भारत की राष्ट्रपति, श्रीमती द्रौपदी मुर्मु का नागरिक अभिनंदन समारोह के अवसर पर सम्बोधन (HINDI)
अगरतला : 12.10.2022
राष्ट्रपति बनने के बाद त्रिपुरा की यह मेरी पहली यात्रा है। इस अवसर पर आपके उत्साह भरे स्वागत के लिए मैं आप सभी त्रिपुरा-वासियों को धन्यवाद देती हूं। इस साल त्रिपुरा राज्य की स्थापना के 50 वर्ष पूरे होने पर राज्य के सभी भाई-बहनों और बच्चों को मैं बधाई देती हूं।
देश-प्रेम और भारतीयता की भावना त्रिपुरा के लोगों में कितनी प्रबल है इसका ठोस उदाहरण अगरतला में स्थित परमवीर चक्र विजेता लांस नायक एल्बर्ट एक्का का स्मृति-उद्यान है। 1971 के युद्ध में अद्भुत पराक्रम का प्रदर्शन करने वाले एल्बर्ट एक्का जी झारखंड के निवासी थे। त्रिपुरा के लोग उनके स्मृति उद्यान में जा कर उनके प्रति सम्मान व्यक्त करते हैं।
देवियो और सज्जनो,
त्रिपुरा के जनजातीय समुदाय ने लोकतंत्र और परंपरा का सुंदर समन्वय बनाए रखा है। जनजातीय समाज से जुड़े यहां के राजपरिवार ने आधुनिक प्रगति को भी बढ़ावा दिया था। इसलिए मुझे इस बात की प्रसन्नता है कि यहां के हवाई अड्डे का नाम महाराजा बीर बिक्रम Airport रखा गया है और उसका बड़े पैमाने पर विस्तार किया जा रहा है। आज मुझे महाराजा बीरेंद्र किशोर माणिक्य संग्रहालय तथा सांस्कृतिक केंद्र का शिलान्यास करके बहुत प्रसन्नता हुई है।
शिक्षा, विज्ञान और संस्कृति के क्षेत्र में त्रिपुरा के राजपरिवार की उदारता का उल्लेख किया जाता है। गुरुदेव रवीन्द्रनाथ टैगोर के कुटुंब तथा त्रिपुरा के राजपरिवार के बीच कई पीढ़ियों का घनिष्ठ संपर्क रहा था। साहित्य रचना के अपने आरंभिक दौर में त्रिपुरा के राजा बीरचन्द्र माणिक्य से मिले प्रोत्साहन के लिए गुरुदेव ने उनके प्रति अनेक बार कृतज्ञता व्यक्त की थी। कबीन्द्र-रबीन्द्र की जन्मशती के अवसर पर त्रिपुरा में रबीन्द्र शत-बार्षिकी भवन का निर्माण किया गया। आज मुझे उस भवन से त्रिपुरा के विकास से जुड़ी अनेक परियोजनाओं का शुभारंभ करने का अवसर मिला।
देवियो और सज्जनो,
भारत सरकार द्वारा आयोजित ‘स्वच्छ सर्वेक्षण 2022’ के तहत त्रिपुरा को अपनी श्रेणी में सबसे स्वच्छ राज्य का पुरस्कार प्रदान किया गया। मुझे प्रसन्नता है कि इस महीने के आरंभ में मुझे ही वह पुरस्कार देने का अवसर प्राप्त हुआ। स्वच्छता की संस्कृति को मजबूत बनाए रखने के लिए मैं त्रिपुरा के सभी निवासियों की हृदय से सराहना करती हूं।
प्रकृति के साथ तालमेल बिठाकर जीवनयापन करना, जनजातीय समाज की विशेषता है। त्रिपुरा का अधिकांश क्षेत्र वन-संपदाओं से समृद्ध है। इस अमूल्य वन-संपदा को सुरक्षित रखने में जनजातीय समाज की प्राकृतिक जीवन-शैली का महत्वपूर्ण योगदान रहा है।
मुझे यह जानकर प्रसन्नता हुई है कि वर्ष 2020-21 के दौरान राज्यों के प्रदर्शन के आकलन के अनुसार, Sustainable Development Goal - 12 में शामिल Responsible Consumption and Production के लक्ष्य को हासिल करने में त्रिपुरा देश में प्रथम स्थान पर है। जिन दो राज्यों में सबसे कम plastic waste निकलता है उनमें से एक त्रिपुरा है।
देवियो और सज्जनो,
त्रिपुरा की बहुरंगी संस्कृति भारत का गौरव है। होजागिरी लोक-नृत्य यहां की समृद्ध लोक-संस्कृति का मनमोहक उदाहरण है। हाल के वर्षों में त्रिपुरा की संस्कृति को योगदान देने वाले कलाकारों को राष्ट्रीय सम्मानों से अलंकृत किया जा रहा है। बांसुरी के स्थानीय स्वरूप के वयोवृद्ध वादक थंगा दारलोंग जी, होजागिरी लोक-नृत्य के कुशल नर्तक सत्याराम रियांग जी और त्रिपुरा के लोक-साहित्य में प्रमुख स्थान रखने वाले बेनीचन्द्र जमातिया जी को पद्मश्री से सम्मानित किया गया है। त्रिपुरा के ही सचिन देव बर्मन और राहुल देव बर्मन के अमर संगीत के बिना भारत के आधुनिक सुगम संगीत की कल्पना भी नहीं की जा सकती।
हाल ही में त्रिपुरा के आप सभी निवासियों ने मां दुर्गा, मां लक्ष्मी और देवी मेलुमा की पूजा सम्पन्न की है। कल मैं माताबाड़ी मंदिर में मां त्रिपुर-सुंदरी से प्रार्थना करूंगी कि त्रिपुरा के निवासियों सहित सभी देशवासियों पर उनका आशीर्वाद सदैव बना रहे।
मुझे बताया गया है कि महिलाओं के सशक्तीकरण की दृष्टि से त्रिपुरा देश के अग्रणी राज्यों में गिना जाता है। यहां की प्रतिभाशाली और कर्मठ महिलाएं अनेक क्षेत्रों में अपना अमूल्य योगदान दे रही हैं। त्रिपुरा की दीपा करमाकर और लक्ष्मिता रियांग जैसी बेटियों ने खेल-कूद के क्षेत्र में देश की गरिमा बढ़ाई है।
त्रिपुरा power-surplus State है। यहां से बांग्लादेश को प्रचुर मात्रा में बिजली का निर्यात किया जाता है। फेनी नदी पर मैत्री-सेतु के निर्माण से बांग्लादेश और भारत के बीच connectivity बढ़ी है और साथ ही त्रिपुरा के उद्यमियों के लिए चटगांव और आशूगंज बन्दरगाहों का उपयोग करना सुविधाजनक हो गया है। यह कहा जा सकता है कि बांग्लादेश के साथ भारत की मैत्री को प्रगाढ़ बनाने में त्रिपुरा-राज्य ने आरंभ से ही प्रमुख भूमिका निभाई है।
केंद्र सरकार द्वारा Highway, Internet-way, Railways और Airways अर्थात HIRA के माध्यम से त्रिपुरा की connectivity को बढ़ाने के लिए अनेक परियोजनाओं को कार्यरूप दिया गया है। मुझे प्रसन्नता है कि अपनी इस यात्रा के दौरान त्रिपुरा की connectivity से जुड़ी अनेक परियोजनाओं का शुभारंभ करने का अवसर मुझे मिला है।
त्रिपुरा के state-fruit, queen pineapple के उत्पादन और निर्यात में वृद्धि के बारे में जानकर मुझे बहुत प्रसन्नता हुई है। यहां के बांस की गुणवत्ता बहुत अच्छी मानी जाती है। त्रिपुरा के प्रतिभाशाली लोग अपने कौशल से बांस का प्रयोग अनेक उपयोगी और कलात्मक वस्तुओं के निर्माण के लिए करते हैं। वर्ष 2017 में,केंद्र सरकार द्वारा 90 साल पुराने कानून को बदलकर,बांस को पेड़ की श्रेणी से हटाकर, घास की श्रेणी में शामिल किया गया। त्रिपुरा जैसे राज्यों के किसान और उद्यमी भाई-बहनों द्वारा बांस की खेती और व्यापार को सुविधाजनक बनाना ही भारत सरकार के उस निर्णय का उद्देश्य था।
आज मुझे अगरतला के निकट एक चाय बागान में जाने का अवसर मिला। वहां स्थानीय लोगों के साथ-साथ देश के अन्य क्षेत्रों से आए हुए लोग मिलजुल कर काम करते हैं और सौहार्दपूर्वक रहते हैं। मुझे उन भाई-बहनों और बच्चों से मिलकर बहुत खुशी हुई। मुझे यह जानकर और भी प्रसन्नता हुई है कि त्रिपुरा के चाय बागानों में काम करने वाले भाई-बहनों के हित में राज्य सरकार द्वारा कई कदम उठाए गए हैं।
मुझे यह देखकर प्रसन्नता होती है कि त्रिपुरा educational hub के रूप में निरंतर प्रगति कर रहा है। उच्च शिक्षा और professional education के अनेक संस्थान यहां स्थापित हैं जिनमें पूर्वोत्तर क्षेत्र के तथा देश-विदेश के विद्यार्थी शिक्षा प्राप्त करने आते हैं। मैं मानती हूं कि स्कूल स्तर पर उत्तम शिक्षा की सुविधा ही अच्छी शिक्षा व्यवस्था का आधार है। मुझे यह जानकर प्रसन्नता हुई है कि त्रिपुरा में elementary education के स्तर पर 100 percent enrolment का लक्ष्य हासिल कर लिया गया है।
मुझे प्रसन्नता है कि राज्यपाल,श्री सत्यदेव नारायण आर्य जी के कुशल मार्गदर्शन और मुख्यमंत्री, प्रोफेसर डॉक्टर माणिक साहा जी तथा उप-मुख्यमंत्री, श्री जिष्णु देब बर्मा जी के प्रभावी नेतृत्व में त्रिपुरा प्रगति के पथ पर अग्रसर है। मेरा दृढ़ विश्वास है कि त्रिपुरा के सभी भाई-बहनों और यहां की भावी पीढ़ी को समावेशी तथा पर्यावरण-हितैषी विकास का लाभ मिलता रहेगा।
आपके स्नेहपूर्ण अभिनंदन के लिए मैं पुनः आप सबको और त्रिपुरा के सभी निवासियों को धन्यवाद देती हूं।
हम्बइ!
धोन्नोबाद!
जय हिन्द!
जय भारत!