रालय द्वारा Green Credit Program और Eco-mark जैसे कदम बढ़ाए जा रहे हैं ताकि लोगों को ‘Lifestyle for Environment’ के अभियान से भली-भांति जोड़ा जा सके।
जमीनी स्तर पर, किसानों को सहायता देने के लिए ‘मेघदूत’ और ‘मौसम’ जैसे mobile apps की सुविधा दी गई है जिनसे वे मौसम संबंधी जानकारी प्राप्त करके खेती से जुड़े निर्णय ले सकें। विगत अक्टूबर महीने में, केंद्र सरकार ने देश की सभी ग्राम पंचायतों द्वारा उपयोग के लिए Gram Panchayat Level Weather Forecasting की व्यवस्था लागू की है। ऐसी व्यवस्थाएं, पर्यावरण विशेषज्ञों की भाषा में, adaptation measures के अंतर्गत आती हैं। विश्व-समुदाय को adaptation measures पर और अधिक ज़ोर देने की आवश्यकता है।
हमारे देश को और समस्त विश्व समुदाय को ऐसे रास्ते पर चलना है जो पर्यावरण के अनुकूल हों। तभी मानवता की वास्तविक प्रगति होगी। भारत ने अपने green initiatives द्वारा विश्व-समुदाय के सम्मुख अनेक अनुकरणीय उदाहरण प्रस्तुत किए हैं। मुझे विश्वास है कि सभी stake-holders तथा देशवासियों की भागीदारी के बल पर हम विश्व-स्तर पर green leadership की भूमिका निभाएंगे। हम सबको वर्ष 2047 तक भारत को एक ऐसा विकसित राष्ट्र बनाना है जहां की हवा, पानी, हरियाली और खुशहाली पूरे विश्व-समुदाय को आकर्षित करे। इस कामना के साथ मैं अपनी वाणी को विराम देती हूं।
धन्यवाद!
जय हिन्द!
जय भारत!